नागपूर – ऐसा लगता है की निगम प्रशासन में कार्यरत उच्चपदस्त अधिकारीयों की प्रसाशन में या तो पकड़ ढीली हो गयी या फिर उच्चपदस्त अधिकारीयों के आशीर्वाद से आर्थिक घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है. हाल ही में नागपुर महानगर पालिका में ऐसा ही एक आर्थिक घोटाला सामने आया है जिसमे निगम के विभिन्न विभागों में सामग्री आपूर्तिकर्त्ता कंपनियों को बिना सामग्री आपूर्ति किये लाखो रुपयों का भुगतान कर दिया गया है.
आश्चर्य की बात है की एक कंपनी को लाखो रूपए का चेक दे दिया गया था लेकिन कंपनी के मालिक द्वारा चेक बैंक में जमा कर भुनाया नहीं गया था अतः निगम द्वारा वापिस मांगने पर बड़े प्यार से कंपनी ने चेक लौटा दिया और निगम प्रशासन ने हसते हसते चेक को वापिस भी ले लिया. नागपुर म्युनिसिपल कारपोरेशन एम्प्लाइज इस घोटाले को काफी गंभीरता से लेती है और मांग करती है की इस घोटाले के तह में जाकर जांच करने की आवश्यकता है.
जिन कंपनियों के नाम सामने आ रहे है उनके नामो से ही उनके मालकों का उनकी राजकीय एवं वैचारिक रिश्तो का संकेत मिलता है. आखिर ऐसी क्या बात है की घोटालेबाजो ने खास आरोग्य विभाग को ही अपना ख़ास निशाना बनाया है. इतना बड़ा घोटाला बहुते ही शातिर एवं योजनाबद्द तरीके से अंजाम दिया गया है अतः इस घोटाले में उच्चपद्दस्त अधिकारीयों एवं पदाधिकारियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
इस पुरे मामले में निगम आयुक्त मा. राधाकृष्णन बी ने जो तत्परता दिखाई है यूनियन उनकी सरहाना करता है. भ्रष्टाचार के मामलो में कर्मचारी संघठनो की चुप्पी धक्कादायक है.