केंद्र सरकार के द्वारा जारी घरकुल योजना के अंतर्गत अधूरे रह रहे घरो के बांधकाम

– हजारों आम मजदूर वर्ग हुऐ बेरोजागर

सावनेर :- केंद्र सरकार द्वारा सावनेर तहसील के आश पास के ग्रामीणों के प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आने वाले हजारों घर कुल के बांधकाम व सावनेर, पारशिवनी विधानसभा छेत्र के तहसील गावों व अन्य, मकानो के काम रेती घाट जो की दिसंबर महीने में होने वाले रेती घाटों का निल्लाव न होने के कारण सावनेर तहसील के हजारों घर कुल के काम अधूरे रह गए है। मध्यप्रदेश छिंदवाड़ा जिले के सौसर तहसील के सायरा और परतापुर से आनेवाली रेती के वाहनों की रॉयल्टी होने के बावजूद भी जीरो टेप रॉयल्टी न होने के कारण सावनेर तहसील के महसूल विभाग के अधिकारियों द्वारा रेती के भरे वाहनों के पकड़े जाने पर सावनेर तहसील में बीते 4 से 5 मांह से वाहनों पर सक्त करवाही कर दंडित किया गया है। महसुल विभाग ने जीरो टेप में पकड़े गए वाहनों पर जीरो टेप रॉयल्टी न होने के कारण महसूल विभाग कार्यालय द्वारा 2.50 लाख रुपए का दंड दिया गया है।पर लोकल ट्रांसफारो की आर्थिक परिस्थिति ठीक न होने के कारण वहांन मालिक वहांन छुड़ाने में असमर्थ है। सेकड्रो ट्रांसपोर्ट के भय का माहौल निर्माण हो गया है। विगत कुछ महीनों से भंडारा से आने वाली रेती का एक डोजर की रेती की कीमत 30 हजार रूपये है,जो की एक आम नागरिक के लिए ले पाना संभव नही है।एक आम नागरिक की रोजी जो की वह काम पर जाकर 400 से 500 रूपये रोज कमा कर अपना घर ,चलाता है ,और अपना दैनंदिन जीवन चलाता है ,वह कहा से 30 हजार का डोजर लेकर मकान का बांध काम नही कर सकता है।राज्य सरकार द्वारा रेती घाटों का निल्लाव आपसी मत भेद होने के कारण सावनेर तहसील के आश पास के हजारों घरकूल के बांधकाम व अन्य मकानो के काम बंद पड़े हुए है। रेती न मिलने के कारण हजारों लोग बेरोजगार हो चुके है।भंडारा छेत्र से आने वाली रेती की एक डोजर की कीमत कम से कम 30हजार रूपये होने के कारण के कारण हर एक आम नागरिक कि, स्थिति नही है। की वो इतने बड़े दामों में रेती ले सके।

हजारों आम मजदूर वर्ग हुऐ बेरोजागर

सावनेर तहसील के रेती घाटों का निल्लाव न होने के कारण हजारों आम मजदूर वर्ग जो की घरों के बांधकाम के कामों में जाकर अपना जीवन 400 से 500 रूपये कमा कर अपना जीवन चलाते है।लेकिन विगत कुछ वर्षों से रोजगार एक सा रुक गया है।नागरिकों को रोजगार न मिलने के कारण नागरिकों का जीवन काटना मुश्किल सा हो गया है।क्यूंकि बहुत से आम रोजगार वर्ग के लोग मकान के बांध काम के काम में जाकर अपना जीवन व्यतीत करते है।ठीक उसी प्रकार आम मजदूर वर्ग जो की लोकल ट्रांसपोर्ट के मालिकों के ट्रैक्टर पर जाकर जाकर अपना और लोकल ट्रेक्टर मालिको का घर चलाते है।सब रुक सा गया है।सभी टैक्टर मालिको का रोजगार रुक सा गया है।

व्यापारियों के पूर्ण रूप से धंधे चौपट

रेती घाट न होने और,रेती महंगी होने के कारण हजारों घरकुल के काम बंद रहने के कारण सेकड्रो व्यापारियों के धंधे चौपट हो चुके है। क्योंकि ज्यादा से ज्यादा काम रेती से ही होते है।मकान में सबसे ज्यादा लगने वाली रेती ही होती है। जब रेती ही नही मिल रही तो बाकी वस्तुओ का भी में वाहतूक नही हो रहा। मकान में लगने वाली वस्तु जैसे लोहा सीमेंट, गिट्टी,लोहा, लोहे की ग्रीला, पुटिग फर्नीचर,इलेक्ट्रिक वस्तुएं इत्यादि बहुत सारी चीजों का इश्तेमाल घरों में न लगने की वजह से व्यापारियों के धंधे पूर्ण रूप चौपट ठप से हो चुके हैं। व्यापारियों में निराशा ही निराशा छाई हुई है।

लोकल ट्रास्फरो का जीवन जीना हो रहा मुश्किल

सावनेर तहसील के आपसी मतभेद राजनीति के राजनेताओं के कारण रेती घाटों का ठेका जो की दिसंबर में होने वाले थे वो अब फरवरी मांह भी आ गया, लेकिन अभी तक घाटों का ठेका नही हुआ। हालाकि विगत कुछ वर्षों से रेती घाटों ठेका हुआ ही नहीं इस कारण लोकल ट्रेक्टर ट्रास्पोर्ट का जीवन संकट में आ गया है। कई लोकल ट्रेक्टर ट्रांसपोर्ट के ट्रेक्टर फैनसर उठा के ले जा रहे है।काफी लोकल ट्रांसपोर्ट के।नागरिक बैंक से कर्जा लेकर अपना और गाड़ियों की किस्त दे रहे है।बैंक से कर्ज लेकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे है।ओर कुछ दिन ऐशा ही रहा तो लोकल ट्रांसपोर्ट आत्म हत्या करने को मजबूर हो सकते है।

पोलिश प्रशासन और महसुल विभाग की सक्त कारवाही

महसूल विभाग के सक्त निर्देश हुए है की अवैध रेती वाहतुक करने वाले रेती माफियाओं पर सक्त से सक्त करवाही कर दंडित करने के निर्देश दिए गय है।पोलिश प्रशासन द्वारा रेत माफियाओं पर दंडात्मक कारवाही के कारण अवैध रेत माफियाओं पर भय का माहौल निर्माण हो गया है।दंडात्मक कारवाही के कारण लोकल ट्रांसफर में अवैध रेत परिवहन करने की कोशिश भी नही कर रहे।

@ फाईल फोटो

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