गडचिरोली में मानव पर बाघ के हमलों को रोकने के लिए तीन महीने में योजना तैयार करने के निर्देश – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश

मुंबई :- गडचिरोली जिले में बाघ के हमलों में मानव हानि को टालने के लिए मुख्यमंत्री तथा गडचिरोली के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विशेषज्ञों की मार्गदर्शन में स्थिति का अध्ययन करने और तुरंत विशेष उपायों को लागू करने का निर्देश दिया है। इसमें पिछले पांच वर्षों में बाघ के हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों को विशेष नुकसान भरपाई देने, अतिरिक्त बाघों का स्थानांतरण आदि शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने यह रिपोर्ट तीन महीने में देने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने बाघ के हमलों में नागरिकों की जान की हानि पर गंभीर ध्यान दिया है। गडचिरोली के पालकमंत्री के रूप में उन्होंने वहां के नागरिकों की मांग को तुरंत ध्यान में रखते हुए उपायों की योजना बनाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही ‘मित्रा’ संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रविण परदेशी के मार्गदर्शन में योजना तैयार करने के निर्देश दिए। इसके तहत परदेशी ने नागपुर में वरिष्ठ वन अधिकारियों की बैठक बुलाकर उपायों पर चर्चा की और उन पर अमल करने के निर्देश दिए। इस बैठक में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक शोमिता बिस्वास, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक विवेक खांडेकर, ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के मुख्य वन संरक्षक डॉ. रामचंद्र रामगावकर, गडचिरोली वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक एस. रमेशकुमार आदि उपस्थित थे।

व्याघ्र हमलों में मारे गए परिवारों को विशेष नुकसान भरपाई

गडचिरोली जिले में पिछले पांच वर्षों में बाघ के हमलों में ५० से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। विशेष रूप से गडचिरोली, चार्मोशी, आरमोरी, वडसा और धानोरा क्षेत्र में बाघों के हमलों में नागरिकों की जान गई है। गडचिरोली की स्थिति का अध्ययन करके अतिरिक्त बाघों का स्थानांतरण तीन महीने में किया जाएगा। साथ ही पिछले पांच वर्षों में बाघ के हमलों में मारे गए नागरिकों के परिवारों को विशेष नुकसान भरपाई देने के निर्देश मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए थे।

इसके संदर्भ में स्थिति का अवलोकन करने के बाद ‘मित्रा’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परदेशी के मार्गदर्शन में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई। इसमें गडचिरोली जिले के चपराला और प्राणहिता अभयारण्य में सागवान के पेड़ों की छंटाई और घास का क्षेत्र बढ़ाने का निर्णय लिया गया। ताकि घास खाने वाले जानवरों की संख्या बढ़ सके और मांसाहारी जानवरों को भोजन मिल सके। प्रत्येक गांव में पुलिस पाटिल की तर्ज पर वन पाटिल नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया। स्थानीय लोगों को जंगल में लकड़ी और सरपण इकट्ठा करने के लिए जंगल में न जाने पड़े, इसके लिए गांव में पाइपलाइन के माध्यम से CBG गैस आपूर्ति करने और किसानों के खेतों में घास उगाकर CBG के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए CBG गैस प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया गया। वन्य जीवों द्वारा फसलों को हुए नुकसान की भरपाई जल्द करने के लिए ई-पंचनामा करने, बाघों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर चपराला अभयारण्य के ६ गांवों के स्थानांतरण के लिए सामाजिक और आर्थिक मूल्यांकन करने, पुनर्वास के लिए नए स्थान की तलाश करने के उपायों पर चर्चा की गई।

इसके साथ ही इस विषय पर काम करने वाली संस्थाओं के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही खतरनाक और संवेदनशील क्षेत्रों के शमन के लिए योजना तैयार करने पर भी चर्चा की गई। यह भी कहा गया कि मानव और वन्यजीव संघर्ष में जो बाघ शामिल होते हैं, वे अधिकतर वृद्ध होते हैं, ऐसे बाघों के स्थानांतरण पर भी नीति संबंधी निर्णय लेने की आवश्यकता है।

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