नागपुर :- हासानंद सतपाल का व्यक्तित्व मोम एवं पत्थर का मिश्रण है। इस मिलन का चित्र उनकी कविताओं में बखूबी बयां हो रहा है। हर साहित्यकार को भाषा के संवर्द्धन को प्राथमिकता देनी चाहिये। इस पुस्तक का शीर्षक ही बयां करता है कि संवेदनशील कवि सिंधी भाषा को बचाने के लिए कितना चिंतित है। उक्त आशय के विचार सुप्रसिद्ध लेखक डा. विनोद आसूदानी ने कहे। वे भारतीय सिंधू सभा सांस्कृतिक मंच की ओर से आयोजित हासानंद सतपाल की पुस्तक अचो बचायूं सिंधी भाषा के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
पूर्व नगरसेवक सुरेश जग्यासी ने हासानंद सतपाल के साहित्यिक सेवाओं का विशेष उल्लेख किया।अमरावती से पधारे वरिष्ठ कलाकार एवं निर्देशक तुलसी सेतिया ने कहा कि हासानंद की कहानियों में व्यंग्य दिल को छू लेता है।
रायपुर, छतीसगढ़ के सुप्रसिद्ध सिंधी कहानीकार कैलाश शादाब, भोपाल के सुप्रसिद्ध कवि, खिमन मूलाणी व युवा लेखिका समीक्षा लच्छवानी, इंदौर की युवा लेखिका किरण परियानी ‘अनमोल’ तथा बिलासपुर की युवा लेखिका मुस्कान बच्चानी ने भी अपने विचार प्रकट किये और कवि के इस प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा की।
नागपुर के वरिष्ठ लेखक किशोर लालवानी ने पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है