-टेकचंद शास्त्री
नागपुर – आयुर्वेद लाखों-करोड़ों सालों से प्राचीनतम् ऋषियों मुनियों और संत महात्माओं सहित भारतीयों जन मानस को हर तरह से स्वस्थ रखने और जड से बीमारी दूर करने में मददगार रहा है। आयुर्वेद ने अनगिनत वर्षों की इस संसारिक यात्रा के दौरान विहंगम वनों में विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों और वनस्पतियों में पाए जाने वाले औषधीय गुणों को पहचाना है और उससे रोगों की पहचान और स्वास्थय उपचार संभव है। ब्राह्मी इसी तरह के औषधीय गुणों से भरपूर प्राकृतिक औषधि है। ज्ञान बर्धक व दिमाग की सेहत के लिए यह चमत्कारी है। यह याददाश्त को तेज करने के काम भी आती है। अपने इन्हीं गुणों के चलते इसे ब्रेन बूस्टर भी कहा जाता है। हम ब्राह्मी के कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। खास बात कि यह बहुत आसानी से उपलब्ध होती है और इसे खुद भी लगाकर तैयार किया जा सकता है।
मानसिक तनाव दूर करने ब्रह्मी बूटी का उपयोग
शरीर में तनाव बढ़ने की प्रमुख वजह कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन है। इस हॉर्मोन का स्तर बढ़ने से तनाव और चिंता जैसी समस्या बढ़ने लगती है। ब्राह्मी का सेवन कॉर्टिसोल हॉर्मोन के स्तर को कम करने में बहुत मददगार होता है। ब्राह्मी को शंखपुष्पी, काजू,बादामगिरी और इलायची दाने के साथ पीसकर पीने से यह फायदा पहुंचाती है।
स्मरण शक्ति और याददास्त की अमृत औषधी है ब्रह्मी बूटी
नैसर्गिक नियमों के विरुद्ध नैतिक नियमों तथा जीवनशैली उम्र के साथ और कभी-कभी कम उम्र में भी याद्दाश्त की समस्या आने लगती है। ब्राह्मी याद्दाश्त की समस्या को दूर करने में बहुत की कारगर है। इसे ऐसे ही ब्रेन बूस्टर नहीं कहते हैं। ब्राह्मी की सूखी पत्तियां और बादामगिरी को बराबर मात्रा में लें और इसे एक चौथाई काली मिर्च के साथ भिगोकर अच्छे से मिक्स कर लें। इसकी छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लें और दूध के साथ सुबह शाम लें। छह सप्ताह तक ऐसा करने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
अल्जाइमर का निदान और उपचार
अल्जाइमर भी दिमाग से जुड़ा रोग है। इसमें रोगी अपनी याद्दाश्त खोने लगता है और हर चीज भूलने लगता है। वैसे तो अल्जाइमर का कई इलाज नहीं है लेकिन ब्राह्मी बूटी इसे ठीक करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। ब्राह्मी में ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से संघर्ष करके आपकी याद्दाश्त को सुरक्षित रखती हैं। कहा जाता है कि यह कैंसर सेल्स को पैदा करने वाले तत्वों को भी नष्ट करती है।
प्रेगनेंसी के दौरान केसर है बेहद फायदेमंद है ब्राह्मी बूटी
ब्राह्मी वटी में एंटी ऑक्सीडेंट एजेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ब्राह्मी में मौजूद तत्व शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देने में बहुत सहायक होते हैं। ब्राह्मी शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने और हृदय संबंधी रोगों से भी सुरक्षा देने में सहायक होती है। ब्राह्मी पाचन संबंधी दिक्कतों को भी दूर करती हैं।
प्राचीनकाल से यह भारत ऋषियों मुनियों,और संत महात्माओं की भूमि रही है। रोगों की पंहचान, औषधियों की पहचान, रोग निदान और उपचार के लिए महात्मा चरक ऋषी,वाग्भट्ट,श्रुसुत संहिता इत्यादि में पाये विवणण के अनुसार रवि पुष्य नक्षत्र में ऊषाकाल से ब्रम्ह मुहूर्त लगने के पूर्व अंतराल में 2ब्रम्ही बूटी को कूटपीस खरल करके उसमें 50 ग्राम बादाम,50 ग्राम काजू,50 ग्राम अखरोट, बच 25 ग्राम,10–10ग्राम लोंगरोंग इलाइची का पावडर तैयार कर लेवेंl तत्पश्चात 500 ग्राम शुद्ध मिश्री पावर मिश्रण कीजिएगा। पश्चात 1किलोग्राम गाय के दूध में मिलाकर एक घंटे तक उसकी घोटाई करने के बाद 5 फुट गहरी नदी में धार के विपरीत दिशा में मुंह करके पीना शुरू कर सकते है। वशर्तैं उल्टियां बमन नही होना चाहियेl इसलिए कम से कम आधे घन्टे तक पानी मे तरते रहना चाहिये क्योंकी यदि उल्टियां हूई तो पानी मे बहुत जाएगी यदि उल्टियां नहीं हूई तो हमे फायदा ही फायदा होगा इसमे कोई संसय नही है? तत्संबंध में इच्छुक जन वैदिक धर्मशास्त्रों के मुताबिक”ब्रह्मी औषधि उपयोग के लिए” दिव्य शक्ति और दिव्य दृष्टि बढाने के लिए “अमोघ तांत्रोक्त शाबर मंत्र” के जाप सिद्धी के लिए हमसे संपर्क किया जा सकता है।
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
महान आयुर्वेदिक औषधी ब्रह्मी बूटी के उपयोग से पूर्व किसी परिचित वनस्पती विज्ञान और आयुर्वेद विशेषज्ञों की सलाह लेना अनिवार्य है? कृपया नीमहकीम और झोलाछाप डाक्टरों से बचने की जरुरत है?