नागपूर :- कोसिया विदर्भ के अध्यक्ष सीए जुल्फेश शाह ने महाराष्ट्र की आगामी नई औद्योगिक नीति पर उद्योग निदेशालय, महाराष्ट्र को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करके सरकार आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकती है, उद्यमशीलता को बढ़ावा दे सकती है और एमएसएमई के विकास का समर्थन कर सकती है. कोसिया प्रतिनिधिमंडल ने जी.ओ.भारती, संयुक्त निदेशक, उद्योग, विदर्भ से मुलाकात की और महाराष्ट्र राज्य की आगामी औद्योगिक नीति तैयार करते समय विचार किए जाने वाले सुझावों के साथ-साथ विभिन्न मुद्दों पर एक ज्ञापन प्रस्तुत किया. यह ज्ञापन जो प्रमुख सचिव उद्योग और विकास आयुक्त उद्योग को भी मुंबई मे भेजा गया , इसमे सामान्य रूप से महाराष्ट्र और विशेष रूप से विदर्भ के पूरे औद्योगिक परिस्थिति के तंत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सुझावों का उल्लेख किया.इसमे सुझाव दिया कि अन्य प्रमुख औद्योगिक राज्यों में प्रदान किए गए एमएसएमई के लिए विशेष पूंजीगत प्रोत्साहनों पर विचार किया जाना चाहिए.
एसजीएसटी प्रतिपूर्ति, बिजली शुल्क, ब्याज सब्सिडी आदि जैसे अन्य प्रोत्साहनों के अलावा विचार किया जाना चाहिए. साथ ही इसमे निर्यात उन्मुख इकाइयों और जीएसटी छूट वाली इकाइयों जैसे कृषि उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए विशेष लाभ की सिफारिश की, जो एसजीएसटी प्रतिपूर्ति लाभों का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं किन्तु लाभ के हकदार हैं. वर्तमान नीति में सौर प्रणालियों को परियोजना लागत में पात्र परिसंपत्तियों के रूप में नहीं माना जाता है जो अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य को नकारता है जो समय की मांग है. ज्ञापन में बजट में घोषित एमएसएमई की नई परिभाषा को अपनाने और इसे नई औद्योगिक नीति में शामिल करने की भी सिफारिश की गई है. इसने वर्तमान नीति में विशेष बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए विस्तारित विसंगति और भेदभाव को दूर करने का भी संकेत दिया. इसने सेवा क्षेत्र को कुछ रियायतें या प्रोत्साहन प्रदान करने का भी सुझाव दिया ताकि यह सेवा उन्मुख आईटी कंपनियों, परीक्षण और डिजाइन प्रयोगशाला आदि के विकास को बढ़ावा दे सके. उद्योग और उद्यमी आगामी औद्योगिक नीति में रियायतों और लाभों की उच्च उम्मीदें रख रहे हैं जो आगामी वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक संभावना है. इस अवसर पर COSIA के उपाध्यक्ष सुदर्शन शेंडे भी उपस्थित थे.