सभी सरकारी कार्यालयों में शुरू होगा सौर ऊर्जा का उपयोग – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

पुणे :- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि राज्य के सभी शासकीय (सरकारी) कार्यालयों में दिसंबर 2025 तक सौर ऊर्जा का उपयोग शुरू किया जाएगा और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।

मुख्यमंत्री फडणवीस यह वक्तव्य महाऊर्जा (महाराष्ट्र ऊर्जा विकास अभिकरण) की नई प्रशासनिक इमारत के उद्घाटन के अवसर पर दे रहे थे। इस कार्यक्रम में विधान परिषद की उपसभापति डॉ.नीलम गोऱ्हे, विधानसभा के उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे, अपारंपरिक ऊर्जा मंत्री अतुल सावे, सांसद मेधा कुलकर्णी, सांसद श्रीरंग बारणे, विधायक उमा खापरे, विधायक भीमराव तापकीर, पुणे महानगरपालिका आयुक्त नवल किशोर राम, प्रभारी विभागीय आयुक्त कविता द्विवेदी, जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी, महाऊर्जा की महानिर्देशक डॉ.कादंबरी बलकवडे, महाराष्ट्र राज्य विद्युत कंपनी के निदेशक विश्वास पाठक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के सचिव मिलिंद देवरे, अतिरिक्त महानिर्देशक डॉ.त्रिगुण कुलकर्णी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि महाऊर्जा के लिए दो प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं सभी सरकारी कार्यालयों में सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना से जुड़ी राज्य की योजना को लागू करना। पहले चरण में 100 यूनिट तक और दूसरे चरण में 300 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वाले सभी उपभोक्ताओं को सौर ऊर्जा से जोड़ने का लक्ष्य है। 300 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिल शून्य करने का प्रयास है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महाऊर्जा इन दोनों लक्ष्यों को प्रभावी रूप से पूरा करेगी।

अपारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में महाराष्ट्र की प्रगति

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाऊर्जा की यह नई इमारत हरित मानकों को पूरा करती है, ऊर्जा की बचत करती है, और आवश्यक ऊर्जा का 100% उत्पादन करती है। यह हरित इमारत का उत्कृष्ट उदाहरण है। महाराष्ट्र ने ऊर्जा बचत और अपारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया है। पिछले दो वर्षों में जहां देशभर में 4 लाख कृषि पंप लगाए गए, वहीं महाराष्ट्र ने 5 लाख सौर कृषि पंप स्थापित किए। मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी के माध्यम से 16,000 मेगावॉट क्षमता वाले फीडरों को 2026 तक सौर ऊर्जा पर परिवर्तित किया जाएगा। यह एशिया का सबसे बड़ा विकेंद्रित (डिसेंट्रलाइज्ड) सौर ऊर्जा प्रकल्प है। राज्य ने सौर, पवन और हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है।

सौर ऊर्जा से बिजली दरें होंगी कम

पिछले कुछ वर्षों में महाऊर्जा ने अपारंपरिक ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की है। महाराष्ट्र देश में सौर ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी है, खासकर विकेंद्रित सौर ऊर्जा उत्पादन में। कुसुम योजना के क्रियान्वयन में भी महाराष्ट्र अग्रणी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि दिसंबर 2026 तक कृषि क्षेत्र की पूरी बिजली मांग सौर ऊर्जा से पूरी की जा सकेगी। पिछले 20 वर्षों में हर साल बिजली की दरें औसतन 9% बढ़ी हैं, लेकिन 2025 से 2030 के बीच इन दरों में हर वर्ष कमी लाई जाएगी।

2030 तक 52% बिजली अपारंपरिक स्रोतों से

सौर ऊर्जा के उत्पादन में आने वाली बाधाओं को प्राथमिकता से हल किया जा रहा है, जिससे कार्य की गति तेज हुई है। हाल ही में रूस की एक सरकारी कंपनी के साथ थोरियम से ऊर्जा उत्पादन हेतु समझौता हुआ है, जिससे भारत की ऊर्जा दिशा में बड़ा बदलाव आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से पर्यावरण विनाश को रोका जा सकेगा और 2030 तक 50% से अधिक बिजली अपारंपरिक ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य पूरा होगा। राज्य में 2030 तक 52% बिजली अपारंपरिक स्रोतों से प्राप्त होगी।

कार्यक्रम में महाऊर्जा की प्रगति रिपोर्ट का विमोचन हुआ। उन्होंने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपारंपरिक ऊर्जा पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और महाऊर्जा कार्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया।

महाऊर्जा विकास अभिकरण की इमारत की विशेषताएं

औंध स्थित महाऊर्जा की नई इमारत पर्यावरण अनुकूल (ग्रीन बिल्डिंग) है और सुपर ECBC तथा नेट-जीरो एनर्जी कॉन्सेप्ट पर आधारित है। इसमें पोरोथर्म ब्लॉक, डबल ग्लेज़्ड विंडोज़, सिरैमिक जाली, रेडियंट कूलिंग सिस्टम, अर्थ टनल ट्यूब सिस्टम, वेंचुरी इफेक्ट, टू-स्टेज इवैपोरेशन सिस्टम, सोलर ट्यूब और 290 किलोवॉट की सौर ऊर्जा प्रणाली का उपयोग किया गया है।

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