– शिवसैनिकों का हौसला अफजाई की बजाय तय रणनीति के तहत भाजपा के खिलाफ आग उगलते रहे,आगामी मनपा चुनाव में सेना को महाआघाडी के कांग्रेस व एनसीपी से भी जूझना पड़ेगा!
नागपुर – विगत सप्ताह शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत का नागपुर अचानक नगरागमन हुआ.उनके 2 दिवसीय दौरे का सूत्र एक इवेंट कंपनी संभाल रही थी तो दूसरी तरफ वे नागपुर से प्रेम का बखान कर रहे थे.जबकि आजतक शिवसेना ने नागपुर को अपनी मुख्य धारा से मरहूम रखा हैं।
संजय राऊत का नागपुर का दौरा उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा के खिलाफ थोथी बयानबाजी करना था,लेकिन ऐसा दर्शाया गया कि वे शिव संपर्क अभियान के तहत जिले के शिवसैनिकों से मुलाकात सह उन्हें मजबूती देने के उद्देश्य से नागपुर आये हैं.लेकिन ऐसा नहीं था. उनके तय कार्यक्रम के हिसाब से सबसे पहले उन्होंने ‘पोलिटिकल स्टंट” को अंजाम देते हुए सिर्फ भाजपा के खिलाफ बड़ी बड़ी बयानबाजी ही की.
इसके बाद छोटे-छोटे समूह में 5 से 10 मिनट में दर्जन भर शहर/ग्रामीण के शिवसैनिकों से मुलाकात कर उन्हें रफा-दफा किये।
इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से कुछ चुनिंदा मीडिया हाउस में भेंट देकर अलग से भाजपा के खिलाफ आग उगले और चुनिंदा करीबियों के संग भोजन कर लौट गए!
सवाल यह है कि क्या संजय राऊत जिले में शिवसेना को मजबूत करने आये थे या फिर भाजपा को मजबूत करने ? इसलिए कि भाजपा में भले ही अंदरूनी मतभेद/मनभेद हो लेकिन जब बाहरी आक्रमण होता है तो वे सभी भाजपाई एकजुटता का परिचय देते हैं,जिससे पक्ष में मजबूती बढ़ जाती हैं.
राऊत के दौरे से भाजपा नागपुर जिले में मजबूत हुई? वहीं दूसरी ओर सेना और नुकसान में रही.इसलिए कि राऊत सेना के वैसे पदाधिकारियों से 48 घंटे घिरे रहे,जिनका आम जनता में कोई उल्लेखनीय वजूद नहीं हैं. सेना का वजूद जिनके भरोसे अबतक था उनमें से बहुतेक घर बैठ गए या फिर पार्टी छोड़ अन्य पक्षों की शोभा बढ़ा रहे?
राऊत के दौरे में वैसे भी लोग इर्द-गिर्द दिखे जो भाजपा पदाधिकारी/नेताओं के करीबी थे,जिन्हें राऊत तवज्जों दे रहे थे ,दूसरी ओर राऊत सेना के पुराने शिवसैनिकों को मिलने आये या जो नाराज घर बैठे है,उनसे मिलने में जरा भी रूचि नहीं दिखाई,नतीजा वे नाराज होकर अपने अपने गंतव्य स्थल की ओर मनममोस कर लौट गए.
राऊत नागपुर दौरा ऐसे समय पर हुआ जब नागपुर मनपा चुनाव करीब हैं. इस चुनाव में सेना भाजपा से भिड़ने से पहले महाआघाडी सरकार के पार्टनर एनसीपी और कांग्रेस से भिड़ना होगा। इस शहर में कांग्रेस और भाजपा का वजूद हैं.तीसरे स्थान पर बसपा है और तब चौथे-पांचवे स्थान के लिए एनसीपी व सेना में रस्साकशी हैं.
शहर मनपा चुनाव में सेना के 2 नगरसेवक है,दोनों का अपना वजूद होने के कारण सेना की शहर में नाक बचाये हुए हैं.लेकिन राऊत ने इस दफे 40 सीट जितने का टार्गेट देकर सभी को पशोपेश में दाल दिया। कांग्रेस के पूर्व नगरसेवक सेना में प्रवेश करवाए गए,जिनके भरोसे बड़ी जीत हासिल करने के उद्देश्य से सक्रीय शहर के जिम्मेदार पदाधिकारी,काफी भ्रम में हैं,क्यूंकि सेना के पास न पहले जैसा शिवसैनिक और न नेतृत्वकर्ता हैं,ऊपर से राऊत के दौरे से राऊत के शिवसैनिक विरोधी निति से सेना को शहर में काफी नुकसान हुआ?जिसका परिणाम आने वाले चुनाव में साफ़ साफ़ नज़र आएगा।