वेकोलि कोयला खदान यार्डों में लगी बेकाबू आग लपटों करोडों जान-माल का खतरा

 

-जलवायू प्रदूषण वन्य जीवों और नभचर को खतरा बढा

नागपूर – वेकोलि की अनेक ओपन कास्ट तथा भूमिगत कोयला खदानों मे आग लगने से सरकार को करोडों-अरबों रुपये का नुकसान हो रहा हैl वही जलते हुए कोयला खदानों की जहरीली गैस तथा धुंआ मीलों दूरदूर तक फैल रहा हैlनतीजतन नभचर तथा थलचर जीवजंतुओं वन्यप्राणियों सहित मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है?
सर्वेक्षण के मुताबिक वेकोलि वणी एरिया की उकर्णी और निजलई क्षेत्र की ओपनकास्ट कोयला खदानों मे निरंतर आग धंधक रही हैl अभि तक आग पर काबू नही पाया जा रहा हैl तत्संबंध मे वेकोलि वनी एरिया के क्षेत्रीय महाप्रबंधक तथा क्षेत्रीय प्रबंधकों और क्षेत्रीय उप प्रबंधकों की चुप्पी विभिन्न संदेह को जन्म दे रही है? उसी प्रकार वेकोलि की वणी नार्थ येरिया की भूमिगत तथा ओपन कास्ट कोयला खदानों मे आग से प्रतिदिन लाखों करोडों रुपये का नुकसान हो रहा हैl

वेकोलि पेंच एरिया खदानों मे आग से जन मानस दुखी

उसी प्रकार छिंदवाड़ा जिले मे वेकोलि की परासिया. पेंच क्षेत्र की भूमिगत माथनी कोयला खदान के एक सेक्शन में रात के समय आग लगने के कारण कोयला उत्खनन कार्य पूर्णत: बंद रहा। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से प्रथम एवं द्वितीय पाली में कामगारों को खदान के भीतर नहीं जाने दिया गया।
मिली जानकारी अनुसार खदान में गत दिनों रात मेन डीप 19 लेबल से धुआं उठते दिखाई दिया। यहां तीन सुरंगों में फॉल हुआ। इस दौरान कोयला उठाने का कार्य तीन एसडीएल मशीनों से किया जा रहा था। धुआं और गैस की गंध आने से खदान के भीतर कार्यरत सभी कामगारों को बाहर निकाल लिया गया।
और रेसक्यू टीम खदान के भीतर गई जहां कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा जांची गई। पता चला कि सामान्यत: 50 पीपीएम की मात्रा बढकऱ खतरनाक स्तर 1200 के ऊपर पहुंच गई है। गौरतलब है कि खदान के भीतर पुरानी सुरंगों से स्टापन लगाकर पैक किया जाता है जिसके कारण जहरीली गैस बाहर नहीं निकल पाती है। अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी पुरानी सुरंग के स्टापन में दरार आने के कारण आग की स्थिति बनी है। रेसक्यू टीम इसका पता लगाकर स्टापन कर सील पैक करेगी। इसके बाद ही खदान में काम करने की स्थिति बन सकेगी।

डिग्री टू लेबल की गैस का प्रकोप बढा

जानकारी के अनुसार माथनी खदान डिग्री टू के अंर्तगत आती है जो आग के लिए संवेदनशील होती है। इसी वजह से ऐसी खदानों की सतत निगरानी की जरूरत होती है। लापरवाही के कारण की ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। हालांकि खदान में कामकाज पहले की तरह ही जारी रह सके इसके लिए रेसक्यू टीम एवं वेकोलि अधिकारी प्रयासरत हैं।
इसी तरह वेकोलि की बैतूल जिले की पाथाखेडा कोयला खदानों की कोयला यार्डों मे लगी आग पर काबू नही पाया जा रहा है? सूत्रों का आरोप है कि यहां आग लगती नहीं कोयला तस्करी और स्मगलिंग के मामले को दफनाने के लिए आग से कोयला धूं धूं कर जलकर राख हो चुका है?का अधिकारियों को बहाना चाहिये?ताकि मिलावट के जरिए उत्पादन रिकार्ड दर्शाया जा रहा है?यह भी जांच और कार्यवाई का विषय है?

-टेकचंद सनोडिया शास्त्री,
विशेष औधोगिक प्रतिनिधि,
9822550220

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