नागपुर :- दीवाली बीतने के बाद भी खाद्य तेलों में तेजी बरकरार है जबकि आम तौर पर त्योहारी मांग खत्म होने के बाद खाद्य तेलों के दाम घटते हैं। खाद्य तेलों में तेजी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में इजाफा होना है और इसकी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध को माना जा रहा है। कारोबारियों के मुताबिक आगे भी खाद्य तेलों के दाम वैश्विक हालात पर निर्भर करेंगे।
बीते एक महीने के दौरान देश में खाद्य तेलों के दाम 15 से 30 रुपये किलो तक बढ़ चुके हैं। महीने भर में रिफाइंड सोयाबीन तेल के थोक भाव 120-125 रुपये से बढ़कर 140-145 रुपये, सरसों तेल के दाम 130-135 रुपये से बढ़कर 145-150 रुपये, सूरजमुखी तेल के भाव 130-135 रुपये से बढ़कर 160-165 रुपये प्रति लीटर हो चुके हैं। इस दौरान आयातित पामोलीन तेल के भाव 90-95 रुपये से बढ़कर 105-110 रुपये लीटर हो चुके हैं।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि रूस-यूक्रेन के बीच तनाव से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है। भारत में खाद्य तेलों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार पर काफी निर्भर करते हैं। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय तेजी के कारण देश में भी खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। खाद्य तेलों में महीने भर में 15 से 30 रुपये प्रति लीटर की तेजी आ चुकी है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर कहते हैं कि त्योहारी मांग कमजोर पड़ने से दीवाली बाद खाद्य तेल सस्ते होने की उम्मीद थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने से घरेलू बाजार में भी खाद्य तेल महंगे हुए हैं। सबसे ज्यादा तेजी सूरजमुखी तेल में 25 फीसदी की आई है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इसकी आपूर्ति पर असर पड़ा है। यूक्रेन से भारत में बड़े पैमाने पर सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है।
नागपाल ने कहा कि कि अगर रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध बंद नहीं होता है और यही स्थिति आगे बनी रहती है तो खाद्य तेलों में और उबाल आ सकता है। लेकिन मामला ठंडा पड़ने से दाम में नरमी भी संभव है।