नई दिल्ली- देश में मांग के अनुरूप कोयले की औसतन 219.616 मिलियन टन की कमी बनी हुई है। लिहाजा इतना ही कोयला विदेशों से आयात करना पड़ रहा है।हालांकि Ministry of Coal ने अनावश्यक आयात में कमी लाने के लिए 2023-24 तक एक बिलियन टन कोयला उत्पादन के रोड मैप तैयार किया है। इसके तहत शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं वाणिज्यिक खनन को मंजूरी दी गई है।
इधर, Ministry of Coal द्वारा कोयले का आयात कम करने की बात निरंतर कही जा रही है, लेकिन दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि, घरेलू उत्पादन से कोयले की संपूर्ण मांग को पूरा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आयात के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है।
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि, देश में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले/कम रखवाला कोयला की आपूर्ति सीमित है और इस प्रकार कोकिंग कोयले का आयात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। इसके अलावा मिश्रण उद्देश्यों के लिए अपेक्षित आयातित कोयले और उच्च ग्रेड वाले कोयले पर डिजाइन किए गए विद्युत संयंत्र द्वारा आयातित कोयले को घरेलू कोयले द्वारा प्रति स्थापित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान आयत नीति के अनुसार कोयले को ओपन जनरल लाइसेंस के तहत रखा गया है और उपभोक्ता लागू ड्यूटी के भुगतान पर अपनी पसंद के स्रोत से कोयला आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं।
देखें विगत पांच वित्तीय वर्षों में कोयले की मांग, आपूर्ति एवं आयात के आंकड़े (मिलियन टन में)
2016- 17
मांग : 836.93
घरेलू आपूर्ति : 645.98
विदेश से आयात : 190.95
2017- 18
मांग : 898.25
घरेलू आपूर्ति : 690.00
विदेश से आयात : 208.25
2018-19
मांग : 968.14
घरेलू आपूर्ति : 732.79
विदेश से आयात : 235.35
2019-20
मांग : 955.72
घरेलू आपूर्ति : 707.18
विदेश से आयात : 248.54
2020- 21
मांग : 905.88
घरेलू आपूर्ति : 690.89
विदेश से आयात : 214.99