नागपुर :-जिला परिषद में पूर्व मंत्री सुनील केदार के गुट की सत्ता है. परंतु इस गुट में भी अब उपगुट बने हैं. पदाधिकारियों का एक दूसरे से तालमेल नहीं होता. इससे सबसे अधिक परेशानी अधिकारियों को सहनी पड़ रही है. पदाधिकारियों की आपसी रंजीश की राजनीति में एक अधिकारी की विभागीय आयुक्त के पास शिकायत हुई है.
जिला परिषद में कांग्रेस का बहुमत होकर केदार गुट का वर्चस्व है. छह में से एक ही पद राष्ट्रवादी कांग्रेस के हिस्से में आया है. अन्य पांच पद कांग्रेस के पास होकर वह भी केदार घुट के पास ही है, ऐसा होने के बाद भी पदाधिकारियों का आपस में तालमेल नहीं, उनमें रंजिश की राजनीति दिखाई देती है. कुछ दिन पूर्व एक आपूर्तिकर्ता ने विकास कार्यों से संबंधित प्रस्ताव संबंधित विषय के सभापति के पास रखा. किसी कारणवश सभापति ने उसे अस्वीकार किया. इसके बाद इस आपूर्तिकर्ता ने संबंधित सभापति से अधिक एक वरिष्ठ स्तर के पदाधिकारी के कक्ष की ओर रुख किया. दरअसल देखा जाए तो इस वरिष्ठ पदाधिकारी ने विशेष समिति सभापति के काम में दखलअंदाजी करने का कोई कारण नहीं था. परंतु सभी विभागों पर देखरेख रखने का अधिकार अपने पास है ऐसा मान कर उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया. इस वरिष्ठ पदाधिकारी ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को बुला लिया तथा इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये.
इन सारी बातों को ध्यान में रख संबंधित अधिकारी ने इसमें हस्तक्षेप करने स्पष्ट रूप से इनकार किया. इसलिए वरिष्ठ पदाधिकारी उन पर नाराज हुए. उन्होंने संबंधित अधिकारी की विभागीय आयुक्त के पास शिकायत करने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों ने दी है. पदाधिकारियों में कोल्ड वार बढऩे लगा है. लेकिन परेशानी अधिकारियों को होने लगी है ऐसी भावना प्रशासकीय गलियारे में है. अनेक सदस्य भी पदाधिकारियों की राजनीति पर निजी तौर पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं.