विश्व का सबसे छोटा कार्यरत चरखा बनाकर अपना ही रिकार्ड तोडा

– महात्मा गांधी के विचारो से प्रेरित होकर घर में ही बनाया एक छोटा संग्रहालय तथा विश्व का सबसे छोटा कार्यरत चरखा बनाकर अपना ही रिकार्ड तोडा, 

नागपुर :-झिंगाबाई टाकली, नागपुर निवासी तथा प्रधान महालेखाकार कार्यालय में वरिष्ठ लेखापाल के पद पर कार्यरत जयंत तांदूळकर इन्हे बचपन से ही सृजनात्मक तथा रचनात्मक नई-नई कलाकृतिया बनाने का शौक है, तथा विविध विषयों पर वस्तु संग्रह तथा ऐतिहासिक फोटो, सिक्के , नोट, डाक टिकट संग्रह करने का भी शौक है । जब जब उन्हें खाली वक्त मिलता तो वह विविध कलाकृतियां बनाने में लगे रहते है, या तो अपने निजी संग्रह के रखरखाव में लगे रहते।

…आजादी के पूर्व काल में चरखा यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के स्वतंत्रता आंदोलनका प्रमुख अहिंसक शस्त्र था, महात्मा गांधी ने स्वदेशी चीजे आपनाने का संकल्प दिया तथा चरखे के जरिए आत्मनिर्भर भारत की नीव रखी थी,….. जयंत तांदुळकर ने भी अपने कला के माध्यम से इस गांधी विचार धारा से जुड़कर कुछ विशेष करने के लिए महात्मा गांधीजी के अहिंसक शस्त्र याने की सूत कताई के चरखे के विविध आकार में अनेको प्रतिकृतिया बनाई,..इसमें एक चरखा जिसकी लंबाई 2.94 मिली मीटर है, 2.40 मिली मीटर चौड़ाई है, 2.74 मिली मीटर ऊंचाई है तथा वजन 30 मिलिग्रम हैं,… जयंत तांदुळकर के मतानुसार यह दुनिया का सबसे छोटा कार्यरत चरखा है, जिसका “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड 2024” में नाम दर्ज हो चुका है ।

