वर्षों से ठेकेदारी पंजीयन ‘लैप्स’ लेकिन होती रही भुगतान 

– प्रभारी मुख्य अभियंता मनोज तालेवार सहित सभी संबंधितों की अहम् भूमिका 

नागपुर :- नागपुर महानगरपालिका में ‘अंधेर गर्दी चौपट राजा’ का राज चल रहा हैं. यह ऐसी सरकारी संस्था हैं जहाँ सब मुमकिन हैं,फ़िलहाल प्रशासक राज के साए में नागपुर शहर हैं.जिसे भी देखो या मिलो,सब के सब प्रशासक का नाम लेकर खुद को व्यस्त बतला रहे.इस दिनों एक मामला प्रकाश में आया कि 3 ठेकेदार मनपा को वर्षो से चुना लगा रहे,इनका ठेकेदारी पंजीयन 5 वर्ष पूर्व ‘लैप्स’ हो गया,उसके बाद भी ई-गवर्नेंस के मार्फ़त बिल आगे बढ़ता रहा,आज की सूरत में जितने भी जायज या बोगस बिल बने सभी का भुगतान बोगस ‘वर्कआर्डर’ के आधार पर कर दिया गया.

मनपा के लोककर्म विभाग के सूत्रों की माने तो मनपा मुख्यालय और मनपा आयुक्त के बंगले के सालाना रखरखाव के लिए एक ‘मद’ हैं. इस ‘मद’ में एक ही ठेकेदार की तीन फर्म का पंजीयन का बोलबाला रहा.जिसमें AM BIND,MR BIND और SP SURYAWANSHI का समावेश हैं.

तीनों के ठेकेदारी पंजीयन पिछले 5-6 साल पहले ‘लैप्स’ हो चूका,जिसका ‘रिनुअल’ आजतक नहीं करवाया गया.बावजूद इसके उक्त तीनों फर्म का बोगस बिल ‘ई-गवर्नेंस’ के मार्फ़त आगे बढ़ते हुए वित्त विभाग पहुँचता रहा और वित्त विभाग ने करोड़ों का भुगतान भी कर दिया।

उक्त अवैध कृत के जिम्मेदार CE मनोज तालेवार,सेवानिवृत्त EE सोनकुसरे,वर्त्तमान EE चौहाण और प्रस्ताव तैयार करने वाले मानकर सहित ई-गवर्नेंस के स्वपनील लोखंडे का समावेश था,सभी लाभार्थी होने के कारण सभी ने उक्त तीनों फर्म के प्रस्तावों पर आँख मूंद कर हस्ताक्षर कर रहे थे.

आयुक्त की चुप्पी लाजमी हैं….. 

इसी मद के तहत मनपा आयुक्त के बंगले का रखरखाव अबतक हुआ करता था,सम्बंधित JE को मनपा आयुक्त बंगले से या उनके नाम पर उनके ड्राइवर,कर्मी मनमानी डिमांड किया करते थे,जिसे शिद्दत से पूरा किया जाता था,नतीजा इससे पहले तक के आयुक्त उक्त अवैध कृत की ओर ध्यान नहीं देते थे,कहावत सही भी हैं….. चिराग तले अँधेरा

49-49 हज़ार के सैकड़ों बोगस फाइल बने और भुगतान हुए 

उक्त सभी सम्बंधित अधिकारियों और तीनों ठेकेदार फर्म के मध्य इतनी बढ़िया गठबंधन था/है कि तीनों के ठेकेदारी पंजीयन के बाद से अबतक 800 से 900 बोगस प्रस्ताव तैयार हुए.जिनका बोगस WORK ORDER तैयार होता था,वह इसलिए क्यूंकि वित्त विभाग से बिल आसानी से निकाला जा सके.

उक्त मामले को मनपा प्रशासक और सम्बंधित अधिकारियों नई गंभीरता से नहीं लिया तो उक्त मामले को लेकर जल्द ही एमओडीआई फाउंडेशन उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर जनता के कर के पैसों के दुरूपयोग करने वाले को नियमानुसार सजा दिलवाने हेतु गुहार लगाएगी।जिससे होने वाले नुकसान की जिम्मेदार मनपा प्रशासक की होगी।

 

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