– कांग्रेस की अंदरूनी कलह चरम सीमा पर,जिसका फायदा भाजपा-अजित एनसीपी-शिंदे सेना के संयुक्त उम्मीदवार को होना तय
नागपुर (रामटेक) :- रामटेक लोकसभा क्षेत्र के निष्ठवान कांग्रेस मतदाताओं की मांग है कि इस बार वैसे कांग्रेसी को उम्मीदवारी दी जाए,जो कांग्रेस के लिए निष्ठावान हो,न कि व्यक्तिगत समाज,समूह के लिए.इस बार न कन्हान से और न उत्तर नागपुर से बल्कि रामटेक लोकसभा क्षेत्र का अपना उम्मीदवार हो,जिसे शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी शरद गुट का समर्थन हासिल हो.ऐसा उम्मीदवार खोजने में कांग्रेस गठबंधन को कोई रूचि नहीं,सभी नेतृत्वकर्ता को खुद का डमी उम्मीदवार ही चाहिए,भले चुनाव हार जाए.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के करीबी उत्तर नागपुर के विधायक नितिन राऊत खुद के लिए कम लेकिन अपने पुत्र जो प्रदेश युंका अध्यक्ष है उनके लिए ज्यादा सक्रीय होकर रामटेक लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार मांग रहे हैं,इनका रामटेक लोकसभा क्षेत्र से प्रत्यक्ष कोई वास्ता नहीं हैं.
….तो दूसरी ओर कन्हान तक जिनकी राजनीति सिमित है उनके लिए पूर्व विधायक सह ग्रामीण कांग्रेस कमिटी सह जिला परिषद् में इनका गुट के पदाधिकारी सक्रिय हैं.
उक्त दोनों गुटों की खासियत यह है कि दोनों गुटों ने अपने अपने परिवार के 2-2 सदस्यों के लिए उम्मीदवारी मांगी हैं.नितिन राऊत,कुणाल राउत बनाम रश्मि बर्वे,नरेश बर्वे में नागपुर जिला स्तर पर खींचातानी शुरू हैं.
कड़वा सच यह है कि अपने अपने गुट या परिवार में टिकट आए तब तक के लिए टिकट के मांगकर्ता कांग्रेसी है,जैसे ही मांगकर्ता के मनमाफिक टिकट नहीं बंटी कि दूसरे दिन से उनका गुट कहीं खुले तौर पर तो कहीं अंदुरुनी रूप से विपक्षी उम्मीदवार के पक्ष में सक्रीय हो जाते रहे हैं.
नितिन राऊत ने पालकमंत्री रहते हुए या अखिल भारतीय कांग्रेस SC सेल के प्रमुख रहते हुए रामटेक लोकसभा क्षेत्र में ज्यादा उल्लेखनीय कार्य नहीं किया।वे उत्तर नागपुर तक ही सिमित रहे,कुणाल राऊत पर लोकसभा की टिकट का विचार करना फ़िलहाल उचित नहीं।शिवसेना से कांग्रेस में आये नरेश बर्वे को लेकर काफी असमंजस है कि वे कांग्रेस के है या मुकुल वासनिक के है या सुनील केदार के है या उद्धव गुट के प्रकाश जाधव के है या फिर इंटक के है.रश्मि बर्वे को उम्मीदवारी सुनील केदार के कारण दी जाये या फिर उनके पति बबलू बर्वे के कारण दी जाए.
कन्हान से लेकर रामटेक में बबलू बर्वे के विरोधी सक्रिय हैं कुछ खुलकर तो कुछ अंदरूनी रूप से.
इसलिए कांग्रेस आलाकमान जब कांग्रेस संकट काल से गुजर रहा हो,वैसे हालात में कांग्रेस सह उनके गठबंधन के संयुक्त मंथन बाद ही उम्मीदवार तय करना चाहिए अन्यथा इस बार भी यह सीट हाथ से जाना तय हैं.
उल्लेखनीय यह है कि इस चुनाव में मुकुल वासनिक के गुट को नज़रअंदाज करना कांग्रेस उम्मीदवार के लिए घातक साबित होगा।
जहाँ तक उमरेड के विधायक राजू पारवे का सवाल है,उसके दोनों हाथ घी में और सर कढ़ाई में है,कांग्रेस और भाजपा दोनों पक्षों से उन्हें लोकसभा टिकट का ऑफर है,लेकिन उनकी मन-इच्छा उमरेड विस तक सिमित हैं.
कांग्रेस की अंदुरुनी कलह से भाजपा की बल्ले-बल्ले
कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर अंदुरुनी कलह पुरे शबाब पर है,एनसीपी शरद गुट से प्रकाश गजभिये उम्मीदवारी मांग रहे,उद्धव सेना से पूर्व शिवसैनिक नरेश बर्वे को उम्मीदवारी का ऑफर है अर्थात इस गठबंधन में खिचड़ी हैं.
दूसरी ओर भाजपा ने शिंदे सेना के बदले भाजपा का फ्रेश युवा उम्मीदवार संदीप गवई जैसे को उम्मीदवारी देने पर गंभीरता से विचार किया तो बड़ी सफलता मिल सकती है,गवई का रामटेक लोकसभा क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पकड़ होने के साथ भाजपा का संगठन बड़ी सफलता हासिल कर सकता है और भाजपा नेतृत्व को सम्पूर्ण जिले का सर्वांगीण विकास करने में आसानी होगी।