– सुरेश पाटिल ने महाजेनको व्यवस्थापकीय संचालक सह अध्यक्ष से नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की हैं.
नागपुर :- मनोज रानाडे और विनोद बोंद्रे की महाजेनको में अवैध नियुक्ति और उन पर हुए खर्च के खिलाफ सुरेश पाटिल ने नियमानुसार कार्रवाई सह वसूली करने की मांग महाजेनको व्यवस्थापकीय संचालक सह अध्यक्ष से की हैं.
मनोज रानाडे : प्राप्त जानकारी के अनुसार मनोज रानाडे और विनोद बोंद्रे को तत्कालीन राज्य सरकार ने महाराष्ट्र शासन से महाजेनको में अक्टूबर 2013 से अगस्त 2019 तक प्रतिनियुक्ति पर भेजा था.
याद रहे कि पुणे के जिलाधिकारी ने मनोज रानाडे का अंतिम वेतन तय कर भेज दिया था,प्रतिनियुक्ति पद पर तैनातगी होने पर 10% CHARGE ALLOWANCE दिए जाने का नियम हैं.
क्यूंकि मनोज प्रतिनियुक्ति पर थे और महाजेनको ने नियमित कर्म/अधिकारी के तर्ज पर SALARY दी.
मनोज का 20 सितंबर 2014 को पदोन्नत किये जाने के कारण उसे महाजेनको से सेवामुक्त किया गया.पदोन्नत सह तबादला होने के कारण मनोज को गड़चिरोली भेजा गया,जहाँ उन्होंने ज्वाइन नहीं की और फिर उनके पहुँच के कारण दोबारा तबादला का आदेश अमरावती के लिए निकाला गया.लेकिन मनोज ने वहां भी ज्वाइन नहीं किया और महाजेनको में कायम रहा.
जबकि महाजेनको में कायम रहने के लिए एक बाद पदोन्नत सह तबादला आदेश जारी होने के बाद उसे रद्द कर फिर से महाजेनको में प्रतिनियुक्ति सम्बन्धी नया आदेश निकाला जाना चाहिए था.इस अवैध कृत के बावजूद महाजेनको प्रबंधन राजनैतिक दबाव में न सिर्फ मनोज को वर्ष 2019 तक कायम रखी बल्कि कार्यकारी संचालक(HR) पद का मूल वेतन देती रही.
विनोद बोंद्रे : विनोद पहले स्टेनो था,स्टेनो का पदोन्नत नहीं होता हैं.उसे राजनैतिक दबाव में उसका पद UPGRADE कर उसे विशेष कार्य अधिकारी बनाया गया.फिर तय रणनीति के तहत महाजेनको में विनोद को प्रतिनियुक्ति पर बतौर कार्यकारी संचालक नियुक्त कर एक साल के लिए भेजा गया.फिर विनोद को एक साल के लिए EXTENSION वर्ष 2018 में दिया गया.
विनोद को भी प्रतिनियुक्ति का वेतन देने के बजाय मनोज रानाडे की तर्ज पर स्थाई कर्मी/अधिकारी की तरह कार्यकारी संचालक का पूर्ण वेतन दिया गया.
उक्त दोनों प्रकरणों को प्रमुखता से सुरेश पाटिल ने महाजेनको व्यवस्थापकीय संचालक सह अध्यक्ष का ध्यानाकर्षण करवाते हुए दोनों की अवैध नियुक्ति पर कार्रवाई और उन पर हुए खर्च वसूली करने की मांग की हैं.