सीसीआई के स्पष्ट आर्डर के बाद कैट ने अमेज़न के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की
दिल्ली – “भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के हालिया आदेश में अमेजॉन पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है जो एक कठोर किन्तु न्यायपूर्ण आदेश है तथा जिससे यह निष्कर्ष निकाला है कि अमेज़ॅन लगातार सरकार के कानूनों और नीतियों को चकमा देने के जानबूझकर प्रयास में शामिल है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने कहा कि न केवल ई-कॉमर्स व्यापार बल्कि ऑफलाइन खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और हावी होने के अपने छिपे हुए एजेंडे का अनुसरण करने के साथ-साथ अमेजॉन संभावित प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने से संभावित प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के प्रयास में जुटा है । पिछले तीन साल से अधिक समय से कैट लगातार अमेजन की अवांछनीय व्यापारिक तरीकों का लगातार विरोध करता आ रहा है और सीसीआई का आदेश इस विरोध का परिणाम है ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज एक संयुक्त वक्तव्य में कहा की बेशक भारतीय कॉरपोरेट्स के साथ हमारे मतभेद हैं लेकिन हम किसी भी विदेशी कम्पनी को स्वदेशी प्रतिस्पर्धा का सफाया करने की अनुमति नहीं देंगे। यह स्पष्ट है की जो भी कोई कम्पनी भारत के क़ानून एवं नियमों का पालन नहीं करेगी तो कैट मुकाबले एवं संघर्ष के लिए तैयार है !कैट ने कहा की यह आदेश सभी को एक कड़ा संदेश देता है कि भारतीय नियामकों को अब विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा हल्के में नहीं लिया जा सकता है। कैट ने संकेत दिया कि यूपी और पंजाब सहित आगामी पांच विधानसभा चुनावों में कानून के अनुसार अमेजॉन पर कार्रवाई की मांग व्यापारिक समुदाय के बीच एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है।
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की देश के मीडिया ने समय समय पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर देशव्यापी सार्थक बहस की सदा पहल की है ! क्योंकि यह मामला देश के विशाल रिटेल एवं ई कॉमर्स व्यापार से सीधे तौर पर जुड़ा है और विदेशी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने के लिए भारतीय कंपनियों को अधिग्रहित करने जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है, इस दृष्टि से इस विषय पर भी मीडिया द्वारा एक राष्ट्रीय बहस कराये जाने की जरूरत है !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि अमेज़ॅन ने इस मामले में सीसीआई को दिए अपने जवाब में कैट को “अजनबी” कहा है जो अत्यधिक अपमानजनक है। इस अनावश्यक टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हुए श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कि अमेज़ॅन द्वारा कदाचार और कानूनों और नीतियों के उल्लंघन से देश के व्यापारियों को बेहद बड़ी क्षति हुई है, जिसमें प्रमुख रूप से मोबाइल व्यापार सहित 2 लाख से अधिक दुकानें बंद हो गई हैं जिसका मुख्य कररण अमेज़ॅन, ब्रांड कंपनियों और सरकारी बैंकों सहित विभिन्न बैंकों के शातिर त्रिपक्षीय सांठगांठ है ! इसलिए, छोटे व्यवसायों को और अधिक तबाही से बचाने के लिए कैट को हस्तक्षेप करने का एक स्पष्ट अधिकार है। कैट के इस रुख को सुप्रीम कोर्ट और सीसीआई दोनों ने मान्यता दी है क्योंकि इस मामले में कैट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिस पर समयबद्ध निपटान का आदेश दिया गया था जिसे बाद में सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जहाँ सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि सीसीआई के आदेश ने एमेजॉन के नापाक मंसूबों को पूरी तरह से साबित कर दिया है क्योंकि अमेजॉन ने गलत विवरण प्रस्तुत किया है, झूठा जानते हुए भी झूठे बयान देकर सीसीआई द्वारा दी गई अनुमति के अनुमोदन की मांग की, जानबूझकर गलत बयानी की, जानबूझकर सही तथ्यों को दबाया गया, छिपाया गया और किसी भी तरह से भारतीय कम्पनी एफआरएल पर कब्ज़ा करने की कोशिश की गई ! दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि अमेज़ॅन ने जानबूझकर संयोजन के वास्तविक दायरे और उद्देश्य को बताने के लिए झूठ का सहारा लिया और विशिष्ट प्रश्न उठाए जाने पर दमन और चूक को जारी रख सीसीआई को गलत तरीके से गुमराह किया जिससे अमेज़न एफआरएल के व्यवसाय के जरिये छोटे व्यपारिईन के व्यापार को समाप्त करने के लिए एफआरएल को अपनी रणनीतिक संपत्ति बनाने का इरादा रखता है !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि सीसीआई के आदेश से यह स्पष्ट है कि अमेज़ॅन चूक, झूठे बयान और गलत बयानी, धोखाधड़ी के अभ्यास में लिप्त होने, भौतिक तथ्यों को दबाने आदि का अपराधी है और गौरतलब यह है सीसीआई को दिए अपने जवाब में अमेज़ॅन ने खुद की आंतरिक ईमेल, का खंडन नहीं किया गया है, जिसके कारण गलत संयोजन और गैर-मौजूद संयोजन के लिए अमेज़ॅन द्वारा धोखाधड़ी से सीसीआई अनुमति ली गई !
अमेज़ॅन के जानबूझकर और जानबूझकर किए गए कृत्यों के मद्देनजर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, बेईमान प्रलोभन, बेईमान छुपाने और धोखे के मौजूदा मामले के मद्देनज़र कैट ने केंद्र सरकार से अमेजॉन के वर्तमान ई कॉमर्स व्यापार पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है ! चूंकि यह अधिनियम फेमा और एफडीआई नीति का भी उल्लंघन करता है, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय को तुरंत इस मामले का संज्ञान अमेज़न के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की भी मांग की है !सरकारी नियामक सीसीआई का आदेश एक ठोस सबूत हैं और इसलिए ईडी को अमेज़ॅन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यदि अभी भी अमेजॉन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह माना जाएगा कि सरकार पर किन्हीं अदृश्य शक्तियों का प्रभाव है और विदेशी वित्त पोषित कंपनियों को देश के अपने व्यापार और व्यापारियों की तबाही की कीमत पर, भी कुछ भी करने की अनुमति है !
इस मांग को और अधिक मजबूत तरीके से लेते हुए कैट ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल एवं भाजपा अध्यक्ष श्री जे पी नड्डा से अविलम्ब मिलने का समय माँगा है !