– प्रथम प्राथमिकता सभी सीटें कांग्रेस कोटे में आये,दूसरी प्राथमिकता सीट भले ही एनसीपी/सेना को जाए लेकिन उम्मीदवार इनका करीबी होगा
नागपुर :- लोकसभा चुनाव में करिश्मा दिखाने वाले पूर्व कांग्रेसी विधायक सुनील केदार की महत्वकांक्षा अब अति हो गई है,इसलिए इस विधानसभा चुनाव में रामटेक लोकसभा चुनाव क्षेत्र अंतर्गत सभी 6 विधानसभा क्षेत्र से उनका पसंदीदा,करीबी सह डमी उम्मीदवार को टिकट दिलवाने के लिए दिल्ली,मुंबई का दौरा कर कांग्रेस,एनसीपी शरद पवार और उद्धव ठाकरे सेना को मनाने की कोशिश क्या उनके सामने जिद्द कर रहे है,वह यह कि आपको कोटे का सीट चाहिए या फिर MLA क्यूंकि सरकार बनाने के लिए MLA की जरुरत पड़ती हैं.
इस क्रम में अबतक मिली जानकारी के अनुसार केदार की जिद्द कायम है.लोकसभा चुनाव में बबलू बर्वे को जिताकर सम्पूर्ण क्षेत्र पर एकाधिकार कर चुके हैं.केंद्रीय निधि/प्रकल्प के लिए गडकरी उन्हें बिंदास मदद करने वाले हैं,इसलिए गडकरी के किसी भी कार्यक्रम में बबलू बर्वे आमंत्रित रहते है.गडकरी इसलिए भी केदार को मदद करते है क्यूंकि उन्हें भाजपा के विधायकों को कंट्रोल करने में केदार की जरुरत पड़ती ही हैं,यह कड़वा सत्य हैं.
सावनेर : राजीव पोद्दार बनाम केदार परिजन
इस क्षेत्र के लगातार विधायक सुनील केदार रहे है,बैंक घोटाले के कारण उन्हें विधायकी खोनी पड़ी.उसी के पूर्व उनका विश्वासपात्र कुंभारे उनसे किसी विशेष बात को लेकर अलग हो गया और भाजपा में शामिल हो गया.इन्हें आशा थी कि भाजपा इन्हें इस चुनाव में उम्मीदवार बनाएगी लेकिन नितिन गडकरी का गृहक्षेत्र होने के बावजूद गडकरी हमेशा से ही केदार के पक्ष में रहे.इस चुनाव में भी गडकरी राजीव पोद्दार को पुनः उम्मीदवार बनाने वाले है ताकि केदार परिजन का रास्ता आसान हो जाए.
काटोल : अनिल/सलिल देशमुख बनाम चरणसिंह ठाकुर/आशीष देशमुख
काटोल विधानसभा क्षेत्र से लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे अनिल देशमुख के खिलाफ इस दफे ANTI INCOMBENCY है,दूसरी ओर इस क्षेत्र से सलिल देशमुख चुनाव लड़ने को इच्छुक हैं.तीसरा इस सीट से कौन लड़ेगा अर्थात एनसीपी शरद पवार पर किसी विशेष के लिए केदार दबाव बनाए हुए हैं.विपक्ष अर्थात भाजपा इस सीट से आशीष देशमुख को मैदान में उतारेगी तो लड़ाई कांटे की होगी लेकिन गडकरी चरणसिंह के पक्ष में नज़र आ रहे.फ़िलहाल मामला अधर में लटका हुआ है,इस क्षेत्र के विशेष क्षेत्र पर सतीश शिंदे प्रभाव रखते है लेकिन अजित पवार उन्हें तरजीह न दिए जाने से बगावत कर एनसीपी शरद पवार में आ गए तो सतीश शिंदे को केदार मदद करेंगे,क्यूंकि दोनों के मधुर संबंध हैं.वही आशीष को उम्मीदवारी मिली और कही जीत गए तो जिले में केदार के लिए सरदर्द साबित होंगे।
हिंगणा : समीर मेघे बनाम शरद एनसीपी / कुंदा राउत
मेघे और केदार के मध्य खुली राजनैतिक जंग चरम सीमा पर पहुँच चुकी हैं.पिछले 2 बार से विधायक रहे भाजपा के समीर मेघे को सुनील केदार खुली चुनौती दे रहे कि हैट्रिक कैसे बनाते है,इस बार….. वही दूसरी ओर समीर मेघे विनम्रता से चुनावी तैयारी में भीड़ गए हैं.
