नज़र हटी,चालान फटी

– दोषी दो पहिया वाहन चालक और चालान भेजा टैक्सी चालक को, शहर की लड़खड़ाती यातायात व्यवस्था संभालने की बजाय फुर्ती से चालान फाड़ने में व्यस्त नागपुर ट्रैफिक पुलिस

नागपुर :–  पहली घटना

मामला नागपुर रेल्वे स्टेशन का हैं.ओला उबर टैक्सी चालक दीपक साने शनिवार की सुबह सवा 11 बजे के दौरान रेल्वे स्टेशन के पश्चिमी निकासी द्वार के बाहर सड़क पर एक साईड में अपने टैक्सी वाहन क्रमांक एम एच 49 एटी 3595 को खड़ा करके कुछ विशेष काम के लिए द्वार के भीतर गये और पांच मिनट के भीतर ही वे अपने वाहन के पास वापस लौट आये.दीपक अपनी कार लेकर रेल्वे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर जाते ही अचानक उनके मोबाइल पर 500 रुपये का चालान बनाने का संदेश आया.जबकि जिस जगह दीपक ने पश्चिमी द्वार के दूसरे गेट से आगे अपना वाहन खड़ा किया था वहां पहले से ही कई ऑटो रिक्शा सवारी के इंतजार में हर दिन खड़े रहते हैं.ट्रैफिक पुलिस अधिकारी जाॅनबातिस सैम्युअल ने उक्त गाड़ी का चालान बनाया.जिसका चालान नंबर एनजीपीसीएम23006381862 हैं.

कुछ देर के लिए वाहन खड़ा करने पर यातायात विभाग द्वारा इतने बड़े जुर्माने की सजा एक आम टैक्सी चालकों के साथ अन्यायपूर्ण और निंदनीय घटना हैं.

जितनी मेहनत ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भारी भरकम जुर्माने का चालान ठोकने में नहीं लगती उससे कई ज्यादा मेहनत गरीब और बेरोजगारी की मार से त्रस्त टैक्सी चालकों को मेहनत की पाईं पाईं जोड़ने में लगती हैं.अपनी कमाई से पुलिस का भारी भरकम जुर्माना चुकायें या टैक्सी कंपनीयों का भारी भरकम कमीशन चुकाएं या कर्ज पर खरीदे गए वाहन की बड़ी बड़ी-बड़ी किश्तें चुकायें या किराये के मकान का भारी भरकम भाड़ा चुकायें या घर में लगने वाला महंगा राशन,बच्चों की स्कूल काॅलेज की मोटी मोटी फीस,बीमारीयों का बिल चुकाएं?

यातायात नियमों और कानूनों की आड़ में देश का परिवहन विभाग एक तरह से देश के सभी छोटे-बड़े वाहन चालकों पर भारी भरकम जुर्माना लादकर उनका आर्थिक,मानसिक और शारीरिक शोषण किये जा रहा हैं.

देश के अंतिम नागरिक की प्रती दिन की औसत आय को ही ध्यान में रखकर ही भारत सरकार ने आम नागरिकों पर छोटे-मोटे नियमों और कानूनों के उल्लंघन पर जुर्माना तय करना चाहिए.

दोषियों को सजा और दंड आवश्यक हैं परंतु सजा और जुर्माने के नाम पर सरकारी डकैती,लूट न्यायोचित नहीं हैं.

देश की न्याय और कानून व्यवस्था द्वारा अपराधीयों को हर दिन दी जानेवाली कठोर सजा और भारी भरकम जुर्माने के बावजूद भी देश में दिनों दिन अपराधों और अपराधीयों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा हैं.भारी भरकम जुर्माना लादकर नागरिकों को सुधारने की यह कानूनी व्यवस्था असंवैधानिक हैं.

दूसरी घटना

सिग्नल जंप नहीं किया,फिर भी जबरन भेज दिया चालान – इसी पीड़ित टैक्सी चालक दीपक साने के साथ ऐसी ही एक दूसरी घटना कुछ दिनों पहले 6 जून को शाम 7 बजे अजनी चौक पर घटित हुई.

