– 250 करोड़ रुपये चाहिए सरकार से
नागपुर :- स्वास्थ्य विभाग जिला परिषद ने जिले में 22 ऐसी पीएचसी इमारतों को चिह्नित किया है जिन्हें तोड़कर नई इमारत बनाने की जरूरत है.
इमारतें वर्ष 1983-1984 की हैं. 40 वर्ष पुरानी इमारतें जीर्ण हो रही हैं. खतरों के बीच यहां मरीजों का उपचार चल रहा है. सरकार ग्रामीण व दुर्गम भागों में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने की बात तो करती है लेकिन इसके लिए निधि देने में भारी उदासीनता बरती जा रही है. 4 दशक पुरानी जर्जर इमारतों पर चल रहे पीएचसी में बारिश के दौरान सीपेज और लीकेज इतना होता है कि मरीजों का उपचार करने के लिए जगह नहीं बचती. ऐसी इमारतों को गिराकर नई इमारत बनाने की जरूरत है जिसके लिए 250 करोड़ रुपयों की जरूरत है लेकिन सरकार द्वारा निधि नहीं मिलने के चलते कार्य लटके हुए हैं.
DPC से मांगी है निधि
कुछ पीएचसी के निर्माण के लिए विभाग ने डीपीसी से फंड की मांग की है लेकिन अब तक नहीं मिला है. उपाध्यक्ष व स्वास्थ्य समिति सभापति कुंदा राऊत ने बताया कि जीर्ण इमारतों को गिराकर नई इमारत निर्माण की जरूरत है जिसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है. कुछ पीएचसी के लिए डीपीसी से निधि की मांग भी की गई है. इसके अलावा अनेक पीएचसी व सब-सेंटरों की मरम्मत के लिए निधि निधि की जरूरत है. बीते 2 वर्षों से सरकार से कोई निधि नहीं मिलने के चलते मरम्मत के कार्य भी लटके हुए हैं. बारिश के दिनों में छतें टपकती हैं और दीवारों से पानी का रिसाव होता है जिसके कारण कुछ पीएचसी में ऑपरेशन थिएटर भी बंद करना पड़ता है.
10 करोड़ से अधिक की लागत
एक पीएचसी निर्माण के लिए करीब 10 करोड़ रुपयों से अधिक की निधि लगती है. जिले की 22 पीएचसी इमारतों को गिराकर नई बनाने के लिए लगभग 250 करोड़ रुपयों की जरूरत है. सरकार से उक्त निधि की मांग की गई है. भिवापुर तहसील में नांद, जवली, हिंगना में अड़ेगांव, टाकलघाट, कमठी में गुमथी, काटोल में कचारी सावंगा, कुही तहसील में माढेल और बेलतूर, मौदा में कोंदामेंढी और तारसा पीएचसी को नया बनाने की जरूरत है. वहीं नागपुर ग्रामीण में बोरखेड़ी, नरखेड़ में मेंढला, मोवाड़, जलालखेड़ा, पारशिवनी में नवेगांव खैरी, साटक, रामटेक में नगरधन, हिवराबाजार और मनसर, सावनेर में चिंचोली व बड़ेगांव और उमरेड तहसील में मकरधोकड़ा पीएचसी की इमारतें 40 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं.