नागपुर। कोयला और पानी पर आधारित तापीय विधुत परियोजनाएं थर्मल पावर प्लांट की कैटेगरी में आते हैं। भारत में इस्तेमाल होने वाली बिजली का 71 फीसदी थर्मल पावर प्लांट्स के जरिए पूरा होता है। आखिर देश में क्यों गहरा रहा है बिजली संकट तथा विधुत उत्पादन में लगातार गिरावटें क्यों आ रही हैं और सबसे अधिक दर महाराष्ट्र । इस विषय पर अधिकारियों और सरकार के नुमाइंदों ने विशेष चिंतन-अध्ययन और अवलोकन करके इस संबंध मे सकारात्मक पहल करने की जरुरी है?
इस संबंध मे आल इंडिया सोसल आर्गनाईजेशन द्वारा मामले का अध्ययन और अवलोकन करने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं कि देश की अधिकांश कोयला खदानों की कोल यार्डों से कोयला की बेखौफ चोरी, तस्करी तथा कोयला उत्पादन मे बढ़ोत्तरी दर्शाने के उद्देश्य से यार्डों में जमकर मिलावट का धंधा जोरों पर चल रहा है। नतीजा कोयला की दर में बृद्धी तथा कोल इंडिया कंपनी की सभी अनुसांगिक सहायक कंपनियों के कर्मियों द्वारा काम बन्द धरना-मोर्चा आन्दोलन भी कम जिम्मेदार नही है?इससे उत्पादन पर बुरा असर पडता है? उसी प्रकार विधुत परियोजनाओं के निर्माण कार्यों मे कम लागत और अधिक मुनाफाखोरी के लालच मे कोताही, कामचोरी,फूकटखोरी, अनियमितताएं और महा भ्रष्टाचार बरकरार हैl इसके अलावा बिजली उत्पादन और वार्षिक मेंटनैन्स विकास का कार्यों के ठेका कार्यों मे अनियमितताएं और घोटाला चलते विधुत कंपनियां घाटे के गर्त मे डबे रही हैं?नतीजतन बिजली दर मे बेहतासा बृद्धी की वजह की वजह से जनता परेशान हैl उसी प्रकार मांगोनुरुप बिजली उपलब्ध नही होने से बिजली संकट गहराता जा रहा हैl परिणामतः जनता को लोडसैडिंग का दुख भुगतना पड रहा है? यह सनसनीखेज प्रकरण भारत वर्ष के इतिहास मे अन्य राज्यों की तुलना मे महाराष्ट्र राज्य मे सबसे अधिक बिजली दर मे बृद्धी बसूला जा रहा हैl
प्राप्त सबूतों के अधार देश की सबा सौ करोड जनता जनार्दन के सामने बिजली की सबसे अधिक दर महाराष्ट्र राज्य मे हैl प्राप्त आंकडों के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली मे बिजली की दर 2.50 रुपये यूनिट हैl हरयाणा राज्य मे बिजली की दर 2.50 रुपये प्रति यूनिट हैl जबकि .हिमाचल प्रदेश मे 2.75 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि महाराष्ट्र राज्य मे बिजली की दर 7.00 रूपये प्रति यूनिट आंकी गयी है l यह सनसनीखेज खुलासा एक माजेद कादरी नामक सामाजिक कार्यकरता ने किया है l महाराष्ट्र की जनता जनार्दन ने विधुत प्रबंधन तथा ऊर्जा मंत्रालय से जबाव मांगा है कि क्या महाराष्ट्र राज्य मे बिजली सोने की तारों से आती हैं?फिर अन्य राज्यों की तुलना मे महाराष्ट्र राज्य मे बिजली दर इतनी मंहगी क्यों है?
