नागपुर – महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने टाटा प्रोजेक्ट्स और एलऐंडटी को सड़क परियोजनाओं व पुलों के लिए बोली लगाने को कहा है। उसके बाद प्रमुख कंपनियों ने बुनियादी ढांचे के निर्माण में रुचि दिखाई है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि फर्मों ने खुली और पारदर्शी बोली की प्रक्रिया की मांग की है।
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बुनियादी ढांचे संबंधी शहर के बड़े काम सामान्यतया सरकारी निकाय मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेलवपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) और मुंबई नगर पालिका कराते हैं। बड़ी कंपनियों को एमएमआरडीए की परियोजनाएं मिली हैं, वहीं नगर निगम की सड़क परियोजनाएं स्थानीय कॉन्ट्रैक्टरों को मिलती हैं।
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एक बड़ी बुनियादी ढांचा कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘नगर निगम को समान रूप से काम करने का मौका मुहैया कराने के साथ पारदर्शी बोली की प्रक्रिया सुनिश्चित करने की जरूरत है, जिससे बड़ी कंपनियां बोली में शामिल हो सकें।’म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन आफ ग्रेटर मुंबई (एमसीजीएम) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ मिलकर फरवरी महीने में मुंबई के नजदीक दहिसर और भायंदर के बीच 5.6 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड बनाने का टेंडर जारी किया था, जिसकी अनुमानित लागत 1,500 करोड़ रुपये है। एक बड़ी बुनियादी ढांचा कंपनी को परियोजना मिली, लेकिन नगर निगम ने बगैर वजह बताए बोली रद्द कर दी, जिससे परियोजना में देरी हो रही है।
अक्टूबर महीने में एमसीजीएम ने नई बोली आमंत्रित की, जिसमें परियोजना की अनुमानित लागत बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई। संशोधित योजना के मुताबिक दहिसर से भायंदर के बीच एलिवेटेड रोड से तटीय सड़क भी जुड़ेगी, जो निर्माणाधीन है। यह एलिवेटेड रोड मुंबई तटीय सड़क परियोजना का अंतिम चरण है, जो दक्षिण मुंबई और उत्तर मुंबई को पश्चिम की तरफ से जोड़ेगी। पहला चरण चौपाटी से वर्ली सी लिंक का था, जिसे एलऐंडटी ने बनाया है।
एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘बड़ी बुनियादी ढांचा फर्मों के लिए धन जुटाना, श्रमिकों को रखना और समय से परियोजना तैयार करना आसान होता है। अगर याचिका के कारण परियोजना में देरी होती है तो इससे यात्रियों पर असर पड़ेगा, जो पहले से ही कई प्रमुख बुनियादी परियोजनाओं जैसे मुंबई मेट्रो में देरी के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं।’