राजनैतिक विडम्बना यह है कि यह सीट एनसीपी शरद पवार के कोटे में है,उनसे यह सीट छीनने के लिए केदार भिड़े हुए है,अगर कांग्रेस कोटे में यह सीट आई तो केदार का उम्मीदवार कुंदा राऊत होगी,अगर एनसीपी कोटे में ही रहा तो हिंगणा की एनसीपी की ZP सदस्या उम्मीदवार हो सकती हैं.
कामठी : बावनकुले बनाम सुरेश भोयर
आर्थिक रूप से अति सक्षम भाजपा उम्मीदवार चंद्रशेखर बावनकुले की उम्मीदवारी घोषित होते ही कांग्रेस को सक्षम उम्मीदवार नहीं मिल रहा,या यूँ कहिये कांग्रेसी सक्षम उम्मीदवार बावनकुले के खिलाफ लड़ने को इच्छुक नहीं।नतीजा हमेशा चुनाव लड़ने को आतुर एवं केदार का बेहद करीबी सुरेश भोयर को पुनः उम्मीदवारी दिलवाने का प्रयास केदार खुद कर रहे हैं.इसके अलावा कई कांग्रेसी टिकट मांग रहे लेकिन उन्हें टिकट इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला।
रामटेक : आशीष जायसवाल बनाम प्रकाश जाधव/ केदार समर्थक
रामटेक से लगातार प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता आशीष जैस्वाल पुनः शिंदे शिवसेना के उम्मीदवार घोषित हुए.इनके चिरविरोधी पूर्व भाजपा विधायक मल्लिकार्जुन रेड्डी को उसके पहले पक्ष से निष्काषित कर दिया गया.इससे रेड्डी समर्थक सह कई भाजपाई जैस्वाल विरोधी हो गए,रेड्डी का निष्कासन जैस्वाल के जीत में विघ्न पहुंचा सकता हैं.
दूसरी ओर यह सीट शिवसेना उद्धव गुट होने के कारण इस गुट के विशाल बरबटे ने मिली आश्वासन के आधार पर तैयारी शुरू कर दी,लेकिन केदार ने AB लाने का वादा प्रकाश जाधव से करते हुए शांत बैठने और चुनाव क्षेत्र में घूमने का निर्देश दिया हैं.लेकिन इस बीच यह भी खबर है कि यह सीट भी केदार कांग्रेस कोटे में लेकर किसी विशेष को कांग्रेस टिकट पर खड़ा कर उसके लिए दम लगा सकते हैं.
उमरेड : राजू पारवे बनाम रश्मि बर्वे/दर्शनी धवड
उमरेड के विधायक राजू पारवे है,वे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए शिंदे सेना में चले गए थे,लेकिन हार गए ,जहाँ कांग्रेस का डमी उम्मीदवार जीत कर आया.इन्हें संभवतः शिंदे सेना MLA चुनाव में उतारने वाली है,इसके खिलाफ केदार कांग्रेस कोटे से रश्मि बर्वे या दर्शनी धवड को उतारने के लिए प्रयासरत है,जबकि यह क्षेत्र कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेंद्र मूलक का चुनावी क्षेत्र रहा है,उन्हें बतौर जिलाध्यक्ष केदार महत्त्व नहीं देने के कारण मूलक राजनैतिक रूप से अस्वस्थ्य हो गए हैं.
उल्लेखनीय यह है कि इस चुनाव में जहाँ तक नागपुर जिले का मामला है,कांग्रेस के पर्यवेक्षक नागपुरी मुकुल वासनिक और अविनाश पांडे ने भी चुप्पी साध क्या सन्देश देना चाह रहे,सभी के समझ से परे हैं.