– वर्त्तमान अध्यक्षा का ढाई वर्ष का कार्यकाल समाप्ति की ओर
नागपुर – लगभग ढाई वर्ष पहले जिलापरिषद में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की लेकिन अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए होने के कारण इसी समुदाय से वर्त्तमान अध्यक्षा को जिलापरिषद की कमान सौंपी गई.अब क्योंकि अगले ढाई वर्ष के लिए सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण तय है इसलिए अगला जिलापरिषद अध्यक्षा गोधनी सर्कल से जिलापरिषद सदस्या कुंदा राऊत या फिर वर्त्तमान में सत्तापक्ष नेता अवंतिका लेकुरवाले को नाम दौड़ में सबसे आगे देखा जा रहा हैं.यह भी चर्चा है कि अगले विधानसभा चुनाव में दोनों विधानसभा की उम्मीदवारी के लिए जोर लगाएंगे।
जिलापरिषद के अगले अध्यक्ष के लिए सामान्य वर्ग का आरक्षण तो है लेकिन सत्तापक्ष की कमान संभालने वाले किसी पुरुष जिलापरिषद सदस्य को मौका नहीं देना चाहते। अगर पूर्व जिलापरिषद उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे वर्त्तमान में जिलापरिषद सदस्य होते तो यह पद लाभ उन्हें मिला होता,लेकिन OBC आरक्षण रद्द होने से जिलापरिषद में लगभग डेढ़ दर्जन OBC जिलापरिषद सदस्यों की सदस्यता चली गई,उपचुनाव में अधिकांश पुनः जीत कर लौटे लेकिन मनोहर कुंभारे को जिलापरिषद में पुनः लौटने का मौका नहीं मिला ,परंतु उनकी जगह उनकी पत्नी जिलापरिषद चुनाव में न सिर्फ चुनाव जीत कर आई,साथ में उन्हें जिलापरिषद उपाध्यक्ष पद भी उपहार के रूप में दिया गया,इससे मनोहर कुंभारे को पुनः जिलापरिषद में बैठने और अप्रत्यक्ष रूप से कमान संभाल लिए ?
संभवतः अगले विधानसभा चुनाव में सावनेर का प्रतिनिधित्व कर रहे विधानसभा सदस्य ने अपना क्षेत्र बदला तो ऐसी सूरत में सदस्य के परिजन या फिर मनोहर कुम्भारे को विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता हैं?
फिर यह भी चर्चा है कि सावनेर के विधायक अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नही…चर्चे में यह संकेत मिला कि वे अगर विधानसभा क्षेत्र बदले तो उनका अगला चुनाव क्षेत्र काटोल या रामटेक हो सकता हैं ?
शायद इसी रणनीति के तहत जिले में प्रभावी कांग्रेसी को पक्ष के मूल प्रभाव से दूर करने की कोशिश की जाने का क्रम जारी हैं.इसी रणनीति के तहत सबसे पहले रामटेक के ऊर्जावान कांग्रेसी उदयसिंह यादव को एक साजिश के तहत पक्ष के बाहर किया गया? जिसमें बड़ी भूमिका खुद तथाकथित राष्ट्रीय कोंग्रेसी नेता मुकुल वासनिक ने निभाई थी,जिससे रामटेक में यादव जैसे ऊर्जावान घर बैठ गए,ऐसा ऊर्जावान रामटेक क्षेत्र में तैयार करने के लिए एक दशक से भी ज्यादा समय लग जाएगा। इसके बाद स्थानीय स्वराज्य संस्था से विधानपरिषद के चुनाव में कांग्रेस का सबसे सक्षम उम्मीदवार राजेंद्र मूलक को उम्मीदवारी न मिले,इसके लिए सफल प्रयास किया गया.जबकि मूलक को उम्मीदवारी मिलती तो फिर विपक्ष का कितना भी सक्षम उम्मीदवार होने के बावजूद मूलक के पक्ष में कम से कम उमरेड और हिंगणा विधानसभा के विपक्षी 5 से 6 दर्जन मूलक पक्ष में आए होते,अर्थात पक्ष की ताकत और मूलक का प्रभाव से मूलक की जीत सुनिश्चित थी.इससे कांग्रेस का बड़ा नुकसान हुआ,जबकि इससे बड़ा चुनाव स्नातक क्षेत्र से विधानपरिषद के लिए चुनाव में भाजपा के कब्जे की सीट बड़े अंतर से कांग्रेस ने जीती तो स्थानीय स्वराज क्षेत्र से विधानपरिषद का चुनाव जितना काफी आसान था कांग्रेस के लिए.
जिलापरिषद प्रांगण में यह भी गर्मागर्म चर्चा यह है कि हिंगणा क्षेत्र से मेघे को घर बैठाने के लिए महानगरपालिका के वरिष्ठ नगरसेवक को कांग्रेस से उम्मीदवारी दिलवाने के लिए नाना प्रकार के उठापठक शुरू हैं.इस नगरसेवक से शहर का एक विधायक भी असहज महसूस करता है इसलिए कांग्रेस के 2 विधायक मिलकर इस नगरसेवक को हिंगणा विधानसभा भेजने की तैयारी में हैं,यह नगरसेवक कांग्रेस उम्मीदवार हिंगणा विधानसभा में उतरा तो वर्त्तमान विधायक मेघे को काफी संघर्ष करना पड़ सकता हैं.
इस नगरसेवक को हिंगणा विधानसभा क्षेत्र की उम्मीदवारी दिलवाने में कोई अड़चन न आये इसलिए पहले से ही इस क्षेत्र में सक्रिय गोधनी जिप सदस्या कुंदा राऊत को अगला जिलापरिषद अध्यक्षा बनवाकर उसकी दावेदारी ख़त्म की जा सकती हैं.