हमें अपनी सुरक्षा के मुद्दों पर आत्मनिर्भर होना ही होगा – सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

• सेना, शासन, प्रशासन के साथ समाज की शक्ति भी आवश्यक

• नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय का समापन

नागपुर :- पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद की गई कार्रवाई में देश की रक्षा और रक्षात्मक अनुसंधान क्षमताएं सिद्ध हुईं। इस अवसर पर शासन और प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी। तथापि, बार-बार कारवाई होने के बावजूद यह समस्या समाप्त नहीं हुई है। द्विराष्ट्रवाद का भूत और देश पर संकट कायम हैं। इस पृष्ठभूमि में हमें अपनी सुरक्षा के लिए सजग रहना होगा और रक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर होना होगा। इसके लिए सेना, शासन, प्रशासन के साथ ही समाज शक्ति का भी साथ होना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प. पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज यहां किया।

गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकर्ता विकास वर्ग (द्वितीय) के समापन समारोह में सरसंघचालक बोल रहे थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद नेताम इस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर मंच पर विदर्भ प्रांत संघचालक दीपक तामशेट्टीवार, वर्ग के सर्वाधिकारी समीर कुमार महांती और नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया उपस्थित थे।

अपने उद्बोधन की शुरुआत में ही सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने पहलगाम हमले और उसके बाद के ऑपरेशन सिंदूर कारवाई का उल्लेख किया। पहलगाम में हुए नृशंस हमले के बाद देशभर में आक्रोश की लहर फैल गई थी। लोगों की अपेक्षा थी कि अपराधियों को कठोर दंड मिले। पहलगाम हमले के अपराधियों पर कठोर कार्रवाई भी हुई। कार्रवाई में देश की रक्षा और रक्षात्मक अनुसंधान क्षमताएं सिद्ध हुईं। इस अवसर पर शासन और प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी। पूरे समाज में अभूतपूर्व एकता का वातावरण दिखाई दिया। राजनीतिक मतभेद भूलाकर सभी ने सहयोग का हाथ बढ़ाया। देशभक्ति के इस वातावरण में हमने अपने आपसी मतभेदों को भी पीछे छोड़ दिया। देश की यह तस्वीर चिरस्थायी होनी चाहिए। तथापि, इस कारवाई के बाद भी समस्या समाप्त नहीं हुई है और संकट कायम है। उलझने पैदा करने के प्रयास जारी हैं। द्विराष्ट्रवाद का भूत कायम है। आतंकवाद और साइबर वॉर का आधार लेकर प्रॉक्सी वॉर जारी है। युद्ध के प्रकार बदल रहे हैं। इस अवसर पर दुनिया के अन्य देशों की भी परीक्षा हो रही है। सत्य के साथ कौन खड़ा होता है और कौन स्वार्थी है, इसकी भी परीक्षा हुई है। इस सारी पृष्ठभूमि में हमें अपनी रक्षा के लिए आत्मनिर्भर होना ही होगा। सेना, शासन और प्रशासन को उस दिशा में कदम उठाने चाहिए। तथापि, केवल ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए समाज शक्ति का दृढ़ता से साथ खड़ा रहना आवश्यक है, ऐसा बताते हुए सरसंघचालक डॉ. भागवत ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय के इंग्लैंड का उदाहरण दिया। देश की जनता द्वारा लड़ने का दृढ़ संकल्प व्यक्त करने से प्रधानमंत्री चर्चिल को बल मिला था, इस ओर ध्यान आकर्षित किया।

देश के सामने उत्पन्न होने वाले संकटों को देखते हुए समाज में एकता मजबूत होना आवश्यक है, यह आवाहन करते हुए सरसंघचालक जी ने कहा, हमारा देश विविधताओं का देश है। देश में अनेक समस्याएँ हैं। कई बार एक की समस्या दूसरे को पता भी नहीं चलती। इन सभी प्रश्नों से देश के लिए निर्णय लेना कई बार कठिन हो जाता है। समाज में आपस में संघर्ष न हो, इसके लिए प्रयास करने होंगे। सद्भावना कायम रखनी होगी। अनावश्यक वाद-विवाद उत्पन्न न हों। कानून अपने हाथ में लेने के प्रयास उचित नहीं हैं। उसी प्रकार, अपने स्वार्थ के लिए समाज में भेद उत्पन्न करने वाले लोगों के जाल में हमें फंसना नहीं चाहिए। एक-दूसरे के प्रति सद्भावना, सद्विचार और सहयोग रखने की आवश्यकता है। हमारा मूल ही एकता में है। विविधता में एकता का परिचय देना, यही भारत का सच्चा धर्म है। हम सभी की मूल्य व्यवस्था समान है। हमारे पूर्वज एक हैं। वास्तव में सारा विश्व, सारा मानव समाज एक है। उसके लिए हमें तैयार होना है, ऐसा भी उन्होंने कहा।

विकास और पर्यावरण ये दोनों बातें साथ-साथ रह सकती हैं। आदिवासी हमारे ही भाई-बंधु हैं। वे हमारे समाज का ही एक अंग हैं। इसलिए उनकी समस्याएँ हम निश्चित रूप से शासन के सामने रखेंगे। उसके लिए हमारी एक कार्यपद्धति है। शासन अपना काम करेगा। हमारी विभिन्न संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवकों ने वनवासी क्षेत्र में बहुत काम किया है, इसका उल्लेख भी सरसंघचालक ने अपने उद्बोधन में किया।