इस चरखे को बनाने के लिए छोटे आकार की लकड़ी, स्टील तार, तथा कपास धागे का इस्तमाल किया । इस चरखे की विशेषता यह है की इतने छोटे आकार का होने के बावजूद पूरी तरह से कार्यरत चरखा है, इस पर कपास से धागा पिरोया जा सकता है, लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड के अलावा इस चरखे का “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड” तथा “एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड” में भी नाम दर्ज है,…तथा यह चरखा उन्होने अपने ही पिछले “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड 2023” को तोड़ कर बनाया है, जिसकी लंबाई 3.20 मिली मीटर, 2.68 मिली मीटर चौड़ाई। 3.06 मिली मीटर ऊंचाई तथा वजन 40 मिलिग्राम था ।.. उसी प्रकार इनके निजी संग्रह में महात्मा गांधीजी के बचपन से लेकर आखरी तक के जीवन संघर्ष तथा भारत के आजादी के सत्याग्रह आंदोलन से जुड़ी 350 से भी अधिक फोटो का संग्रह है। महात्मा गांधी पर भारतीय डाक ने निकाले हुए अभी तक के नियत कव्हर उसमे चार्ली चैपलिन के साथ गांधीजी पर निकला प्रथम दिवस आवरण तथा 150 वी जयंती के अवसर पर देश और दुनिया के डाक घरों ने निकाले हुए विशेष 250 कव्हर का संग्रह उनके पास है, स्वतन्त्रता की पहली वर्षगाठ पर महात्मा गांधी पर भारतीय डाक ने डेढ़ आने, साढ़े तीन आने, बारह आने, और दस रूपये के चार टिकट जारी किए थे, इन पर हिंदी और उर्दू में बापू लिखा है इसमें से दस रुपये के अलावा बाकी तीन टिकट इनके संग्रह में है। आजादी के बाद 1969 में महात्मा गांधी तथा कस्तूरबा गांधी पर निकला 20 पैसे का संयुक्त डाक टिकट जो की महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी के अवसर पर जारी किया किया गया था, यह भी उनके संग्रह में है। इस टिकिट के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई थी की जिंदगी और आजादी की लढाई में दोनों ने कैसे एक दूसरे का साथ निभाया । . भारत गणराज्य को 50 वर्ष होने के उपलक्ष्य में सन 2000 में निकाला गया डाक टिकट जिस पर भारत के प्रसिद्ध चित्रकार रंगा द्वारा बनाया गया महात्मा गांधीजी का अद्भुत रेखाचित्र है। जिसपर महात्मा गांधी को भारत के नक्शे की तरह प्रस्तुत किया गया है तथा यह ऐसा एकमात्र डाक टिकट है जिस पर गांधीजी को “राष्ट्रपिता” संबोधित किया गया था, यह भी उनके संग्रह में है।….सन 1995 में जारी “महात्मा गांधी” नाम से 2 डाक टिकट …सन 2005 में जारी “नमक सत्याग्रह के 75 वर्ष” पर निकाले चार टिकट…. सन 2007 में जारी “सत्याग्रह की शतवार्षिकी” के चार टिकट …. महात्मा गांधी पर सन 2011 में जारी “खादी से निर्मित विश्व का सर्व प्रथम डाक” ..सन 2013 में जारी “फिलेटली दिवस” पर निकला डाक टिकट . सन 2015 में “अहिंसा परमो धर्म: नाम से जारी 2 डाक टिकट ” सन 2018 में जारी “महात्मा गांधी के साथ पीटरमारिटजबर्ग स्टेशन पर हुई घटना के 125 वर्ष तथा नेल्सन मंडेला की जन्मशती” के सयुक्त 2 डाक टिकिट। गांधीजी के 150 वी जयंती के उपलक्ष्य मे भारत मे पहली बर जारी हुये अष्टकोनीय डाक टिकट जारी किए गए थे जिसमे बचपन से लेकर महात्मा तक का सफर प्रस्तुत हुआ है इनमे उनके तीन बंदर के अलावा उनका बाल किशोर और गांधी टोपी वाले रूप को भी पहली बार डाक टिकटों पर देखने को मिला यह भी उनके संग्रह में है । तथा गांधीजी के 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में भारत में पहली बार सात गोल सर्कल आकार में डाक टिकट निकाले, जीस पर लिखा है “मेरा जीवन ही मेरा संदेश” इसके जरिए गांधीजी के हर एक टिकट के माध्यम से एक, ऐसे ही सात मौलिक संदेश जारी किए गए यह भी उनके संग्रह में है। वर्ष 2017 में जारी किया गया “1942 स्वंतत्रता आंदोलन” श्रृंखला के आठ टिकट,

तथा महात्मा गांधी पर सांडा आयलंड ने निकाला थ्रीडी चार तिकीट का ब्लॉक भी उनके संग्रह में है । इसी प्रकार महात्मा गांधी पर देश तथा विदेश में भूतान, लायबेरिया , रिपब्लिक कांगो, श्रीलंका, युनायटेड अरब अमीरात, इराण, पॅलेस्टिनी, मोझाम्बिक करिओस, नायजेरिया, मालावी, येमन, चीली, माल्टा, तुर्कमेनिस्तान, माग्यार , सुरीनाम, फुजेरिया , कांगो, व्हेनेझुएला, साऊथ आफ्रिका आदी अनेको देशो ने निकाले डाक टिकट तथा भारत सरकार ने महात्मा गांधी पर निकाले सभी सिक्को तथा नोटो का संग्रह, तथा हुंडी नोटो का संग्रह भी उनके पास है ।… जयंत तांदुळकर अपनी कला तथा इस संग्रह के माध्यम से महात्मा गांधीजी का अहिंसा और शांती का संदेश तथा आत्मनिर्भरता का संदेश देश दुनिया को देना चाहते है ।

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