– बिजली केन्द्रों मे पहुंच रहा है कम एवं घटिया दर्जे का कोयला 

नागपूर – देश के विभिन्न राज्यों में कोयले की कमी के कारण बिजली संयंत्र ठप होने की कगार पर हैlवही कम और घटिया दर्जे का कोयला की वजह से परियोजनाओं का दिवाला निकल रहा है। दूसरी ओर देश के सभी राज्यों पर कोल इंडिया कंपनी का 20 करोड रुपये भुगतान बकाया रहने से कोयला मंत्रालय के सामने संकट आ खडा हैl ऐसे में भारतीय रेलवे ने देश के सभी बिजली केन्द्रों के लिए कोयला परिवहन ट्रेनों को प्राथमिकता पर चलाने का आदेश दिया है।परंतु कोल फिल्ड्स लिमिटेड की अनुसांगिक सहायक सातों कंपनियों की खदानों की रेल साईडिंग की कोल यार्डों से ही 20 से 25 %कम कोयला भरा जाना मांगोनुरुप ऊर्जा उत्पादन में गिरावट चिंता का विषय बना हुआ हैl बताते है कि रेलवे के प्रति रेक मे 58 से 60मीट्रीक टन कोयला भरा जाना चाहिये था परंतु उसमे 45 से 50 मीट्रीक टन ही कोयला पाया जा रहा है l इतना ही नही कुछ रेकों मे तो 15 से 15 मीट्रीक टन काले रंग का सेल पत्थर लोड कर दिया जाता है

सबसे अधिक खराब कोयला की कालाबाजारी और हेराफेरी वेकोलि की कोयला खदान रेलवे साइडिंग का गजब कारोबार देखा जा सकता है।उसी प्रकार नार्तन कोल फिल्ड्स रांची झारखंड राज्य की धनबाद, हजारीबाग झुमरीतलैयां कोडरमा व पारसनाथ कोयला खदानों से कोयला लेकर जा रही मालगाड़ी को परिचालन ने प्राथमिकता दी जा रही है। कोल इंडिया ने जितने खाली रैक की मांग की है, उतने रैक तुरंत खदान तक भेजा जा रहा है। नई दिल्ली हावड़ा ग्रैंड कोड हजारीबाग टाउन के रास्ते उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड पं बंगाल व कर्नाटक एनटीपीसी एवं अन्य स्टेट इकाइयों को कोयले का रैक उपलब्ध कराया जा रहा है। कोडरमा गया रेलखंड में गझंडी के बाद अधिक ऊंचाई पर होने की वजह से मालगाड़ियों के पीछे अतिरिक्त इंजन लगाये जा रहे है। कोयले से लदे ट्रेनों के बारे में प्रत्येक चार से पांच घंटे पर रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को अवगत कराया जा रहा है। कोयले की कमी के कारण कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन, चंद्रपुरा, मैथन की इकाइयों तथा पं बंगाल ऊडीसा तथा कर्नाटक की बिजली इकाईयों मे ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हुआ है। संभावित संकट से निपटने के लिए रेलवे प्रशासन पहले से तैयार हो चुका है।
रेलवे मंत्रालय, कोयला मंत्रालय व केंद्रीय विधुत मंत्रालय की संयुक्त लिंकेज कमेटी के अनुसार बिजली उत्पादन इकाइयों में कोयले की कमी को देखते हुए नए निर्देश जारी हुए हैं। देशभर की इकाइयों में देश के विभिन्न राज्यों के पावर प्लांटों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता पर रैक उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कोयला लेकर जारी ट्रेनों को गंतव्य स्थान पर बिना रुकावट के भेजा जा रहा है।
इसके अलावा महानदी कोलफिल्ड्स लिमिटेड तथा साऊथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड की रेलवे साईडिंग की कोयला यार्डों मे जेसीबी,पोकलेन व लोडर के माध्यम से रेलवे रेक मे कोयला भरा जा रहा हैl जिसमे सेल पत्थर मुरुम और मिट्टी भी लोड किया जा रहा हैlसाऊथ इस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड और महानदी कोलफिल्ड्स का कोयला महाराष्ट्र के महानिर्मिती पावर प्लांटों के लिए आपूर्ती किया जा रहा हैl उसी प्रकार वेकोलि की पेंच एरिया, कन्हान एरिया तथा आंध्रप्रदेश की खदानों का कोयला आंध्र तेलांगणा, तामिलनाडु तथा केरल, गुजरात की तापीय विधुत परियोजनाओं को आपूर्ती किया जा रहा हैlमहानिर्मिती पावर प्लांटों का करीबन 6 हजार करोड रुपये भुगतान बकाया हैlइसलीये महाराष्ट्र का ऊर्जा मंत्रालय तथा महानिर्मिती के प्रबंध निदेशक कोयला कंपनियों पर मांगोनुरुप असली कोयला के लिए दबाव डालने के वजाय चुप्पी साधे मौन साधे हुए हैl