…..तो राष्ट्रपति के काफिले में घुस जाएंगे मवेशी, पूरे मार्ग पर आवारा पशुओं का डेरा 

नागपुर :- आगामी 1 दिसंबर को शहर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आगमन होना है. सुबह एयरपोर्ट से वे सीधे राजभवन जाएंगी. दोपहर को कुकड़े लेआउट में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन उनके हाथों होगा.

इसके बाद वे मेडिकल अस्पताल के प्रांगण में आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी.

दूसरे दिन राजभवन से उन्हें सुरेश भट सभागृह में नागपुर विद्यापीठ के कार्यक्रम में हिस्सा लेना है और वहां से एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान करेंगी. 2 दिवसीय दौरे पर वे अन्य स्थानों पर भी भेंट दे सकती हैं. सुरक्षा और यातायात का प्रबंध तो पुलिस विभाग कर ही लेगा. इसकी तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं लेकिन अधिकांश सड़कों पर आवारा पशुओं ने डेरा डाल रखा है. ऐसे में वीआईपी मूवमेंट के दौरान कभी भी काफिले के बीच आवारा मवेशी घुस सकते हैं. इससे दुर्घटना होने का भी खतरा है.

विशेषतौर पर अजनी पुलिस स्टेशन से शताब्दी चौक के बीच यह समस्या ज्यादा है. कुकड़े लेआउट में वैसे भी आवागमन को लेकर परेशानी होने वाली है. मंदिर से करीब 100 मीटर दूरी पर डिवाइडर कटिंग है. संकरा रास्ता होने के कारण यहां वैसे भी काफिले के वाहनों को मोड़ने में काफी परेशानी होगी. ऐसे में कार्यक्रम स्थल के आसपास ही दिनभर मवेशी रहते हैं. पुलिस लोगों को तो कंट्रोल कर सकती है लेकिन मवेशियों को रास्ते पर आने से रोकना बड़ी समस्या है.

कुकड़े लेआउट परिसर के दूध विक्रेताओं ने अपने घरों में ही तबेले बना रखे हैं. रोजाना उनके मवेशी रास्तों पर घूमते हैं. इस मार्ग के डिवाइडर को सुंदर बनाने के लिए पेड़-पौधे लगाए गए हैं. पौधों के आसपास जंगली झाड़ भी उग गए हैं. दिनभर मवेशी डिवाइडर पर लगे पौधों को चरते दिखाई देते हैं.

ऐसे में राष्ट्रपति के काफिले के बीच मवेशी आ गए तो बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. यही हाल सदर और ग्रेट नाग रोड पर भी दिखाई देता है. ग्रेट नाग रोड पर भी दिनभर मवेशी रास्ते पर बैठे दिखाई देते हैं. राष्ट्रपति के काफिले में शामिल वाहन बिल्कुल एक कतार और समान स्पीड में चलते हैं. ऐसे में यदि कोई मवेशी काफिले के बीच आ गया तो एक के पीछे एक वाहनों में भिड़ंत भी हो सकती है.

मालिकों पर की जाए कानूनी कार्रवाई

नागरिक क्षेत्र में जानवर पालने वालों के लिए कानून भी बनाया गया है. कानून होने के बावजूद न तो कोई ध्यान देता है और न एक्शन होता है. दूध विक्रेता खुद मवेशियों को चारा डालने की बजाय रास्ते पर चरने छोड़ देते हैं. दूध बेचकर मलाई खाते हैं. नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले मवेशियों के मालिकों पर सख्त एक्शन लेने से ही यह समस्या हल हो सकती है.

प्रशासन उनके मवेशी जब्त कर सकता है. कानून की धारा 3,13 के तहत मामला दर्ज कर दंडित किया जा सकता है. झिंगाबाई टाकली से गोधनी रोड पर इसी तरह मवेशियों का डेरा रहता था. आए दिन ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं होती थीं. इस पर तत्कालीन थानेदार वजीर शेख ने कानूनी तौर पर सख्ती की. तबेला चलाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. सभी को नोटिस भी जारी किए गए थे लेकिन इसके बाद कभी दूध विक्रेताओं पर कार्रवाई नहीं हुई.

पहले भी हो चुका है हादसा

इसके पहले भी वीआईपी मूवमेंट के दौरान मवेशियों के कारण दिक्कत हुई है, इसीलिए इस समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. महानगरपालिका के पास मवेशियों को पकड़ने के लिए स्वतंत्र दस्ता है. आमतौर पर तो यह दस्ता सक्रिय नहीं दिखता लेकिन राष्ट्रपति का आगमन होगा, कम से कम अब तो प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा. इसके पहले राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के काफिले के बीच मवेशी घुस गए थे. उस समय वे असम के राज्यपाल थे. सुरक्षा एजेंसियों ने इसे सुरक्षा में नजरअंदाजी करने का मामला बताया था. कम से कम पुलिस और मनपा को साथ मिलकर काम करना होगा जिससे ऐसी दुर्घटना दोबारा न हो.

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