‘खुशियो की बस’ पहुंची गढ़चिरौली जिले के दुर्गम इलाकों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयास लाए खुशियां

– अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों के नागरिकों के चेहरे पर खिली मुस्कान

मुंबई :- महाराष्ट्र का अंतिम जिला गढ़चिरौली अब तक अविकसित, अत्यंत दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस छवि को बदलने के लिए तेजी से विकास कार्य कर रहे हैं। यहां के नागरिकों को मुख्यधारा से जोड़ने और विकास का लाभ पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वयं इस जिले के पालकमंत्री का पद संभाला है और लगातार विकास कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयासों से धानोरा तहसील के मुरुमगांव, पेंढरी और रांगी गांवों के नागरिकों की मांग पर राज्य परिवहन महामंडल ने बस सेवा शुरू की है। इन बस सेवाओं से संबंधित गांवों के नागरिकों के चेहरे पर खुशी झलक रही है और यह बस उनके लिए ‘खुशियो की बस’ बन गई है।

इन गांवों के नागरिकों ने मरीजों, छात्रों और आदिवासी समुदाय की सुविधा के लिए बस सेवा शुरू करने को लेकर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और गढ़चिरौली जिले के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक ज्ञापन सौंपा था। संवेदनशील स्वभाव के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने इस ज्ञापन पर तत्काल संज्ञान लिया और राज्य परिवहन महामंडल के गढ़चिरौली डिवीजनल कंट्रोलर को बस सेवा शुरू करने के निर्देश दिए। उसी के तहत धानोरा तहसील के मुरुमगांव, पेंढरी और रांगी गांवों के साथ ही इन मार्गों पर बसें चलाई गई हैं। साथ ही बस फेरे भी बढ़ाए गए हैं।

गढ़चिरौली परिवहन विभाग के अंतर्गत धानोरा तहसील के मुरुमगांव के लिए 03 बसों के माध्यम से 10 फेरे, पेंढरी के लिए 03 बसों के माध्यम से 08 फेरे और रांगी के लिए 02 बसों के माध्यम से 06 फेरे शुरू किए गए हैं। मुरुमगांव से प्रतिदिन 285, पेंढरी से 335 और रांगी से 242 यात्री यात्रा करते हैं। बस सेवाएं शुरू होने से इन आदिवासी बहुल गांवों के लोगों को बड़ी राहत मिली है। अब वे आसानी से तहसील मुख्यालय जा सकते हैं, जहां उन्हें प्रशासनिक कार्यों और अस्पताल की जरूरतों के लिए जाना पड़ता है। ये गांव गढ़चिरौली जिले के सबसे अंतिम छोर पर स्थित हैं, और यहां से मात्र 9 किलोमीटर की दूरी पर छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा है। ऐसे अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों के निवासियों को बस सेवाओं से बड़ी सुविधा मिली है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गढ़चिरौली जिले को स्टील हब बनाने और यहां बड़े पैमाने पर उद्योग लाने के लिए प्रयासरत हैं। हाल ही में, उन्होंने खुद इन दुर्गम इलाकों में बस से यात्रा कर यह संदेश दिया कि गढ़चिरौली अब केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं, बल्कि विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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