नागपुर : डॉ नितिन तिवारी, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट- वोक्हार्ट हॉस्पिटल्स, नागपुर ने हाल ही में में आयसेनमेन्गर सिंड्रोम के रोगी पर मध्य भारत में पहली बार बैलून ट्राइकस्पिड वाल्वुलोप्लास्टी की है। अब तक इस तरह का यह पहला मामला सामने आया है। यह बैलून ट्राइकस्पिड वाल्वुलोप्लास्टी (बीटीवी) प्रक्रिया-अस्पताल के आपातकालीन विभाग में पहुंची 52 वर्षीय महिला पर की गई ।
52 वर्षीय महिला ,सांस की तकलीफ, पेट में खिंचाव, पूरे शरीर में सूजन की शिकायत के साथ वोक्हार्ट हॉस्पिटल्स में पहुंची थी। उसकी होंठ, उंगलियों, आंखे फीके नीले पड़ गए थे और उसकी त्वचा का रंग भी नीला पड़ गया था. तुरंत, उसकी 2डी-इको का प्रदर्शन किया गया जिसमें उसे ट्राइकस्पिड स्टेनोसिस के साथ आयसेनमेन्गर सिंड्रोम होने का पता चला। ट्राइकस्पिड स्टेनोसिस में हृदय के दाहिनी ओर के प्रवाह मार्ग में अवरोध रहता है, जिसके कारण उसकी पूरे शरीर में सूजन, सांस फूलना और पेट फूलना होता है।
रोगी पर बैलून ट्राइकस्पिड वाल्वुलोप्लास्टी नामक एक प्रक्रिया की गई जिसमें पेट और जांघ के बीच के भाग में एक छोटा छेद बनाया जाता है। इसके बाद गुब्बारे को चोक हो चुके ट्राइकस्पिड वॉल्व में से पार किया जाता है और फुलाया जाता है ताकि चोक हो चुके वॉल्व खुल जाए। इससे हृदय में दबाव तुरंत कम हो जाता है।
टीम में डॉ समीत पाठक, कार्डियोवैस्कुलर और थोरैसिक सर्जन और डॉ पंकज जैन चौधरी, एनेस्थेटिस्ट भी शामिल थे।
डॉ तिवारी ने बताया आयसेनमेन्गर सिंड्रोम एक बिना मरम्मत वाले हृदय दोष (छेद) की एक दीर्घकालिक जटिलता है जिसके साथ कोई व्यक्ति (जन्मजात) पैदा होता है। सिंड्रोम आमतौर पर हृदय के कक्षों के बीच एक बिना मरम्मत के जन्मजात छेद के कारण विकसित होता है ।”इस तरह के दोषों में, रक्त सामान्य रूप से नहीं बहता है । इससे फुफ्फुसीय धमनी में दबाव बढ़ जाता है। समय के साथ, यह बढ़ा हुआ दबाव रक्त वाहिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है और फेफड़ों में रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है ।
इस सिंड्रोम के कारण हृदय के दाहिने हिस्से में रक्तचाप बढ़ जाता है जिसके कारण कम ऑक्सीजन युक्त नीला रक्त बाईं ओर के ऑक्सीजन युक्त रक्त के साथ मिल जाता है।बदले में, यह रक्त में ऑक्सीजन के स्तर की समग्र सामग्री को कम करता है और त्वचा में एक नीले रंग का कारण बनता है। यह हृदय दोष के साथ पैदा हुए 1-6% रोगियों में होता है। ट्राइकस्पिड स्टेनोसिस के साथ अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।