नागपूर :- डॉ. विंकी रूघवानी, बालरोग तज्ञ व अध्यक्ष थैलेसिमिया व सिकलसेल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने बजट २०२३ के अनुसार “सिकलसेल एनीमिया मिशन जागरूकता 2023-2047” की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का धन्यवाद् माना। बुधवार को अपने केंद्रीय बजट 2023-24 के भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि मिशन के तहत शून्य से 40 साल की उम्र के सात करोड़ लोगों की जांच की जाएगी। सरकार 2047 तक सिकलसेल एनीमिया (एससीए) को खत्म करने के लिए एक मिशन शुरू करेगी। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पहल की घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री ने संसद को बताया की “मिशन जागरूकता पैदा करेगा”, प्रभावी जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 वर्ष की आयु के सात करोड़ लोगों की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग और केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकार के सहयोगी प्रयासों के माध्यम से परामर्श देगा। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि निजी अनुसंधान और विकास टीमों के लिए चुनिंदा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) प्रयोगशालाओं की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
सिकलसेल एनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने वाला एक सामान्य अनुवांशिक विकार है। यह दोषपूर्ण ‘बीटा ग्लोबिन’ जीन वाले माता-पिता द्वारा प्रेषित होता है। रोग जीवन में जल्दी शुरू होता है। प्रभावित लोगों में लगातार दर्द, कम हीमोग्लोबिन, कम ऊर्जा, अन्य असामान्यताओं के साथ कम वृद्धि और लगातार गंभीर दर्द होता है। अधिकांश आनुवंशिक विकारों की तरह सिकलसेल रोग का इलाज करना कठिन है, लेकिन दर्द, एनीमिया और वासो-ओक्लूसिव संकट के लिए रोगसूचक उपचार हैं। यह बीमारी जनजातीय आबादी के साथ-साथ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में सामान्य आबादी में प्रचलित है। लगभग 0.4% आबादी सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित है, जबकि 10% वाहक हैं जो नए रोगियों को जन्म देते हैं।
डॉ. विंकी रूघवानी ने कहा की सिकलसेल एनीमिया की तरह थैलेसिमिया भी अनुवांशिक व गंभीर रोग हैं। सरकार की और से थैलेसिमिया इस बीमारी के लिए भी इस तरह के मिशन की शुरुवात करनी चाहिए ताकि भारत देश सिकलसेल व थैलेसिमिया रोग मुक्त देश हो।