धर्मांतरण के मुद्दे पर बोलते हुए सरसंघचालक ने कहा, अपनी मर्जी से किए गए धर्मांतरण पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, जबरदस्ती और प्रलोभन देकर धर्मांतरण नहीं होना चाहिए। हम किसी भी पंथ के विरोध में नहीं है। जबरदस्ती धर्मांतरित हुए लोग यदि स्वधर्म में वापस आना चाहते हैं तो उसका स्वागत ही है।

संघ और समाज मिलकर नक्षलवाद और मतांतरण की समस्या का निदान कर सकता है – अरविंद नेताम

प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए समाजसेवी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा की, मतांतरण और नक्सलवाद यह दोनों समस्याएं आदिवासी समाज में प्रमुख रूप से है। इन समस्याओं पर आदिवासी समाज और संघ ने मिलकर काम करना चाहिए। केंद्र सरकार ने नक्सलवाद पर परिणामकारक कार्य किया है। लेकिन उसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। उदारीकरण और औद्योगीकरण के चलते आदिवासियों का विस्थापन होते रहता है। यह उनके लिए एक समस्या है। इससे जल, जमीन, जंगल खतरे में है। विकास तो होते रहता है लेकिन विकास में आदिवासियों की हिस्सेदारी निश्चित होनी चाहिए। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा की भूमि अधिग्रहण के जगह पर भूमी लीज पर लेनी चाहिए। संघ और आदिवासी समाज की चर्चा निरंतर होते रहनी चाहिए। संघने जो डिलिस्टिंग का आंदोलन चलाया है वह अच्छा है। उन्होंने यह भी कहा कि मतांतरण के खिलाफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए।

संघ शिक्षा वर्गके शिक्षार्थी

इस वर्ग का उद्घाटन 12 मई को हुआ था । देश भर के विभिन्न प्रांतो से 840 शिक्षार्थी और संघ की योजना से निर्मित ४६ प्रान्तो से ११८ शिक्षक भी वर्ग में सहभागी हुए । उसमें दक्षिण क्षेत्रसे १७८, पश्चिम क्षेत्रसे ८६, मध्य क्षेत्रसे ११२, राजस्थान ७९, उत्तर क्षेत्र ७७, पश्चिम उत्तर प्रदेश ७८, पूर्व उत्तर प्रदेश ७८, बिहार ३९, पुर्व क्षेत्रसे ६७ और आसामसे ४६ शिक्षार्थी सहभागी हुए।

शिक्षार्थीओं की शैक्षणिक अर्हता

शिक्षार्थीओं में दसवी तक पढे १८, दसवी, बारवी तक के ७९, डिप्लोमा धारक ३१, स्नातक ३९०, स्नातकोत्तर ३७७ और पीएचडी प्राप्त ५ शिक्षार्थी थे । शैक्षणिक स्तर के अनुसार अधिवक्ता २८, अभियंता १८, कर्मचारी १५४, कामगार २७, किसान ५५, डॉक्टर ४, पत्रकार ५, प्रचारक/विस्तारक १९१, प्राध्यापक/प्राचार्य १३, लघु उद्योजक ८, लघु व्यावसायिक ६५, विदायर्थी ६०, अध्यापक ९१ और स्वयंरोजगार करनेवाले १२१ लोगोंका सहभाग था ।

वर्ग की दिनचर्या

वर्ग की दिनचर्या प्रातः ४ बजे से प्रारंभ होकर रात्रि १० बजकर २० मिनट पर दीप निमिलन से पूर्ण होती है । जिसमें प्रतिदन साधना रूप में शारीरिक एवं बौद्धिक विभाग का ९ घंटे का प्रशिक्षण होता है । पूजनीय सरसंघचालक जी, मा. सरकार्यवाह जी और अन्य अखिल भारतीय अधिकारियों द्वारा शिक्षार्थियों का विविध विषयों पर प्रबोधन एवं जिज्ञासा समाधान किया गया । वर्ग में सेवाभाव जागरण एवम् श्रम की प्रतिष्ठा स्थापित करने हेतु, प्रतिदिन श्रम साधना का आयोजन किया गया । सेवा, सम्पर्क, प्रचार के विविध पहलू एवम् कुशलता की दृष्टि से समूहशः ४ दिन के व्यवहारिक प्रशिक्षण में पदा प्रबंधन, समुपदेशन, सेवा कार्य का संचालन आदि का प्रशिक्षण दिया गया ।

विशिष्ट आमंत्रित अतिथी –

१) बिल शुस्टर (पेन्सिल्वानिया के नौवे जिले के पुर्व अमेरिकी सांसद और हाऊस ट्रांसपोर्टेशन कमेटी के पूर्व अध्यक्ष)

२) बॉब शुस्टर (सार्वजनिक नीति और व्यवसाय के विशेषज्ञ वकील और वन+ स्ट्रैटेजीज के संस्थापक भागीदार)

३) ब्राडफोर्ड एलिसन (सार्वजनिक धोरणाचे अभ्यासक तसेच तपास आणि आर्थिक नियमांचे विशेषज्ञ)

४) प्रो. वॉल्टर रसेल मीड (सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, लेखक, आंतरराष्ट्रीय मामले, नीती और रणनीती अभ्यासक, हडसन, फ्लोरिडा विद्यापीठ और एस्पेन इन्स्टिटुयट इटली से संलग्नता)

५) बिल ड्रेक्सेल (एआई और प्रौद्योगिकी में रुची, हडसन यूनिवर्सिटी में फेलो, अमेरिका-भारत संबंधों के विशेषज्ञ, द वाशिंग्टन पोस्ट, सीएनएन और द वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे समाचार पत्रोमें योगदान)

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