– क्या कहते हैं हमारे डॉक्टर्स
नागपुर :- कोरोना के बाद होली का त्यौहार मनाने के लिए सभी के दिलों और मनो पर एक अलग ही उत्साह नजर आ रहा है। पूरा शहर रंगो की थालियां लेकर तैयार है। वहीं दूसरी ओर हर घर में सर्दी खांसी और कफ ने अपना घर बना रखा है। ऐसे में सर्दी खांसी के बीच होली का त्यौहार अपने आप में नई चुनौतियों को लेकर आ रहा है।
हर परिवार अपने यहां बच्चों को लेकर चिंतित हैं। बच्चे रंग खेलने की जिद कर रहे हैं और माता-पिता रंग और पानी से उनको बचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें पता है की पानी की ठंडक बच्चों को फिर सर्दी खांसी की ओर ले जाएगी वहीं दूसरी ओर बच्चों को दूर रखकर संस्कृति से भी दूर किया जाएगा ऐसे में सभी पालक अपने बच्चों के साथ सूखे रंगों से होली खेलने का मन बनाए हुए हैं। बच्चे भी होली खेल सके और परंपराओं का निर्वाह कर अपनी संस्कृति को जान सके इस हेतु पालकों ने नैसर्गिक रंगो से होली खेलने का मन बनाया है। वही कई परिवार अपने बच्चों सही किसी धार्मिक स्थल या फिर हिल स्टेशन पर निकल गए है।
होली के इस त्यौहार को और घर में बच्चों में फैली सर्दी खांसी और कफ को लेकर शहर के डॉक्टर्स भी चिंतित हैं। उनका मानना भी यही है रंग खेलना भी है तो पानी से दूर रहकर खेलो ताकि सर्दी खांसी अपना जोर ना दिखा सके। ऐसे ही हमने शहर के कुछ डॉक्टरों से इस संदर्भ में बात की।
शहर के एक फैमिली फिजिशियन डॉ. संजय चौहान से हमने इस सर्दी खांसी के संदर्भ में जानना चाहा तो उन्होंने एक बहुत अच्छी जानकारी हमें दी। उन्होंने कहा कि यह सर्दी खासी जुकाम पहले बैक्टीरिया आधारित होता था लेकिन अब यह वायरस आधारित होने से यह सर्दी खासी लंबे समय तक बनी हुई है। इस पर दवाइयों का असर भी कम हो रहा है। लेकिन हम मरीज के स्थिति को देखकर उन्हें दवाइयां दे रहे हैं। ताकि किसी का नुकसान ना हो सके। होली खेलते समय सतर्कता ही इससे बचाव कर सकती है।
शहर की एक प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ उदय बोधनकर से हमने बात की तो उन्होंने भी हमें बताया कि बच्चों को रंग पानी इससे दूर रखना चाहिए। जिन बच्चों में सर्दी खांसी जुकाम बना हुआ है वह होली पानी से बिल्कुल भी ना खेले। परंपरा की बात को यदि हम समझे तो मात्र गुलाल का तिलक लगाकर व खुशियां बाटकर भी हम होली को हर्षोल्लास से मना सकते हैं। माता-पिता की जिम्मेदारी हैं कि वह अपने बच्चों का ख्याल उनकी शारीरिक क्षमता व अवस्था को देखकर होली में शरीक होने का अनुमति दें।
शहर के एक अन्य फैमिली फिजिशियन डॉ. गिरिधर हेड़ा ने हमें बताया शहर में हर घर में सर्दी जुकाम से बच्चे ही नहीं तो बड़े भी ग्रसित हैं। ऐसे में होली के रंगों में पानी से खेलना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। होली रंगों का त्योहार है इसे हम बगैर पानी के भी तिलक लगाकर खेल सकते हैं। साथ ही यदि शरीर स्वस्थ रहा तो जीवन में होली हर वर्ष आती रहेगी लेकिन यदि हमने प्रकृति के नियमों का उल्लंघन किया तो निश्चित ही वह मानवीय शरीर को नुकसान पहुंचाएगी। ऐसे ही इस बार की सर्दी खांसी जुकाम लंबे समय तक शरीर में अपना घर बनाए हुए हैं। यदि स्वस्थ रहना है तो हमें होली के रंगों में अपने नियमों को लेकर ही उतरना पड़ेगा।