– दम हो तो शहर के तमाम होर्डिंग का संरचनात्मक लेखा परीक्षण( STRUCTURAL AUDIT) करके दिखाएं मनपा प्रशासक अभिजीत चौधरी व विभाग प्रमुख मिलिंद मेश्राम
नागपुर :- नागपुर महानगरपालिका में एक ही पद पर रहते हुए वर्षों से कई विभाग की जिम्मेदारी सँभालने वालों की लम्बी फेरहिस्त हैं.इस क्रम में CLASS 4 से लेकर तथाकथित आयुक्त स्तर के कर्मी/अधिकारियों का समावेश हैं.ऐसे सभी ‘दीमक’ का रूप ले चुके है और मनपा सह शहर का नुकसान कर रहे है क्यूंकि मनपा प्रशासक खुद निष्क्रिय हैं इसलिए सबकी मनमर्जी सर चढ़ के बोल रही हैं.
ऐसे में घाटकोपर में हुई घटना के मद्देनजर नागपुर मनपा होर्डिंग्स का सर्वेक्षण करने का ब्यान ‘थोथा’ हैं. क्यूंकि शहर में होर्डिंग व्यवसाय में नेताओं की पार्टनरशीप हैं और जिम्मेदार अधिकारी/विभाग प्रमुख भी नेता का रिश्तेदार है और तो और नेताओं के आशीर्वाद से विभाग प्रमुख विज्ञापन विभाग की जिम्मेदारी लगभग एक दशक से संभाल रहा हैं.
उक्त समीकरण के हिसाब से किसी भी होर्डिंग और होर्डिंग एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं होने वाली है,सिर्फ गरमाया मामला शांत करने के लिए ‘थोथी’ ब्यानबाजी दी जा रही हैं.
पुरानी कहावत है एक ही पद या विभाग में वर्षों से कुंडली मार कर बैठने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता हैं.मनपा विज्ञापन विभाग का मुखिया सह सिमित कर्मी वर्षो से कुछ ऐसा ही कर रहे हैं.
मनपा हद्द में कितने वैध या अवैध होर्डिंग है इसकी जानकारी होने के बावजूद आजतक कोई कार्रवाई नहीं,नियमानुसार होर्डिंग का टेंडर नहीं,एक्सटेंशियन पर एक्सटेंशियन देकर मलाई खाई जा रही है.
होर्डिंग के लिए वर्षो पहले तैयार की गई OUTDOOR ADVERTISMENT POLICY का पालन नहीं,इस हिसाब से आज अगर सख्त कार्रवाई हुई तो हज़ारों होर्डिंग को हटाना पड़ेगा।
सबसे बड़ी बात शहर में गिने चुने होर्डिंग एजेंसी है,जिसके ‘साइलेंट पार्टनर’ दर्जनों सफेदपोश नेता हैं.कुछ सत्तापक्ष के तो कुछ विपक्षी दलों के.पक्ष- विपक्ष के नेता मंडली अपने अपने होर्डिंग एजेंसी के पक्ष में सक्रिय रहते हैं.विभाग प्रमुख भी नेता का रिश्तेदार होने से नेताओं के होर्डिंग एजेंसी के खिलाफ कोई एक्शन लेने का हिम्मत जुटा नहीं पाता है,अगर ऐसा किया तो पदमुक्त हो जाएगा और मलाई से भी महरूम हो जाएगा।विभाग प्रमुख की दोहरी भूमिका से मनपा को चुना लग ही रहा हैं,तो विभाग के कर्मी भी विभाग के बजाय एजेंसी के पक्ष में ज्यादा सक्रिय देखे जाते हैं.
उक्त स्थिति के हिसाब क्या मुमकिन है कि शहर के तमाम होर्डिंग का संरचनात्मक लेखा परीक्षण( STRUCTURAL AUDIT) असंभव है,इसके लिए नागपुर जिले के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस को गंभीरता दिखानी होगी,जो मुमकिन नहीं। अगर ऑडिट की बात आएगी तो टीम/इंफ्रा मनपा के पास नहीं,फिर ऐसे में विभाग प्रमुख विज्ञापन एजेंसी के हित में एक आदेश जारी करेगा कि अपने अपने होर्डिंग का ऑडिट रिपोर्ट पेश करो,जो देर से करेगा उसे कारण बताओ नोटिस के बाद मुक्ति दे दी जाएगी,कुछ इस तरह होगा शहर के तमाम होर्डिंग का STRUCTURAL AUDIT और मजे में रहेंगे विभाग प्रमुख,कर्मी सह मनपा प्रशासक !