दीपक साने अपने टैक्सी वाहन क्रमांक एमएच 49 एटी 3595 लेकर अजनी चौक से तुकडोजी पुतला रोड के लिए जा रहे थे.सिग्नल पार करते ही एक ट्रैफिक पुलिस ने दौड़कर टैक्सी के आगे खड़े होकर वाहन को रोका.पुलिस ने गाड़ी के कागजात मांगे.श्री साने ने सभी कागजात दिखाने पर सभी कागज़ात सही दिखने पर पुलिस ने दिपक पर सिग्नल जंप करने का आरोप लगाते हुए तुरंत ही 500 रुपये का ऑनलाइन चालान बनाकर दीपक के मोबाइल पर भेज दिया.

दीपक ने जब सिग्नल तोड़ने का सीसीटीवी के फुटेज का सबूत मांगा तो पुलिस ने खड़ी गाड़ी का ही मोबाइल से फोटो खींचकर चालान में अपलोड कर दिया.

ट्रैफिक पुलिस अधिकारी बालकृष्ण नन्नावार का यह तानाशाही रवैया शहर के यातायात कानून और व्यवस्था के नाम एक कलंक हैं.

पीड़ित टैक्सी चालक की शिकायत का समाधान न करके केवल वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिये गये टार्गेट को पूरा करने की उधेड़बुन में द्वेशपूर्ण भावना से सीधे भारी भरकम जुर्माने का चालान थमाना वाहन चालकों के साथ एक अन्याय पूर्ण घटना हैं.

तिसरी घटना

दोषी दो पहिया वाहन चालक और चालान भेजा बेकसूर टैक्सी वाहन चालक को –

नागपुर शहर ट्रैफिक पुलिस का तीसरा महान कारनामा एक टैक्सी चालक के साथ घटित हुआ.

यातायात पुलिस ने शहर के किसी क्षेत्र में बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहन चालक के दौड़ते हुए वाहन क्रमांक एमएच 49 एवाई 1115 का फोटो मोबाइल से खींचकर 500 रुपये का चालान सीधे टैक्सी वाहन क्रमांक एमएच 49 एटी 1115 के मोबाइल नंबर पर भेज दिया और चालान में चालान की वजह वाहन चालक द्वारा लायसंस नहीं दिखाने की बतायी हैं और साथ में कार चालक के मोबाइल पर दो पहिया वाहन का फोटो भेजने का भी पुण्य प्रताप यातायात विभाग के सहायक पुलिस निरीक्षक मिलिंद जगताप ने कर दिखाया हैं.

चालान की तारीख 13 जून 2023 और समय दोपहर 12 बजकर 6 मिनट का लिखा हुआ हैं.चालान नंबर एनजीपीसीएम23006245984 हैं.चालान में चार पहिया वाहन मे.साई टूर्स एंड ट्रव्हल्स,मालिक का नाम गिरीश आवारी का नाम दर्ज हैं.

चालान बनाने वाले इस यातायात पुलिस अधिकारी को फोर व्हीलर और टू व्हीलर का फर्क और दोनों वाहनों के नंबरों का फर्क आखिर नजर क्यों नहीं आया ?

क्या यातायात विभाग में वाकई पढ़े-लिखे बेवकूफ अधिकारीयों की भर्ती हुई हैं या पुलिस खुद जानबूझकर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिये गये टार्गेट को पूरा करने के लिए वाहन चालकों से जबरन वसूली के चक्कर में लोगों को जानबूझकर बेवकूफ बनने का स्वांग कर रही हैं?

पीड़ित टैक्सी चालक दीपक साने और अन्य पीड़ित टैक्सी चालकों ने पुलिस के शोषण और लापरवाह रवैये पर तीखी नाराजगी व्यक्त करते हुए शासन प्रशासन से दोषी यातायात पुलिस अधिकारीयों पर कठोर और उचित कार्यवाही करने की मांग की हैं.

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