फ्लाई ऐश का किया जा रहा रेत के रूप में उपयोग

– टाटा पावर द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पाद
मुंबई – नदियों से रेती उत्खनन के कारण नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। दूसरी ओर पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए टाटा पावर कंपनी ने एक अनूठा प्रयोग किया है। थर्मल पावर प्लांट में इस्तेमाल होने वाली कोयले की राख को रेत के रूप में इस्तेमाल कर ईंटें, कंक्रीट की सड़कें,टेट्रा पॉट तैयार किए गए हैं और इसका पेटेंट हासिल होने जा रहा है।

टाटा पावर कंपनी की ट्रॉम्बे में 750 मेगावाट की बिजली उत्पादन परियोजना है। इस प्रोजेक्ट के लिए इंडोनेशिया से कोयला मंगवाया जाता है। यहां मांग के मुताबिक बिजली पैदा की जाती है। इस परियोजना के लिए हर साल करीब 24 लाख टन कोयले की जरूरत होती है। कोयले से प्रतिदिन लगभग 100 टन राख उत्पन्न होती है। इसमें लगभग 10 % रेत जैसी निचली राख होती है व 90% राख पाउडर की तरह होती है। पाउडर की राख का उपयोग निर्माण के लिए ईंट बनाने के लिए किया जाता है।

इन ईंटों का उपयोग टाटा पावर केंद्र भवन के पास उद्यान,नालियों के निर्माण के लिए किया गया है.टेट्रा बर्तन सीमेंट और राख से बनाए जाते हैं और उनका उपयोग भी इस जगह पर किया जाता है। इसलिए बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख को कुछ हद तक रेत के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

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