पोला , मारबत की जीवंतता वर्षों तक रहेगी बरकरार
महा मेट्रो ने परंपरा को स्थायी चित्रों में संजोया
नागपुर : विश्व में नागपुर एकमात्र शहर ऐसा है जहां अंग्रेजी हुकुमतसे बगावत करने की मिसाल आज भी कायम है । १८८५ से मारबत उत्सव पोल के दूसरे दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है । १३८ वर्ष पुरानी परंपरा को महामेट्रो ने मेट्रो पिलर पर स्थायी चित्रों के माध्यम से आगामी एक शतक वर्ष के लिए जीवंतता प्रदान की है । महानगर के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र इतवारी, गांधीबाग,महल,बडकस चौक को जोड़ने वाले चितारओली चौक के मेट्रो पिलर पर मारबत उत्सव की सचित्र झांकी को प्रस्तुत किया है । शहर में नागपुर मेट्रो रेल परियोजना का कार्य करने के साथ महामेट्रो कला और संस्कृति को संजोने का अनूठा कार्य भी करा रहा है । महा मेट्रो के माध्यम से किए जा रहे संस्कृति जतन के कार्य आगामी १०० वर्ष से अधिक समय तक परंपरा को जीवंतता प्रदान करने में निश्चित ही सहायक सिद्ध होंगे ।
मारबत विदर्भ की शान
पोला उत्सव के दूसरे दिन निकलने वाली मारबत विदर्भ की शान है । इस शान को चित्रों के द्वारा मेट्रो पिलर पर वर्षो तक बनाए रखने के लिए मेट्रो के कार्य सराहनीय है । चितारओली और कॉटन मार्केट चौक से निकलने वाले नागरिक रोजाना आकर्षक चित्रों को देखकर मारबत और पोले की यादें तरोताजा करते है । प्राचीन संस्कृति को कायम रखने के लिए महामेट्रो द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा जागनाथ बुधवारी निवासी वयोवृद्ध देवीदास गभने ने की है । उन्होंने इस कार्य के लिए मारबत कमेटी की ओर से महा मेट्रो का आभार माना ।
चितारओली पर होगी भेंट
चितारओली पर होगी भेंट जागनाथ बुधवारी से पूजा अर्चना के बाद निकलनेवाली मारबत चितारओली चौक स्थित मेट्रो पिलर के समीप पहुंचेगी। कमेटी अध्यक्ष श्री. प्रकाश गौरकर के अनुसार परंपरागत मारबत पिलर पर मेट्रो द्वारा बनाई गई मारबत प्रतिमा से भेंट करेगी। कमेटी की ओर से इस दौरान पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद मारबत यात्रा आगे रवाना होगी।
महामेट्रो के प्रेरणास्पद कार्य : प्रकाश गौरकर
पीली मारबत उत्सव के अध्यक्ष प्रकाश गौरकर ने कॉटन मार्केट चौक और चितारओली पर महामेट्रो द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रमुख त्यौहार पोला और मारबत उत्सव की झांकियों को चित्रों में प्रस्तुत करने के कार्य की सराहना की है । प्रकाश गौरकर ने कहा कि मेट्रो ने रेल संचालित करने के साथ संस्कृति के प्रति जो काम किया है वह अव्दितीय है । जो कार्य नागपुर मेट्रो ने किए है , वे देश के अन्य महानगरों ने देखने को नहीं मिलते । उन्होंने कहा कि इसे नागपुर का ही सौभाग्य कहना चाहिए कि संस्कृति की फिक्र करने वाली महामेट्रो हमें मिली । जो मेट्रो यात्रियों को विश्वस्तरीय आधुनिक परिवहन सेवा उपलब्ध करने के साथ ही संस्कृति और परंपरा को नई पीढ़ी से अवगत करने के लिए अहंम भूमिका निभा रही है । उन्होंने कहा की अंग्रेजो के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलनात्मक ख़ैया अपनाने के उद्देश से १८८५ में जागनाथ बुधवारी से मारबत उत्सव की शुरुआत हुई । आजादी के बाद ‘ खांसी खोकला , रोग राई , घेऊन जा गे मारबत ‘ के गगनभेदी नारों के साथ मारबत जुलुस निकालने की परंपरा आज भी चली आ रही है । यह उत्सव देखने के लिए लाखों दर्शकों की भीड़ लगी रहती है । जिस मार्ग से यात्रा निकलती है जन सैलाब उमड़ पड़ता है।
हम है सौभाग्यशाली
मारबत उत्सव से जुड़े शेंडे परिवार की तीसरी पीढ़ी के श्री. गजाननराव ने कहा की हम सौभाग्यशाली है । मारबत और पोला उत्सव को चित्रों से मेट्रो ने साकार किया है यह हमारे लिए आनंद और गौरव की बात है । आने वाली पीढ़ी को इससे शहर की परंपरा और संस्कृति की प्रेरणा मिलेगी ।
बैलजोड़ी की डोर किसान के हाथ
शहर में पोला उत्सव धूमधाम से मनाने की परंपरा है। कॉटन मार्केट परिसर समूचे विदर्भ का प्रमुख व्यावसायिक केन्द्र रहा है । कॉटन मार्केट चौक पर महामेट्रो की ओर से मेट्रो पिलर पर चित्रों के माध्यम से पोला उत्सव को साकार किया गया है। बैलजोड़ी के साथ किसान का चित्र बेहद खूबसूरती से उकेरा गया है । भारतीय संस्कृति की परंपरा और क्षेत्र के इतिहास को वर्षों तक जीवित रखने के कार्य में महा मेट्रो ने अहंम भूमिका निभाई है। कॉटन मार्केट क्षेत्र विदर्भ के साथ ही समीपवर्ती मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा , सिवनी , सौंसर , पांढुरना आदि शहरों के किसानों का केन्द्र बिंदु रहा। कपास , सब्जी भाजी , संतरे की मंडी इसी क्षेत्र में गुलजार होती थी। किसान बैलगाड़ी (बैलबंडी )से यहां माल लेकर बेचने आते थे और गृहस्थी की खरीदारी कर वापस होते थे । बदलते परिवेश में भी इस क्षेत्र का पोला उत्सव धूमधाम से मनाने की परंपरा जारी है।
इन सब बातों पर गौर कर महामेट्रो ने क्षेत्र की गौरवमयी परंपरा को कायम रखने का सटिक कार्य किया । वर्ष में एक दिन उत्सव मनाकर उसकी यादें ३६४ दिन तरोताजा बरक़रार रखने का कार्य उत्सव के आकर्षक स्थायी चित्र कर रहे हैं । साथ ही उत्सव की जीवंतता को कायम कर नई पीढ़ी को प्रेरणा दे रहे हैं ।