संदीप कांबळे, विशेष प्रतिनिधी
कामठी ता प्र :- 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगाव में पेशवाई व्यवस्था के खिलाफ विश्व ऐतिहासिक विद्रॊह कर 500 महार वीर सैनिको ने विद्रोह का बिगुल बजाया था.उस ऐतिहासिक दिन के उपलक्ष मे 1 जनवरी को कन्हान स्थित डॉ. बाबासाहाब प्रतिमा के समक्ष तिरंगा पंचशील व नीला ध्वज के नीचे अखंड प्रज्वल ज्योत (क्रांती की मशाल) का आयोजन किया गया.कार्यक्रम की सुरुवात महार बटालियन माजी सैनिक व समता सैनिक दल द्वारा ड्रील* कर क्रांती की मशाल प्रज्वलित की गाई महार रेजिमेंट के माजी सैनिक जगदीश कानेकर यश-सिद्धी स्मृती चिन्ह ( बिना परिश्राम यश का ) को पुष्पचक्र अर्पित कर 500 शुर वीर सैनिकों को मानवंदना दि गई. दूसरा पुष्पगुच्छ जयवंत गडपाडे ने भीमा कोरेगाव विजय स्तंभ पर अर्पित कर सल्युट किया गया
तिसरा पुष्पचक्र समता सैनिक दल के जी.ओ. सी प्रदीप .स. डोंगरे द्वारा ड्रिल कर यश सिद्धी स्मृती चिन्ह पर अर्पित कर सल्यूट किया गया. इस पष्चयात महार गान हुवा व २मिनिट का मौन धारण कर मानवंदना का समापन हुआ.
बाबासाहेब द्वारा स्थापित महार रेजिमेंट से साथापित समता सैनिक दल का निर्माण भूमिका पर सैनिक दल के जी.ओ. सी प्रदीप .स. डोंगरे द्वारा प्रकाश डाला गया. ततपश्च्यात महार रेजिमेंट के भूतपूर्व सैनिक जगदीश कानेकर ने महार बटालियन का धधक्ता इतिहास ऑर भारत की सुरक्षा मे कियागाया महत्त्वपूर्ण योगदान उजागर किया गया इस्के बाद मानवंदना कार्यक्रम का समापन महार बटालियन माजी सैनिक ऑर समता सैनिक दल के पदाधिकारियो को संविधान स्थंभ स्मृती चिन्ह दे कर संमान किया गया व रिपब्लिकन सांस्कृतिक संघ द्वारा आयोजित अभिवादन रॅली मे सभी उपासक उपसिका ने समलित होकार अभिवादन किया.
क्रांती की मशाल का अखंड ज्योत का प्रज्वलन अविरत 12 घंटे तक प्रज्वलित होता रहा समता, बंधुत्व, न्याय, एकता, एवं अनेकता अखंडता के वीचारो को समर्पित इस संघर्ष के विचारो को गती देने हेतू यह कार्यक्रम की मुख्य भूमिका रही जिसका प्रवाह अग्रसर आगे बडता रहा.
इस कार्यक्रम मे मशाल का आयोजन रॉबिन निकोसे ऑर राजेंद्र फुलझले द्वारा किया गया जीसे १२ घंटे तक अविरत प्रज्वलित किय गया.मानवंदना कार्यक्रम का आयोजन समता सैनिक दल शाखा कन्हान द्वारा किया गया था और महार बटा लीयान माजी सैनिक पी.न.पांचभाई,मोहन गावंडे,विलास मेश्राम,जय पाटील,जयवंत गडपादे,जगदीश कानेकार,मानकर सैर द्वारा सामहुईक मानवंदना डी गई साथ रोहित मानवटकर,राजेश फुलझले,मनोज गोंडणे,चेतन मेश्राम,महेश धोंगडे,नरेश चीमांकर,प्रवीण सोनेकर, अभिजित चांदूरकर,अश्वमेध पाटील,अखिलेश मेश्राम, अखिलेश वाघमारे,सोनू खोब्रागडे,संदीप शिंदे,गणेश भालेकर,पंकज रामटेके,रत्नदीप गजभिये,विनायक वाघधरे,भगवान नितनवरे,बला मेश्राम आनंद चाव्हण, कैलास बोरकर,महेंद्र चाव्हान,विवेक पाटील ,रवींद्र दुफरे,जितेंद्र टेंभूने,आदित्य ठेंबुरणे करिब खान,नितीन मेश्राम उपस्थित थे.