– पीड़ित नागरिकों ने किया हायकोर्ट के फैसले का स्वागत
– इमारत बांधकाम विभाग की बिना अनुमति के निवासी जगह पर खड़ा किया था अस्पताल
-3 साल की लड़ाई के बाद मिला पीड़ितों को इंसाफ
नागपूर :- सत्यमेव जयते
शासन व प्रशासन की शुचिता का यह ब्रीद वाक्य राष्ट्रीय आदर्श वाक्य माना जाता हैं,जो भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ पर मुद्रित हैं.
यह वाक्य देश के करोड़ों पीड़ित नागरिकों को समाज में अन्याय से लड़ने की हमेशा प्रेरणा देता हैं.
ऐसी ही लड़ाई में मिली जीत का एक ताजा उदाहरण पूर्व नागपुर के रामपेठ बस्ती में निवासी जगह पर मनपा और संबंधित विभागों की बिना अनुमति के एफएसआय से ज्यादा 5 मंजिला अवैध बांधकाम करने वाले नवरात्र मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर का हैं.
खसरा नंबर 239,मौजा नागपुर,सीआरएस नंबर 3,घर नंबर 1031,वार्ड नंबर 37 रामपेठ बस्ती में 109.13 चौरस मीटर जगह पर नवरात्र मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर के संचालक प्रफुल्ल हेमराज गणात्रा ने बिना नक्शा मंजूरी,बिना फायर ब्रिगेड विभाग के ना-हरकत प्रमाण पत्र और पार्किंग की जगह के बिना भव्य 5 मंजिला अस्पताल खड़ा कर दिया था.
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान इस अस्पताल में डब्ल्यूएचओ और आयसीएमआर के दिशा-निर्देशों का सरासर उल्लंघन करते हुए रिहायशी बस्ती में खुलेआम कोरोना मरीजों का इलाज करके बस्ती के लोगों की जान से खिलवाड़ करना अस्पताल द्वारा जारी था.
बस्ती के पीड़ित नागरिकों की शिकायत पर मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने फौरन कार्यवाही करके इस अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज बंद करवाया था.परंतु फिर भी यहाँ जारी अन्य मरीजों के इलाज से बस्ती के नागरिकों,बच्चों, बीमार वृद्धों की जान का खतरा बना हुआ था.
इस अवैध रुप से चल रहे नवनिर्माणाधीन अस्पताल को बंद करवाने के लिए आखिरकार बस्ती के पीड़ित नागरिकों ने रामपेठ कृति समिति की ओर से दिनांक 4 जून 2020 को बस्ती के नागरिकों के हस्ताक्षर लेकर मनपा निगम आयुक्त को शिकायत दर्ज की थी.
अस्पताल का संचालक भाजपा नेता होने और स्थानीय भाजपा जनप्रतिनिधियों के दबाव में आकर मनपा के अधिकारियों ने इस मामले को महीनों तक दबाकर रखा.
समिति द्वारा लगातार मनपा प्रशासन पर दबाव बनाने और शहर के अखबारों में प्रकाशित खबरों के डर से मनपा के स्लम विभाग ने दिनांक 28 अप्रैल 2022 को अधिनियम 1971 के कलम 3 झेड 1(1) के तहत अवैध बांधकाम की जानकारी देकर 24 घंटे के भीतर बांधकाम अवैध नहीं हैं इसकी जानकारी नहीं देने पर 24 घंटे बाद अवैध बांधकाम तोड़ने की चेतावनी दी थी.
इस नोटिस को भी संचालक ने धता बताते हुए अवैध बांधकाम पूरा करने के बाद इमारत के नक़्शे और अवैध बांधकाम को वैध करार देने के लिए पूरी ताकत झोंककर नये सिरे से प्रशासन से मंजूरी लेने के लिए बांधकाम विभाग के सारे नियमों और कानूनों को तिलांजली देकर नया नक्शा पास करवाया.
वर्ष 2022 में ही 26 जनवरी को अस्पताल के संचालक ने अस्पताल का उद्घाटन केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी के हाथों से करने की पूरी तैयारीयां कर ली थी.
बस्ती के नागरिकों को इसकी भनक लगते ही मनपा प्रशासन के पास शिकायतों का सिलसिला चलने से अस्पताल का उद्घाटन कार्यक्रम के आयोजन से संचालक को पीछे हटना पड़ा था.
राजनैतिक दबाव और मनपा अधिकारीयों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली को देखकर समिति के सदस्य अनिल उमरेडकर और उनके भाई दीपक उमरेडकर ने मुंबई हायकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अस्पताल के अवैध बांधकाम के खिलाफ याचिका दायर की.
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायधीश रोहित देव और न्यायधीश एम.डबल्यू.चांदवानी ने दिनांक 26 जून 2023 को मनपा को जारी किये नोटिस के आधार पर दिनांक 18 जुलाई 2023 को हुई सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए मनपा को 8 हफ्ते के भीतर अस्पताल के अवैध बांधकाम को तोड़ने और अस्पताल में कोई भी कार्य शुरू नही करने के आदेश दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधि.आर.एस.चरपे,मनपा की ओर से एस.एम.पुराणिक और अस्पताल की ओर से अधिवक्ता हर्निश गढीया ने पैरवी की.
हायकोर्ट के इस फैसले का रामपेठ बस्ती के सभी पीड़ित नागरिकों और रामपेठ कृति समिति की ओर से श्री अनिल उमरेडकर,दीपक उमरेडकर,राकेश यादव,संजय यादव,किशोर लांबट,रजत लांबट,नितीन ईटनकर ने खुशी से स्वागत करते हुए इसे सच्चाई की जीत बताया हैं.
समिति और बस्ती के सभी पीड़ित नागरिकों ने न्यायालय और न्यायधीशों का भी आभार व्यक्त किया हैं.साथ ही इस अस्पताल के अवैध बांधकाम के खिलाफ समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित करके संबंधित विभागों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सभी पत्रकार बंधुओं और संपादकों का भी आभार माना हैं.