नागपूर :- एक 57 वर्षीय व्यक्ति वोक्हार्ट हॉस्पिटल में आए और डॉ. नितिन तिवारी, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट से मिले, जो पिछले 19 वर्षों से वोक्हार्ट हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। मरीज को गंभीर हार्ट फेल्युयर की समस्या थी (हृदय की पंपिंग 25% से भी कम हो जाना) और वॉल्व लीक (माइट्रल रेगुर्गिटेशन) हो गया था। उनकी धड़कनें भी रुक गई थीं और दोनों फेफड़े तरल पदार्थ से भर गए थे। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी वह मुश्किल से सांस ले पा रहे थे और उनके छाती के दोनों तरफ पाइप लगाए गए थे, इसके अलावा वह तीन महीने से ज्यादा समय तक अलग-अलग हॉस्पिटल में भर्ती रहे थे। डॉ. तिवारी ने उनका इलाज शुरू किया और उनकी स्थिति को स्थिर करने के लिए एआईसीडी (ऑटोमेटेड इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर) लगाया। इसके बाद डॉ. तिवारी ने मरीज के लीक हो रहे वाल्व (माइट्रल रेगुर्गिटेशन) को ठीक करने का फैसला किया, जिसके कारण उनके हृदय में सूजन आ गई थी। उनकी कमजोर स्थिति और पंपिंग क्षमता को देखते हुए, छाती को खोलना एक कठिन विकल्प था ।
इसीलिए डॉ. नितिन तिवारी ने एक मिनिमली इनवेसिव ट्रांस-कैथेटर माइट्रल वाल्व रिपेयर करने का विचार किया जिसे “मित्रा क्लिप” कहा जाता है। इस प्रक्रिया में छाती खोलने और हृदय को अस्थायी रूप से रोकने की आवश्यकता नहीं होती है। “मित्रा क्लिप” प्रक्रिया में, जांघ के माध्यम से एक कैथेटर डाला जाता है (एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया की तरह) और माइट्रल वाल्व पर एक छोटा सा क्लिप लगाया जाता है ताकि वॉल्व पूरी तरह से बंद हो सके और लीक हो रही वॉल्व को रोका जा सके, जिससे हृदय में सामान्य रक्त प्रवाह बहाल हो सके।
यह प्रक्रिया सफल रही और मरीज को बाद में छुट्टी दे दी गई। डॉ. नितिन तिवारी ने बताया कि मध्य भारत में पहली बार “मित्रा क्लिप” प्रक्रिया से सर्जरी की गई। हार्ट फेल्युयर और लीक वाल्व वाले मरीजों को लेटने पर सांस लेने में तकलीफ, थकान, सूखी खांसी, पैरों में सूजन, भूख की कमी और व्यायाम करने में असमर्थता होती है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए, तो 57% लोग एक साल से अधिक जीवित नहीं रहते। डॉ. नितिन तिवारी ने डॉ. रवि बागली, डॉ. विनोद काशेटवार, अमित मुखर्जी, शांतनु, डॉ. पंकज जैन चौधरी, डॉ. अवंतिका जैसवाल, राउत, देवेंद्र, सिस्टर विद्या और सभी कैथ लैब स्टाफ का आभार व्यक्त किया और इस प्रक्रिया की सफलता के लिए धन्यवाद दिया। डॉ. नितिन तिवारी ने कहा कि यह “मित्रा क्लिप” प्रक्रिया इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।