अनिवार्य जीएसटी नंबर छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स को अपनाने में एक बाधा है

कैट ने वित्त मंत्री सीतारमण से ई कॉमर्स के लिए अनिवार्य जीएसटी शर्त को हटाने का आग्रह किया

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर उनका ध्यान जीएसटी के तहत केवल जीएसटी में पंजीकृत लोगों द्वारा ही ई कॉमर्स पर माल बेचा जाए की विसंगति की ओर आकर्षित किया है जो प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” के दृष्टिकोण के विपरीत है और मंत्री सीथारमन से आग्रह किया है की जीएसटी काउन्सिल की अगली मीटिंग में इस विषय पर चर्चा कर निर्णय लेते हुए जीएसटी क़ानून की धारा 24 एवं धारा 52 में संशोधन कर इस विसंगति को तुरंत समाप्त किया जाने का आग्रह किया है। कैट ने कहा है की धारा 24 में ई कॉमर्स से व्यापार करने वाले लोगों को अनिवार्य जीएसटी में पंजीकरण से मुक्त किया जाए तथा धारा 52 में संशोधन कर ई कॉमर्स पर हो रहे समस्त व्यापार पर 1 प्रतिशत की दर से जीएसटी कर मार्केटप्लेस चलाने वाली कंपनियों से लिया जाए !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी अधिनियम के तहत एक विक्रेता जो ई-कॉमर्स में उत्पाद बेचना चाहता है, उसे अनिवार्य रूप से जीएसटी नंबर प्राप्त करना आवश्यक है। कोई भी विक्रेता जिसके पास जीएसटी नंबर नहीं है, उसे उत्पाद बेचने की किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर अनुमति नहीं है । अधिनियम का यह प्रावधान देश भर के लाखों व्यापारियों, छोटे कारीगरों, कलाकारों, महिला उद्यमी जो अपने घर से ही छोटा व्यापार कर घर की आय में वृद्धि करती हैं, छोटे उद्योग, कॉटेज इंडस्ट्री, हाउसहोल्ड इंडस्ट्री आदि को अपने उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स का उपयोग करने से रोक रहा है।

बीसी भरतिया एवं प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री  मोदी के विजन के अनुसरण में कई मंत्रालय और राज्य सरकारें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक विक्रेताओं को लाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन जीएसटी नंबर के बिना विक्रेताओं को अनुमति नहीं देने का प्रावधान देश के लाखों व्यापारियों द्वारा डिजिटल कॉमर्स को अपनाने के लिए एक प्रमुख निवारक और रोड़ा बन गया है । सरकार देश में छोटे खुदरा विक्रेताओं के सशक्तिकरण के बारे में बहुत कुछ करने का इरादा रखती है लेकिन चूंकि इन छोटे खुदरा विक्रेताओं का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से कम है, इसलिए उन्हें जीएसटी पंजीकरण लेने से छूट दी गई है और इसलिए जीएसटी परिषद द्वारा दी गई यह राहत एक दुःस्वप्न बन गई है ख़ास तौर पर उन छोटे व्यापारियों के लिए जो डिजिटल कॉमर्स को अपनाना चाहते हैं।

बीसी भरतिया एवं प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्ड करते समय जीएसटी नंबर की शर्त को हटाना जरूरी है ।प्रमाणीकरण के उद्देश्य से, आधार संख्या, बैंक खाता विवरण या इसी तरह के अन्य उपायों को ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग के लिए आवश्यक योग्यता के रूप में एक शर्त रखी जा सकती है  ! उन्होंने आगे कहा कि न केवल व्यापारियों बल्कि बड़ी संख्या में कारीगरों, शिल्पकारों, कुटीर और घरेलू उद्योगों, कलाकारों और अन्य समान वर्गों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खुद को शामिल करने में यह प्रावधान बहुत सहायक सिद्ध होगा क्योंकि जीएसटी की अनिवार्य शर्त के कारण न केवल घरेलू बाजार बल्कि निर्यात को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।इसलिए यह आवशयक है की ई कॉमर्स पर व्यापार करने हेतु जीएसटी की अनिवार्यता को ख़त्म किया जाए ।

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