– सुधरने का नाम नहीं ले रहे स्कूल-काॅलेज बस चालक मालक,आरटीओ के आशीर्वाद से चल रही शहर में खटारा बसें
नागपुर :- कुछ दिन पहले ही हिंगणा स्थित वायसीसीई काॅलेज के बच्चों को लाने ले जाने वाली खटारा मिनी स्कूल बसों से काॅलेज के बड़े विद्यार्थीयों जबरन ढोने की खबर शहर के समाचार पत्रों में प्रकाशित होते ही बस मालिक दो-तीन दिन अच्छी कंडीशन वाली बस भेजी.
लेकिन सोमवार को फिर से पुरानी खटारा बस देखते ही काॅलेज के विद्यार्थीयों और अभिभावकों रोना आ रहा था.
बस के भीतर की हकीकत कुछ अलग ही कहानी बता रही थी.टूटी फूटी सीटें,जाम खिड़कियाँ,पेंट उखड़ा-उखड़ा सा,तंग लेन,ड्राइवर की स्टीयरिंग के नीचे झूलते लटकते वायर बस की दुर्दशा का हाल बयां करते हुए नजर आया.
समाचार पत्रों में प्रकाशित खटारा बसों की दुर्दशा की खबरों के बावजूद शहर का यातायात विभाग आखिर इन बस मालिकों,चालकों पर इतना मेहरबान क्यों हैं?
यातायात पुलिस प्रशासन के इस लापरवाह रवैये को देखकर एक पुरानी कहावत “खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान” का स्मरण होता हैं.
यदि आरटीओ के पास इन बसों पर कार्यवाही करने के लिए पुलिस बल की भारी कमी हो रही हो तो परिवहन अधिकारी ने कुछ दिनों के लिये शहर में हर दिन नियमित रूप से जारी ट्रैफिक सिग्नल से दूर,पेड़ों की झुरमुटों में छुपे हुए,मोबाइल कैमरों और चालान शस्त्र से लैस बिना हेलमेट दो पहिया वाहन चालकों को दौड़-दौड़कर पकड़ने,फोटों खींचने वाले हर समय चौकन्ने “वसूली स्क्वैड” को इस अभियान में भी लगाकर देखना चाहिए.
शायद..बसों के रखरखाव में कुछ सुधार हो जाएं और विद्यार्थियों और अभिभावकों को इस समस्या से कुछ राहत ही मिल जाएं. इस अभियान से हो सकता हैं यातायात विभाग को हेलमेट वसूली अभियान से भी कुछ ज्यादा ही मुनाफा हो जाएं.