– आरटीआई में जानकारी छिपाने का लगा आरोप
नागपूर :-शासन प्रशासन के सभी प्रशासनिक और निजी सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए और पारदर्शी व्यवस्था का संचालन करने के लिए 2005 में देश में सूचना का अधिकार कानून अमल में आया.
सूचना का अधिकार कानून अमल आते ही भ्रष्टाचार पर आंशिक नियंत्रण और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आने की वजह से नागरिकों को कार्यालयीन कामों में थोड़ा बहुत फायदा जरूर हुआ.
परंतु इस कानून से भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्ट नेताओं का जीना हराम होने से इस कानून में बार-बार संशोधन करके कानून को कमजोर बनाने का षडयंत्र जारी हैं.सूचना के अधिकार में नागरिकों को जानकारी मिलने से भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के बड़े-बड़े भ्रष्टाचार देश के सामने आये हैं.परंतु अपने किये पर पर्दा डालने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं को जानकारी देने में विलंब,जानकारी दबाना, आधी अधूरी जानकारी देना या गुमराह करने वाली जानकारी देकर सूचना के अधिकार को जानबूझकर कमजोर बनाया जा रहा हैं.
इसका ज्वलंत उदाहरण नागपुर शहर के नगर भू मापन क्रमांक 2 के कार्यालय का हैं.पीड़ित सुशीला खेमराज चौधरी और खेमराज चौधरी ने दिनांक 14.2.2022 को अपने पूनापूर नगर भू मापन क्रमांक 150 के दो अलग-अलग प्लाॅट का म्यूटेशन के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन किया था.इसी ले आऊट में विनोद डागा ने भी दिनांक 21.2.2022 को म्यूटेशन के लिए आवेदन किया था.इसमें केवल विनोद डागा का त्रुटी पत्र 23 दिनों बाद दिनांक 9.3.2022 को जारी करके 2 महीने बाद डाक से घर भेजा.जिसमें त्रुटी पत्र में “अप्रूव्ड” दर्शाने के बाद भी आज 12 महिने बाद भी भ्रष्ट अधिकारियों ने संपत्ति का म्यूटेशन नहीं किया.
सुशीला चौधरी और खेमराज चौधरी को तो आज तक सीटी सर्वे विभाग से म्यूटेशन का त्रुटी पत्र मिला ही नहीं और ना ही विभाग से इस प्रकरण में कोई पत्र व्यवहार हुआ.
8 महीनों तक तीनों पीड़ितों की संपत्ति का म्यूटेशन नहीं होने पर तीनों पीड़ितों की शिकायत पर जनलोकपाल संघर्ष समिति के संयोजक राजेश पौनीकर ने 26 सितंबर 2022 को सूचना के अधिकार में दो मुद्दों की जानकारी मांगी.पहले मुद्दे में विभाग ने तीनों आवेदनों पर विभाग ने अभी तक कौनसी कार्यवाही की इसके अहवाल की सत्यप्रती मांगने पर विभाग ने दिनांक 12.10.2022 को तीनों आवेदकों के त्रुटी पत्र की प्रतीयां भेजी.इसमें विशेष रूप से हैरत में डालने वाली बात यह हैं कि इन तीनों त्रुटी पत्रों में सुशीला चौधरी और खेमराज चौधरी का त्रुटी पत्र भी शामिल हैं जो कि विभाग ने 29 दिनों बाद दिनांक 21.3.2022 को ही जारी कर दिया था जो कि आज एक साल बाद भी डाक से मिला नहीं हैं.साथ ही तीनों पीड़ितों के आवेदनों के दस्तावेज समान होने के बावजूद तीनों के त्रुटी पत्र पर अलग-अलग कारण और कमियां गिनायी हैं.
सूचना के अधिकार मिले इस जवाब के उत्तर में राजेश पौनीकर ने तीनों पीड़ित आवेदकों की ओर से नये सिरे से ओरिजिनल इंडेक्स 2 की प्रती और एन ए आदेश की प्रती दिनांक 31.10.2022 को सीटी सर्वे विभाग में जमा करके रिसिव्ड काॅपी ले ली.
लोकसेवा अधिकार कानून के तहत सीटी सर्वे विभाग में फाइलों का निबटारे की समय सीमा म्यूटेशन के लिए केवल एक महिना ही हैं.जिसकी सनद सूचना के अधिकार में मुद्दा क्रमांक 2 के तहत ही मिली थी.
