– मेगनीज खनन माफिया का पार्टनर खंडेलवाल डीजल चोरी के आरोप मे फरार है।
छिन्दवाडा :- जिले के सौंसर तहसील के कच्छीढाना पलासपानी परिसर मे अंधाधुंध तरीके से मैंगनीज का उत्खनन की वजह से यहां किसी भी क्षण जोरदार भूकंप के खतरे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।बताते हैं कि पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर यहां अंधाधुंध तरीके से गहरे भूगर्भ की खुदाई बदस्तूर जारी है। मेगनीज खनन का ठेका निजी कंपनी को सौंपा गया है। यह माफिया मेगनीज अयस्क को आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम के रिफाइन कारखाना मे आपूर्ति कर रहा है। जहां से मेगनीज व्यवसायी विदेशों मे सोने के भाव मे बेचता है। इस अरबों खरबों के काले कारोबार मे मेंगनीज माफिया के साथ बडे बडे राजनेताओं और आला अधिकारियों की सांठगांठ के चलते केन्द्र एवं राज्य सरकार को करोडों की चपत लग रही है। जिसका नतीजा छिन्दवाडा जिला वासियों को भुगतना पड सकता है। यह करोडों के काले कारोबार भांडाफोड मैंगनीज माफिया के भागीदार अजय खंडेलवाल के करीबी सूत्रों से लीक हूई है? बताते है कि करोडों के डीजल चोरी के आरोप मे सौंसर छिन्दवाडा पुलिस डीझल स्मगलर अजय खंडेलवाल को सरगर्मी से तलाश मे जुटी हूई है। पुलिस के मुताबिक आरोपी जल्द ही गिरप्त मे आ जाएगा।
2018 मे छिंदवाडा जिले मे आये थे भूकंप के झटके
आल इंडिया सोसल आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री के अनुसार अंधाधुंध मेगनीज खनन की वजह से विगत 01 दिसंबर 2018 मे भी यहां छिंदवाड़ा और सौंसर में 1.8 रिक्टर स्केल का भूकंप के झटके महसूस किये जा चुके है।जिसमे बताया जा चुका था कि इस भूकंप का केन्द्र विन्दु नागपुर तक आंका गया था।नतीजतन भूकंप के झटके से लोग दहशत में आ चुके थे। इस भूकंप की सूचना के बाद आला अधिकारी तुरंत ही हरकत में आ गये थे। दिल्ली से संपर्क साधा, देर रात आई रिपोर्ट में दिल्ली के अधिकारियों ने बताया था कि भूकंप का केंद्र नागपुर महाराष्ट्र रीजन था, भूकंप की तीव्रता मात्र 1.8 रिक्टर स्केल दर्ज की गई है। जिसमे सौंसर के रंगारी, अंबाड़ा व सावंगा में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे, जिसके बाद लोग दहशत में आ गए और अपने घरों से बाहर निकल गए। घबराहट में गांव के लोगों ने स्थानीय अफसरों को भूकंप की सूचना दी। जिसके बाद अफसरों का दल भी जांच के लिए मौके पर पहुंचा था, लेकिन जन-धन हानि की खबर अधिकारियों के पास नहीं आई।
भूकंप के हल्के झटके महसूस होने के बाद इन गांवों के ग्रामीण घरों के अंदर जाने से घबरा रहे हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि घबराहट जैसी कोई बात नहीं है। भूकंप की तीव्रता काफी कम थी।
ग्रामीणों के अनुसार 1दिसंबर 2018 दिन बुधवार की शाम 5.54 व इसके बाद 7.44 बजे भूकंप के झटके आए हैं। रंगारी सरपंच प्रतिभा आनंद ठाकरे ने बताया कि 7.44 बजे तेजी का झटका आया। लोधीखेड़ा के सुनील साबले ने बताया कि शाम को भूकंप के झटके लगे हैं। सावंगा के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज बनाईत ने बताया था कि भूकंप के झटके मंगलवार की शाम को भी महसूस किए गए थे। पास ही अंबाड़ा गांव के सूर्यभान चिकटे ने बताया कि झटके से उनके घरों में बर्तन नीचे गिर पड़े। भूकंप के झटकों के कारण आसपास सभी गांवों में दहशत है।
शाम को भूकंप के झटके आने की संभावना के संबंध में प्रदेश मुख्यालय से पाइंट मिला था। इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर वेदप्रकाश एवं तत्कालीन डी एस पी आर के सिंह संबंधित विभाग को दी थी।
रिसर्च टीम के मुताबिक सर्वे के बाद पाया गया कि इस भूकंप का केंद्र बिंदु सावंगा गांव में जमीन से 34 किमी नीचे था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 1.8 मैग्नीट्यूड मापी गई। इस भूकंप का प्रभाव केंद्र बिंदु से 17.5 किमी तक महसूस किया गया।
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है। जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं। जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेट अपनी जगह से हिलती रहती हैं। ये घूमती रहती हैं और खिसकती रहती हैं।
ये प्लेट अमूमन हर साल करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के पास जाती है और कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं, तो भूकंप का झटका आता है। ये प्लेटें सतह से करीब 30 से 50 किमी अंदर तक हैं।
छिंदवाडा से नागपुर का धरातल डगमगा सकता है भूकंप से
भूगर्भ वैज्ञानिकों की माने तो अंधाधुंध तरीके से भूगर्भीय खुदाई और धमाकेदार ब्लास्टिंग की वजह से वन्यजीव एवं भूगर्भीय जीव जन्तुओं को प्राणों को खतरा संभव है। रहा सवाल भूकंप प्रभावित क्षेत्र जिसमें छिन्दवाडा से महाराष्ट्र के नागपुर तथा छिंदवाडा से सिवनी तथा बैतूल जिला की धरती का समतौल डगमगा सकता है।जिसके लिए यहां के सांसद विधायक और शासन प्रशासन जिम्मेदार हो सकता है?