नागपुर :- महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2020 में राज्य के सभी शासकीय कार्यालयों में वस्त्रसंहिता लागू की है । इतना ही नहीं, अपितु देश के अनेक मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद एवं अन्य प्रार्थनास्थल, निजी अस्थापन, विद्यालय-महाविद्यालय, न्यायालय, पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में वस्त्रसंहिता लागू है । उसी के आधार पर मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार, संस्कृति संजोने के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की बैठक नागपुर जिले के चार मंदिरों के विश्वस्तों ने उन मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुरूप वस्त्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया है, ऐसा ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’के समन्वयक सुनील घनवट ने कहा । वे धंतोली, नागपुर के प्रसिद्ध श्री गोपालकृष्ण मंदिर में हुई पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । उन्होंने आगे कहा, नागपुर के उपरांत महाराष्ट्र के सभी मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने के लिए व्यापक अभियान चलाकर श्रद्धालुओं में वस्त्रसंहिता के विषय में जागृति की जाएगी ।
नागपुर जिले के श्री गोपालकृष्ण मंदिर, धंतोली; श्री संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर, बेलोरी, सावनेर; श्री बृहस्पति मंदिर, कानोलीबारा एवं श्री हिलटॉप दुर्गा माता मंदिर, मानवता नगर इन चार मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया गया है । इस अवसर पर श्री गोपाल कृष्ण मंदिर के विश्वस्त प्रसन्न पातुरकर, मंदिर कमेटी प्रमुख ममता चिंचवडकर एवं आशुतोष गोटे ने मंदिर की पवित्रता की रक्षा एवं भारतीय संस्कृति का पालन हो, इस उद्देश्य से मंदिर में श्रद्धालुओं को आते समय अंग प्रदर्शन करनेवाले और छोटे कपडे डालकर न आएं, इसके साथ ही भारतीय संस्कृति का पालन कर मंदिर प्रशासन में सहयोग करें, इस प्रकार का आवाहन किया । साथ ही फलक भी मंदिर के दर्शनी भाग में लगाया गया है । इस अवसर पर श्री बृहस्पति मंदिर के विश्वस्त रामनारायण मिश्र, फुटाळा के श्री हनुमान मंदिर के शैलेंद्र अवस्थी, श्री संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर के दिलीप कुकडे, इसके साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के नागपुर समन्वयक अतुल अर्वेनला उपस्थित थे ।
इससे पूर्व जलगांव में 4 एवं 5 फरवरी 2023 में मंदिर एवं धर्मपरंपराओं की रक्षा के लिए हुए राज्य स्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद’में उपरोक्त प्रस्ताव संमत किया गया था । उसके अनुरूप कार्यवाही राज्य के मंदिरों में की जा रही है । इससे पूर्व जलगांव जिले के अमळनेर के ‘श्री मंगलग्रह मंदिर’में वस्त्रसंहिता लागू की गई है ।
आज मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू होने पर कुछ आधुनिकतावादी, व्यक्तिस्वतंत्रतावाले सीना तानकर विरोध करने लगे हैं; परंतु सफेद पैरों तक ढके वस्त्र पहननेवाले ईसाई पादरियों, छोटा पायजामा डालनेवाले मुल्ला-मौलवी और काला बुरखा पहननेवाली मुसलमान महिलाओं के वस्त्रों पर वे आक्षेप नहीं लेते । 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल के विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में अनेक वर्षाें से श्रद्धालुओं के लिए सात्विक वस्त्रसंहिता लागू है । गोवा के बहुतांश मंदिरों सहित बेसिलिका ऑफ बॉर्न जीसस एवं सी कैथ्रेडल, इन बडे चर्चाें में भी वस्त्रसंहिता लागू है । महाराष्ट्र सरकार ने ‘शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों को ‘जीन्स पैंट’, ‘टी-शर्ट’, भड़कीले रंग के अथवा बेलबूटेदारवाले वस्त्र, ‘स्लीपर’ के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है । मद्रास उच्च न्यायालय ने भी ‘वहां के मंदिरों में प्रवेश करने के लिए सात्त्विक वेशभूषा होनी चाहिए’, इसे मान्य कर 1 जनवरी 2016 से राज्य में वस्त्रसंहिता लागू की । इसके साथ ही मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए छोटे वस्त्रों में अथवा परंपराहीन वेशभूषा में जाना, यह ‘व्यक्तिस्वतंत्रता’ नहीं हो सकती । अपने घर एवं सार्वजनिक स्थानों पर कौन से कपडे पहनें, इसकी व्यक्ति स्वतंत्रता प्रत्येक को है; परंतु मंदिर एक धार्मिक स्थल है और वहां धार्मिकता के अनुरूप ही आचरण होना चाहिए । वहां व्यक्तिस्वतंत्रता को नहीं, अपितु धर्माचरण को महत्व है ।
इसके साथ ही भारतीय वस्त्र पाश्चात्यों की तुलना में अधिक सात्विक एवं सभ्यतापूर्ण हैं । भारतीय वस्त्र परिधान करने से अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार होने के साथ ही उस विषय में युवा पीढ़ियों में स्वाभिमान भी जागृत होगा । इसके साथ ही पाश्चात्यों की तुलना में पारंपरिक वस्त्र निर्मिति करनेवाले उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिलेगा । ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ होगी । मंदिर की सात्त्विकता अधिक मात्रा में ग्रहण करनी हो, तो अपना आचरण और वेशभूषा सात्त्विक होनी चाहिए, ऐसा भी घनवट ने कहा ।