– डिजिटल इंडिया में कछुआ गति से चल रहा मनपा का कारभार
नागपूर :-एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें हर दिन देश में डिजिटल इंडिया के प्रचार प्रसार में करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर फूंक रही हैं वहीं दूसरी ओर देश में शासन प्रशासन के कार्यालयों में आम जनता का काम वहीं पुराने ढर्रे पर कछुआ गति से चल रहा हैं.
मामला शहर के एक नागरिक सुनील का हैं.जिसे अपने बच्चें की शिक्षा हेतु राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र (डोमीसाइल सर्टिफिकेट) बनाने के लिए शासन की शर्तों के अनुसार शहर में 1967 के पहले का निवासी होने का दस्तावेज चाहिए था.
सुनील ने दिनांक 8 मार्च 2023 को 100 रुपये का स्टैंप पेपर,संबंधित दस्तावेज जोड़कर 20 रुपये आवेदन शुल्क मनपा के स्थावर विभाग के कोषागार में जमा कर दिया.
कर्मचारी ने जमाबंदी प्रमाण पत्र देने की रसीद पर 10.4.2023 लिखकर दे दी.जल्दबाजी में सुनील इसे 10.3.2023 समझकर दो दिन में ही प्रमाण पत्र मिलने की खुशी में शुक्रवार 10 मार्च को ही मनपा कार्यालय पहुंचे.
कर्मचारी को रसीद दिखाने पर उसने तारीख देखकर अगले महीने की 10 तारीख को आने के लिए कहा.
एक सामान्य से दस्तावेज के लिए 1 महीने का समय सुनकर सुनील को जोरदार झटका लगा.किसी भी शासकीय- प्रशासकीय दस्तावेजों की नक्कल प्राप्त करने के लिए दो-चार दिन,एक सप्ताह तक समय काफी हैं.
सरकार द्वारा हर सरकारी विभागों को डिजिटल बनाने के बावजूद जमाबंदी जैसे निवासी प्रमाण पत्र के लिए नागपुर महानगर पालिका को 1 महीने का समय लगना वाकई चिंता विषय हैं.
राज्य सरकार ने शत प्रतिशत शासकीय प्रशासकीय विभागों को डिजिटल बनाकर नागरिकों को लगने वाले आवश्यक दस्तावेज एक ही क्लिक पर तुरंत ही ऑनलाइन देने की सुविधा प्रदान की हैं.परंतु नागपुर महानगर पालिका आज भी अपने उसी पुराने ढर्रे पर कछुआ गति से काम कर रही हैं.
स्थावर विभाग के कर्मचारी से जल्दी प्रमाण पत्र मिलने की बात कहने पर वह सुनील को अपेक्षाकृत नजरों से घूरने लगा.मतलब कर्मचारी की जेब गर्म करने पर 1 महीने बाद मिलने वाला दस्तावेज हाथोंहाथ मिलने की सुविधा.
देश के सभी सरकारी दफ्तरों में सामान्य से सामान्य दस्तावेजों की प्राप्ति के लिए 1 महिने से ज्यादा का समय लगने की शर्तों को नागरिकों पर जबरन थोपना सरकार के डिजिटल इंडिया की धज्जियां उड़ाने जैसा हैं,साथ ही यह लचर व्यवस्था देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को भी पनाह दे रही हैं.
सरकारी विभागों द्वारा जानबूझकर बनायी गयी ऐसी ग़लत नीतियों के कारण ही देश में भ्रष्टाचार आज चरम सीमा पर पहुँचा हुआ हैं.काम जल्दी होने की लालसा में लोग न चाहकर भी दलालों,भ्रष्ट कर्मचारियों की भेंट चढ़ जाते हैं.
मनपा कर्मचारियों ने रसीद पर 1 महीने का समय लिखने से सुनील को अब एक महीने चुपचाप बैठने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं हैं.
बच्चे के महाविद्यालय में दाखिला लेने के लिए निवासी प्रमाण पत्र (जमाबंदी) का होना जरूरी हैं.ऐसे में मनपा की डिजिटल सुविधा “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” वाली कहावत चरितार्थ करते हुए नजर आ रही हैं.सुनील को अभी भी बच्चे के दाखिले में विलंब और दाखिला हाथ से निकल जाने का भय सता रहा हैं.
– राजेश पौनीकर,प्रतिनिधि
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