चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को अपनी आदतों को लेकर सावधान और सतर्क रहना चाहिए. बुरी आदतों से घिरे व्यक्ति को कभी सफलता नहीं मिलती हैं. ये बुरी आदतें कौन सी हैं, आइए जानते हैं.
आलस- चाणक्य नीति के अनुसार आलस से दूर रहना चाहिए. आलस एक बुरी आदत है. आलस के कारण व्यक्ति जीवन में मिलने वाले अवसरों का लाभ नहीं उठा पाता है. ऐसे लोग आज के काम को कल पर टाल देते हैं जिस कारण ये सफल नहीं हो पाते हैं. ये हमेशा अपने लक्ष्य से दूर रहते हैं, जिस कारण सफलता पाने के लिए इन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है.
क्रोध- चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को क्रोध नहीं करना चाहिए. क्रोध करने से व्यक्ति के सभी गुणों का नाश हो जाता है. क्रोध करने वाले व्यक्ति को सफलता और सम्मान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. क्रोध करने से वाले से अन्य लोग दूरी बनाकर रखते हैं. क्रोध में व्यक्ति सही और गलत का भेद भूल जाता है, जिस कारण ऐसे व्यक्ति कभी कभी गंभीर मुसीबत में फंस जाते हैं.
निंदा- चाणक्य नीति के अनुसार निंदा करना और सुनना सबसे बुरी आदतों में से एक है. निंदा को निंदा रस भी कहा गया है. निंदा करने की आदत परेशानियां पैदा करती है. ऐसे व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से घिरे रहते हैं. इनके विचार भी नकारात्मक हो जाते हैं. जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक विचार और ऊर्जा का विशेष महत्व है. निंदा करने वाले व्यक्ति को सम्मान प्राप्त नहीं होता है. ऐसे लोगों से मित्र और परिचित भी दूरी बना लेते हैं.
नशा- चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को नशा आदि से दूर रहना चाहिए. ये सेहत के साथ मानसिक शक्ति का भी नाश करता है. नशा करने वालों को लक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है.