31 अक्तूबर 2022 को सभी आवश्यक दस्तावेजों फिर से देने के बाद भी 2 महीने तक म्यूटेशन नहीं होने पर इस प्रकरण पर दिनांक 5 जनवरी 2023 को फिर से 2 मुद्दें की जानकारी मांगी.पहले मुद्दे में 31.10.2022 को जमा किये तीनों आवेदनों दस्तावेजों के देने के बाद विभाग ने इस मामले पर कौनसी कार्यवाही की इसके अहवाल की सत्यप्रती मांगने पर जवाब में सूचना अधिकारी प्रवीण प्रयागी ने इस मुद्दें को प्रश्नवाचक मुद्दा बताकर जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया.
दूसरे मुद्दें की जानकारी में सिटी सर्वे विभाग ने तीनों आवेदकों को कब त्रुटी पत्र भेजा इसके जावक रजिस्टर के पेज की सत्यप्रती मांगने पर केवल एक ही पेज की प्रती थमायी जिसमें केवल विनोद डागा का ही नाम हैं. बाकि दोनों आवेदकों के डाक की जावक रजिस्टर के पेज की सत्यप्रती न देकर अधूरी जानकारी देकर जवाब में पूरी जानकारी देने का उल्लेख करके जानबूझकर गुमराह किया गया हैं.
पिछले एक साल से नगर भू मापन क्रमांक 2 के पूनापूर संभाग के पटवारी महेश मोखारे ,मुख्यालय सहायक प्रवीण प्रयागी और नगर भू मापन अधिकारी सतीश हनमंत पवार पीड़ितों को पिछले एक साल से संपत्ति के म्यूटेशन के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करते आ रहे हैं.
लोकसेवा अधिकार कानून का उल्लंघन करने पर राजस्व विभाग की कार्यवाही का भय इन भ्रष्ट अधिकारियों को कतई नहीं दिखाई दे रहा हैं.समिती के संयोजक राजेश पौनीकर ने विभाग में ऐसे ही कई मामलों की जानकारी सूचना के अधिकार में प्राप्त करने पर जनवरी 2022 से सितंबर 2022 तक विभाग में 2506 प्रकरण प्रलंबित पड़े हुए हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिटी सर्वे विभाग के तीनों विभागों में हजारों पीड़ित नागरिकों के दो-चार सालों से प्रकरण आर्थिक लेन-देन के अभाव में जानबूझकर छोटी- मोटी त्रुटियाँ निकालकर लटकाकर रखे हुए हैं ताकि पीड़ित इन भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत देने पर मजबूर हो जाएं.
गौर करने वाली बात तो यह हैं कि सरकार ने संपत्ति की रजिस्ट्री करते समय ही रजिस्ट्रार के कार्यालय में अलग से म्यूटेशन के लिए आवेदन करने पर बिना मूल्य,बिना त्रुटी के रजिस्ट्री के दस्तावेजों को ही आधार मानकर हफ्ते भर में ऑनलाइन म्यूटेशन करने की व्यवस्था की हैं फिर भी विभागों में आवेदन के साथ रजिस्ट्री के संपूर्ण दस्तावेजों के देने के बाद भी इंडेक्स 2 और एन ए आदेश की प्रती मांग कर,त्रुटी दिखाकर आवेदकों को जानबूझकर प्रताड़ित करके रिश्वत देने के लिए आवेदकों को मजबूर करने का खेल इन सरकारी विभागों में धडल्ले से जारी हैं.
सिटी सर्वे विभाग के तीनों विभागों में अभी तक कई अधिकारी,कर्मचारीयों को भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग ने रिश्वत लेते हुए धर दबोचा हैं.फिर भी अधिकारी अपनी हेकडी दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं और ना ही सुधरने का नाम ले रहे हैं.
जनलोकपाल संघर्ष समिति के संयोजक राजेश पौनीकर ने सभी तीनों भ्रष्ट कर्मचारियों को लोकसेवा अधिकार कानून का उल्लंघन करने के जुर्म में तुरंत ही पद से बर्खास्त करने की मांग सरकार से की हैं.
संबंधित संपूर्ण प्रकरण की लिखित रूप से शिकायत राजस्व मंत्री,प्रधान सचिव ( राजस्व विभाग ) और अतिरिक्त सचिव के पास करने की जानकारी राजेश पौनीकर ने दी हैं.
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