एमएसआरडीसी के 5 नागपुर टोल नाकों का निविदा घोटाला

शेख अलीम महाजन, प्रतिनिधी 

निविदा निकाली 40 करोड रूपए की, दे दि 35 करोड़ रूपए में

शासान को 5 करोड रुपए का लगाया चुना

निविदा में से 1 वर्ष अनुभग की शर्त हटाई 

महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल के अधिकारियो का कारनामा

हिंगना :-नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना अंतर्गत वर्ष 2003 के पूर्व तथा बाद में नागपुर शहर के अंदर 350 करोड रूपए के विकास कार्य किए गए थे। इस 350 रुपए की वसुली के लिए शहर सीमा पर 5 टोल प्लाजा लगाए गए। यह पांचों टोल प्लाजा महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. (एमएसआरडीसी) अंतर्गत होकर वर्ष 2003 में शुरू हुवे और इसे 26 वर्षों के लिए लगाया गया हैं। इस पांचों टोल प्लाझा से टोल वसुली के लिए निजी कंपनियों को काम दिया जाता हैं। इसी तरह वर्ष 2021 में टोल वसुली के लिए किए गए टेंडर प्रक्रिया में बडे़ पैमाने पर गड़बड़ी कर नियमो को तक पर रखकर सरकार की तिजोरी में 5 करोड़ रुपए का नुकसान किए जाने का सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। जिसमे महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल के अधिकारियो ने अपने चहीते ठेकेदार को टोल वसुली का ठेका देने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं। टेंडर प्रक्रिया में से 1 वर्ष का अनुभव निकाल कर 40 करोड़ रूपए का टेंडर 35 करोड़ रूपए में फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को 156 हफ्ते के लिए देने का कारनाम किए जाने की जानकारी मिली है।

यह हैं हकीकत 

नागपुर शहर सीमा पर महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) के 5 टोल नाके लगाए गए हैं। जिसकी हर 3 वर्ष में निविदा निकाली जाती हैं। वर्ष 2021 के अंत में घई कंस्ट्रक्शन का टेंडर खत्म हो रहा था। इसलिए एमएसआरडीसी मुंबई कार्यालय द्वारा नई निविदा 13 अगस्त 2021 को प्रकाशित की गई थी। जिसमे 1 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य था। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार टोल नाके का काम फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को मिलने के लिए ठेकेदार द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर 1 वर्ष का अनुभव हटाकर नई निविदा प्रकाशित करने को कहा गया। जिसमे नेता भी शामिल होने की बात कही जा रही है। ठेकेदार के कहने पर नियमों को दरकिनार कर निविदा रद्द की गई। एक वर्ष के अनुभव की शर्त हटाकर 20 अक्टूबर 2021 को 40 करोड रुपए की नई निविदा प्रकाशित की गई। 1 नवंबर 2021 को निविदा पुर्व सभा का आयोजन किया गया था। जिसमे सभी ठेकेदारों ने एक वर्ष का अनुभव हटाने पर आपत्ति जताई। लेकिन एमएसआरडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक नही सुनी और सीएसडी प्रकाशित किए बगैर ही निविदा प्रक्रिया बंद की गई। 16 नवंबर 2021 को पहला टेक्निकल लिफाफा खोला गया और 18 नवंबर को निविदा दो लिफाफा खोला गया। जिसमे पहली हायस्ट बोली खलतकर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 35 करोड़ 19 लाख 51 हज़ार 600 रुपए ( 351951600 ) थी। दुसरा हायस्ट बोली फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. ने 33 करोड़ 94 लाख रुपए की थी। नियम के अनुसार पहली बार प्रकाशित की गई 40 करोड़ रूपए की निविदा प्रक्रिया में अगर कम का टेंडर आता है तो उसे दुबारा करना पड़ता हैं। साथ ही कम से कम 3 ठेकेदारों द्वारा निविदा में हिस्सा लेना चाहिए। लेकिन इस निविदा प्रक्रिया में केवल दो कंपनियों ने ही हिस्सा लिया था। जिसमे खलतकर कंस्ट्रक्शन और फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. का समावेश था। पहला हायस्ट खलतकर कंस्ट्रक्श होने के बावजूद भी उन्हें टेंडर प्रक्रिया से बाहर करने के लिए लिखित में पत्र लिया गया और दुसरे हायस्ट फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. को पहले हायस्ट से 1 हज़ार रुपए बढ़ाकर 35 करोड़ 19 लाख 52 हज़ार 600 रुपए ( 35,19,52,600 ) में 156 हफ्ते के लिए टेंडर दिया गया। जो टेंडर 40 करोड रूपए से अधिक में होना चाहिए था। उसे 35 करोड रूपए में देकर सरकार की तिजोरी में 5 करोड रूपए का नुकसान किया गया।

