– चौक से निकाली विजयी जल्लोष रॅली
– काँग्रेस ने 10 साल बाद किया कब्जा
– बाहर से उमेदवार लाना पडा भारी
– पूर्व मंत्री सुनील केदार ने रश्मी बर्वे के अपमान का बदला ले ही लिया
रामटेक :- रामटेक संसदीय सीट से काँग्रेसके प्रत्याशी श्याम कुमार बरवे ने भारी मतो से जीत दर्ज की. रामटेक मे गांधी चौक मे काँग्रेस पदाधिकारी कार्यकर्ता और हितचिंतक सभी मानणे वालो ने फटाको की आतिषबाजी करके ढोल ताशे केसह मिठाई बाटकर विजयी जल्लोष रॅली निकाली. जल्लोष रॅली मे रामटेक तालुका अध्यक्ष कैलास राऊत, शहराध्यक्ष दामोदर धोपटे ,माजी नगराध्यक्ष शोभा राऊत, अर्चना राऊत ,रेखा हांडे,माजी पंचायत समिती सदस्य महेश मडावी ,राहुल कोठेकर,राजू हटवार, इनके सह विजयी जल्लोष रॅली मे पदाधिकारी कार्यकर्ता, चाहणेवाले बडी संख्या मे शामील हुये. जिले व राज्य ही नही देशभर के लिये हॉट सीट बन चुकी रामटेक लोकसभा सीट पर 10 साल बाद काँग्रेस ने धमाकेदार वापसी की है.शिवसेना शिंदे गुट के आयातीत उमेदवार व पूर्व विधायक राजू पारवे को 77,787 वोटो के अंतर से पराजित कर शिवसेना से यह सीट छिन ली. श्याम कुमार बर्वे को 6,05,040 व्होट मिले तो राजू पारवे को 5,27,253 वोटो से ही संतोष करना पडा . इस सीट पर कब्जा कर पूर्व मंत्री सुनील केदार ने रश्मी बर्वे के अपमान का बदला ले ही लिया. इस सीट के लिये रश्मी बर्वे का एकमात्र नाम भेजा गया था.तिकीट कटने पर उनके पती श्याम कुमार बर्वे को उमेदवार बनाया. और सुनील केदार ने अपमान का बदला निकालनेकी ठान ली.उन्होंने सारी रननिती तयार कर ली. बिना विचलित हुए अपनी टीम को काम पर लगा दिया.उसका सुफल भी उन्हे मिला. बागी किशोर गजभिये ने भी भारी वोट लिये.वे निर्दलीय मैदान मे उतरे थे. रामटेककी संसदीय सीट पर दुसरी राजनीतिक पार्टी से नेता को आयात कर प्रत्याशी बनाये जाने के बाद से ही यह माना जाने लगा था की शिवसेना शिंदे गुट ने रामटेककी सीट गवा दी है .रामटेक संसदीय सीट के नतीजे बहुत ज्यादा चौकाने वाले नही रहे. यहा पर जैसा की माना जा रहा था कि शिवसेना शिंदे गुट ने अपना मौजूदा सांसद कृपाल तुमाने की तिकीट काटकर अपने पैरों पर कुल्हाडी चला दी है, सही साबित हुआ. उमरेड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से काँग्रेस विधायक राजू पारवे ने अपनी पार्टी से इस्तीफा दिया और मुंबई मे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना मे शामिल हो गये थे. इसके बाद उन्हे रामटेक संसदीय क्षेत्र से उमेदवार घोषित किया गया. पारवे को काँग्रेस से तोडकर अपना उमेदवार बनाना महायुती के लिए भारी पड गया.