समाज मे परस्पर सहयोग प्रगति का आधार : स्वामी विद्यानंद

नागपूर :- इतिहास में हमने देखा कि विश्व भर में आर्थिक प्रगति कोई एक सामाजिक समूह करता है तो आगे जाकर वह विश्व राजनीति में अपना वर्चस्व रखता है। इसलिए सामूहिक प्रगति ही हमारी हिंदू संस्कृति को विकास का आधार बना सकती है ऐसा स्वामी विज्ञानंदजी, विश्व हिंदू इकनोमिक फोरम के संयोजक ने कहा। यहूदियों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी जनसंख्या सीमित थी, फिर भी सब ने एकत्र होकर वित्त के व्यापार में आए और आगे चलकर स्वास्थ्य, वकालत और मीडिया आदि में वे घुसते चले गए। आज इन क्षेत्रों में पूरे विश्व में उन्होंने अपना दबदबा कायम कर लिया।

यही सिद्धांत पर चलते हुए भारतीय हिंदुओं ने अपने आप को विश्व की अर्थव्यवस्था में स्थापित करना है। कोई भी समाज परस्पर आपसी सहयोग के आधार पर ही रहता है। हमारे देश के बनिए पैसा कमाते थे, बहुत सोच समझ कर खर्च करते थे, मगर जब धर्मदा की बात होती थी तो खुलकर आगे आते थे इसी से हिंदू समाज अपना दबदबा बनाएं हुए था। पिछले कुछ दशकों से इनकी आमदनी के ऊपर असर पड़ा है। इसी कारण धीरे-धीरे धर्म के काम में सुस्ती देखने को मिली है।

हम व्यक्तिगत रूप में बहुत समर्थ है मगर सामूहिक रूप में वैसा नहीं दिखता। इस वजह से अर्थव्यवस्था में हम कमजोर होते जा रहे हैं। स्वामी विज्ञानंद ने अपने हिंदू समूह को मजबूत बनाने के लिए और हमारी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए उन्होंने हिंदुओं से आवान किया की पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक एक हो जाएं। आपसी परस्पर सहयोग से अर्थव्यवस्था में कार्य करने लगें। पूरी दुनिया एक बाजार के रूप में देखें। हमारे भाई विश्व की हर मंडियों में फैले हुए हैं। हमें लोकल से ग्लोबल की ऊंचाई को छूना है। हमें जो भी मदद चाहिए, चाहे हमें धन की जरूरत हो, आपसी सहयोग से हमें सब उपलब्ध हो जाएगा। तंत्रज्ञान और इनोवेशन हमें स्वीकार करना पड़ेगा। इसी के माध्यम से हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच जाएंगे।

हम हिंदुओं का मानव संसाधन कौशल युक्त है। उसे ज्ञान और विज्ञान की पूरी जानकारी है। हमें इन लोगों को भी साथ लेना पड़ेगा। इनका इस्तेमाल विदेशी कंपनियां धन कमाने के लिए कर रहे हैं। हमें हमारे देश के लिए इनके ज्ञान का लाभ लेना होगा। हमें हमारे युवा वर्ग को प्रोत्साहन देना पड़ेगा। उन्हें व्यापार में लाना होगा। उन्हें ट्रेनिंग देनी पड़ेगी। जरूरत हो तो इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाने होंगे। उनका हाथ थामना होगा। इसी से हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए और बड़े रूप में धन एकत्र करने के लिए हमारे व्यापारियों को सम्मान देना होगा। तभी युवा व्यापार में आएंगे। हम बहुत बड़ी धन शक्ति हमारे आदमियों के द्वारा बनेंगे। हमें जगह जगह अलग-अलग शहरों में कॉन्फ्रेंस करनी पड़ेगी। सम्मेलन करने पड़ेंगे ताकि हम विश्व आर्थिक शक्ति बन सके। हमें लोकल स्तर से विश्व स्तर तक सामूहिक रूप में आर्थिक उन्नति करना होगा। हम सौ हाथ से कमाए मगर हजार हाथों से उसका वितरण करें यह हमारी सोच होना चाहिए।

अपनी प्रस्तावना में हिंदू इकोनामिक फोरम विदर्भ चैप्टर के अध्यक्ष राजेश्वर नेवाल ने कहा कि अब समय आ गया है हम सभी को एक छत के नीचे आकर अर्थव्यवस्था को गति दे। हमें कौशल विकास युक्त लोगों को साथ लाना है और आगे बढ़ाना है। हमारे पूर्वजों ने समाज में आपसी ताना-बाना बुना हुआ है। इसी का लाभ हमें हमारे युवाओं को व्यापार में लेना चाहिए।

कंफीग्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतीया ने कहा कि अब समय आ गया है कि आर्थिक शक्ति के लिए हिंदू इकोनामक फोरम के अंतर्गत हम सबको कार्य करना पड़ेगा। यह काम मुश्किल दिखता है मगर मजबूती से कार्य करेंगे तो आगे बढ़ेंगे। कार्यक्रम का संचालन मोरेश्वर काशीकर ने किया। आभार सौरभ चौहान ने माना। चिटनाविस सेंटर में हुए इस कार्यक्रम में बहुत बड़ी तादाद में हिंदू युवक उपस्थित थे.

 

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