40 करोड़ रुपए का टेंडर 35 करोड़ रूपए में

महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. मुंबई कार्यालय द्वारा नागपुर शहर एकात्मिक रस्ते विकास योजना के तहत शहर सिमा पर चल रहे 5 टोल प्लाजा पर टोल वसुली के लिए वर्ष 2021 में 40 करोड़ रुपए की निविदा निकाल गई थी। यह निविदा पहली होकर इसमें 40 करोड़ रूपए के ऊपर किसीने भी टेंडर नही भरा। सिर्फ़ दो कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। जिसमे खलतकर कंस्ट्रक्श ने 35 करोड़ 19 लाख 51 हजार 600 रुपए भरे थे। फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. ने 33 करोड़ 94 लाख रुपए का टेंडर भरा था। नियम के अनुसार पहली टेंडर प्रक्रिया में 3 से अधीक कंपनियों ने हिस्सा लेना चाहिए और जितने का टेंडर हैं उससे ज्यादा में टेंडर होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर दुबारा टेंडर किया जाता हैं। लेकिन एमएसआरडीसी मुंबई कार्यालय के अधिकारियो ने टेकेदार से मिलीभगत कर 40 करोड़ रुपए का टेंडर फस्ट हायस्ट कंपनी से 1 हज़र रुपए बढ़ाकर फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को सिर्फ़ 35 करोड़ 19 लाख 52 हजार 600 रुपए में 156 हफ्ते के लिए दे दिया।

निकली 1 वर्ष के अनुभव की शर्त

महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. मुंबई द्वारा टोल प्लाजा पर वसुली के लिए वर्ष 2021 के पुर्व किए गए टेंडर प्रक्रिया में 1 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य था। वहीं नागपुर शहर सिमा स्थित 5 टोल नाकों पर टोल वसुली के लिए 13 अगस्त 2021 को कि गई निविदा प्रक्रिया में 1 वर्ष के अनुभव की अट और शर्त थी। लेकिन अपने चहिए कंपनी को काम देने के लिए उस टेंडर प्रक्रिया को रद्द किया गया और 20 अक्टूबर 2021 को नई निविदा प्रकाशित की गई। जिसमे एक वर्ष के अनुभव की अट और शर्त हटाई गई।

9 सितंबर 2021 को बनाई गई कंपनी 

निविदा प्रक्रिया में से एक वर्ष के अनुभव की अट और शर्त निकलने का मुख्य कारण यह है की इस फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को टोल प्लाजा पर टोल वसुली का कुछ भी अनुभव नहीं था। क्युकी यह कंपनी मुंबई से 9 सितंबर 2021 को पंजीकृत की गई हैं। जिसमे जयराज खोतकर और तेजस ठक्कर दोनो संचालक हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस कंपनी के संचालकों का सत्ताधारी वरिष्ठ नेताओं से करीबी संबंध है। जिसके चलते नियमों को ताक पर रखकर सरकार का 5 करोड़ रुपए का नुकसान कर फास्टगो इन्फ्रा प्रा. लि. कंपनी को ठेका दिया गया है। साथ ही इसी कंपनी को समृद्धि महामार्ग के टोल नाकों पर टोल वसुली के लिए ज्वाइंट वेंचर में रोडवे सॉल्यूशन इंडिया इन्फ्रा लि. के साथ मिलकर काम दिया गया है। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि कौन किसका कितना करीबी हैं।

सेवा निवृत्त अधिकारियो का कारनामा 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. मुंबई कार्यालय में विविध विकास कार्य तथा टेंडर में घोटाले करने के लिए सेवा निवृत्त अधिकारियो को काम पर रखा गया हैं। इसी तरह वर्ष 2021 में नागपुर टोल टैक्स वसुली के टेंडर प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी में सेवा निवृत्त अधिकारि ही शामिल था। इस महामंडल के प्रमुख अधिकारी में भी सेवा निवृत्त वरिष्ठ अधिकारि का समावेश है। जो नेताओं के करीबी बताए जाते है। इन सेवा निवृत्त अधिकारियो के संपत्तियों की जांच की जाए तो करोडों अरबों रुपए का घोटाला सामने आने की चर्चा जोरों पर है।

इस मामले की जांच की जाए। जांच कर कारवाई की जाएगी। 

संजय यादव, संयुक्त प्रबंध निदेशक

महाराष्ट्र राज्य रास्ते विकास महामंडल मर्या. मुंबई

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