नतीजतन भारतवर्ष एक बार फिर बिजली संकट के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है।
कोयला संकट से देश अंधकार मे डूबने का खतरा
देश में कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से आधे से ज्यादा ऐसे हैं, जहां कोयले का स्टॉक खत्म (Coal Shortage) होने वाला है, केवल 6-7 दिन का ही स्टॉक बचा है। अगर ऐसा हुआ तो देश के कई हिस्सों में अंधेरा छा जाएगा और इनमें राजधानी दिल्ली भी शामिल होगी। राजस्थान और पंजाब,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश.उडीसा,कर्नाटक और गुजरात के कुछ हिस्सों में बिजली की कटौती होना शुरू हो गया है।
कोयला आधारित संयंत्र, थर्मल पावर प्लांट की कैटेगरी में आते हैं। भारत में इस्तेमाल होने वाली बिजली का 71 फीसदी थर्मल पावर प्लांट्स के जरिए पूरा होता है। थर्मल पावर प्लांट्स में कोयला संयंत्रों के अलावा गैस, डीजल और नेचुरल गैस बेस्ड प्लांट शामिल हैं। इसके अलावा देश की बिजली डिमांड का 62 फीसदी भारत के विशाल कोयला रिजर्व के जरिए पूरा होता है। बाकी डिमांड आयातित कोयले से पूरी होती है। कोयले की किल्लत की कुछ प्रमुख वजहें जानें इस रिपोर्ट में…
कोयले की मांग और वैश्विक कीमत में इजाफा बताया जा रहा हैlकोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही भारत समेत पूरी दुनिया में बिजली की मांग बडी तेजी से बढ़ी है। औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आना भी मांग बढ़ने की एक वजह रहा है । 2019 के मुकाबले इस वर्ष के अगस्त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 फीसदी तक बढ़ गई है। चूंकि मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है, इसके चलते वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में 40 प्रतिशत इजाफा हुआ, जिससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्नतम स्तर पर आ गया। इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंची है। भारत अपनी कोयला डिमांड का 30 फीसदी देश के बाहर से पूरा करता है। वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमत बढ़ने का नतीजा यह हुआ कि देश के अंदर कोल इंडिया ने भी कोयले की कीमत बढ़ा दी।
बेमौषम बरसांत ने भी रुलाया
कोयले की किल्लत की एक बड़ी वजह मौसम वारिश भी जिम्मेदार है। पूर्वी और मध्य भारत में मानसून सीजन की बारिश की वजह से देश में कोयला खदानों में अभि भी पानी भरा हुआ है। इसकी वजह से कोयले का खनन नहीं हो पा रहा है और प्रॉडक्शन को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा ट्रान्सपोर्ट के रूट भी प्रभावित हुए हैं। देश में कुल कोयला डिमांड का 70 फीसदी भारत के कोयला रिजर्व या प्रॉडक्शन से पूरा होता है।वर्तमान परिवेश मे देश में करीब 300 अरब टन कोयले का भंडार है।
राज्य सरकार पर कोल इंडिया का 21 हजार करोड बकाया
भारत वर्ष की सभी सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों पर ओर से कोल इंडिया कंपनी का 21 हजार करोड रुपये भुगतान बकाया है। इसके अलावा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स पर भी कोल इंडिया का बकाया है। अगस्त माह में कोयला, खनन और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा था कि 31 मार्च 2021 तक स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों पर कोल इंडिया का कुल मिलाकर 21,619.71 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया था। इसकी वजह से भी सप्लाई प्रभावित हुई है। कोल इंडिया लिमिटेड यह केन्द्र सरकार की कोयला कंपनी है, जो देश में खनन होने वाले कोयले में लगभग 80 फीसदी का योगदान देती है।
चीन के पोर्ट पर भारत का कोयला फंसा होना
भारत का 20 लाख टन कोयला चीन के पोर्ट पर महीनों से फंसा हुआ है। यह कोयला भारत ने ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया था। अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कोयले का आयात करना पड़ता है। भारत में कुल आयातित होने वाले कोयले का 70 फीसदी ऑस्ट्रेलिया से आता है। दक्षिण भारत के बिजलीघर, झारखंड या छत्तीसगढ़ से कोयला मंगाने के बजाय ऑस्ट्रेलिया से कोयला मंगाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोल इंपोर्टर है, जबकि इसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोल रिजर्व हैlतो ये हालात है भारत वर्ष के यहां की सरकारी विभागों मे काम कम और वेतन बढाओ आंदोलन अधिक किया जाता है? इतना ही नही इस देश के राजनैतिक गलियारे तथा अफसरशाही अपनी जिम्मेदारी के काम कम और गंदी राजनैति अधिक करते है? नतीजतन देश और समाज अंधकार मे डूब रहा है!
विशेष औधोगिक प्रतिनिधि
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