– वर्त्तमान राज्य सरकार का प्रशासन पर ढीली पकड़ का नतीजा,RTI के स्पष्ट जवाब देने में आनाकानी कर रही नागपुर मनपा का PWD/SPECIAL PROJECT DEPARTMENT,संदिग्ध/विवादास्पद अधिकारी मनोज तालेवार को संरक्षण देकर उसकी जिम्मेदारी बढ़ा रहे
नागपुर :-नागपुर महानगरपालिका के वर्त्तमान मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी के कार्यकाल में कोई उपलब्धि तो नहीं हुई बल्कि सीमेंट सड़क फेज -2 और स्टेशनरी घोटाला सार्वजानिक होने के बावजूद दबा दिया गया,C-20 और G-20 के लिए प्राप्त निधि का बंदरबांट कर संबंधितों ने अपना-अपना हाथ धो लिये।पिछले वर्ष लोकायुक्त की अदालत में लोकायुक्त ने सीमेंट सड़क फेज – 2 घोटाले से सम्बंधित जाँच समिति की रिपोर्ट और रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्रवाई का मनपायुक्त को प्रत्यक्ष निर्देश दिए जाने के बावजूद उसे ठन्डे बास्ते में डाल कर लोकायुक्त की अहमियत को कमजोर करने की कोशिश मनपा आयुक्त ने की,इससे साफ़ हो गया कि वर्त्तमान राज्य सरकार का प्रशासन पर कमजोर पकड़ है,इसलिए मनपायुक्त जैसे अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे,तो दूसरी ओर राज्य सरकार सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक बयां बाजी कर खुद की पीठ थपथपाने में लीन हैं.
इसका सीधा लाभ मनपा के विवादास्पद अधिकारी मनोज तालेवार और उसके करीबी विवादास्पद ठेकेदार कंपनी उठा रही.तालेवार को मनपा वित्त विभाग भी प्रमुखता से सहयोग कर रहा और हिसाब-किताब में काला-पीला कर तालेवार समर्थक ठेकेदार कंपनियों को नियमित भुगतान करते जा रही हैं.
मनोज तालेवार मनपा में अपने राजनैतिक आका की मदद से शुरुआत से लेकर आजतक लाभ के पद पर न सिर्फ आसीन रहा बल्कि समयानुसार पदोन्नत भी होता रहा,आजतक संगीन जुर्म के बावजूद जिस विभाग में उसके नेतृत्व में धांधली/घोटाला हुआ उसी विभाग का मुखिया मनपायुक्त ने बना दिया।
मनोज तालेवार के कार्यकारी अभियंता रहते लकड़गंज जोन में सीमेंट सड़क फेज – 2 का टेंडर मैनेज कर ग़ुरबक्षाणी के निर्देश पर उनके JV पार्टनर मुंबई की अश्विनी इंफ़्रा को दिया गया.यहाँ तक कि JV का बैंक खाता न खोलने के बावजूद तालेवार और तत्कालीन वित्त विभाग प्रमुख की मिलीभगत से ग़ुरबक्षाणी के व्यक्तिगत खाते में करोड़ों रूपए ट्रांसफर कर दिए,इस JV फर्म ने JV से सम्बंधित कोई भी क़ानूनी औपचारिकता नहीं पूर्ण की इसके बावजूद कार्यादेश दिया गया.
तत्कालीन स्थाई समिति सभापति बाल्या बोरकर ने अपने सहायक के मार्फ़त घटिया निर्माणकार्य के दर्जनों स्पॉट दिखाए,इसके अलावा ग़ुरबक्षाणी के तत्कालीन JE सिंह ने भी कहाँ कहाँ गड़बड़ी की,प्रत्यक्ष मौका-चौकसी कर जानकारी दी.
सम्पूर्ण जानकारी मनपायुक्त राधाकृष्णन बी को दी गई,साथ ही तत्कालीन महापौर को भी दी गई,आयुक्त ने गंभीरता से तो नहीं लिया लेकिन महापौर ने गंभीरता से लेते हुए आयुक्त को समिति बनाकर जाँच कर कार्रवाई का निर्देश दिया।
आयुक्त ने महापौर का निर्देश की अवहेलना कर समिति तो बनाई लेकिन जांच समिति की फर्जी रिपोर्ट को भी सुधारने के बजाय मामला दबा दिया।आयुक्त द्वारा गठित समिति में गुरबक्षाणी के बेहद करीबी तत्कालीन CE को समिति का मुखिया बनाया था,उसने रिपोर्ट को तैयार करने में ग़ुरबक्षाणी को कम से कम सजा/जुर्माना हो उसका ध्यान रखा.और रिपोर्ट का निचोड़ निकाली की ‘घोटाला नहीं बल्कि अनियमितता हुई’.
बावजूद इसके मानपायुक्त ने ठोस कार्रवाई करने के बजाय मनपा जानबूझ कर किसी के इशारे पर ठन्डे बास्ते में डाल दिया।
शिकायतकर्ता मामले को लेकर लोकायुक्त गए,जहाँ 2 सुनवाई में आयुक्त जानबूझ कर अनुपस्थित रहे,जब लोकायुक्त चिढ गए तो तीसरे सुनवाई में लोकायुक्त के सवाल पर आयुक्त ने जवाब दिया कि गड़बड़ी हुई न कि घोटाला तो लोकायुक्त ने निर्देश दिया कि समिति रिपोर्ट और रिपोर्ट के अनुसार की गई कार्रवाई से शिकायतकर्ता को रु-ब-रु करवाते हुए उन्हें सम्बंधित कागजात दे.
उक्त निर्देश को लगभग डेढ़ साल हो गए लेकिन आजतक मनपायुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं कि बल्कि प्रमुख दोषी मनोज तालेवार की जिम्मेदारी में बढ़ोतरी कर उसे संरक्षण दे रहे है,जबकि निर्णय होने तक सम्बंधित पद से मुक्त कर अन्य जिम्मेदारी देनी चाहिए थी.
दूसरी ओर लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता को उच्च न्यायालय में गुहार करने का सुझाव दिया,उनके निर्देश पर शिकायतकर्ता ने मनपा प्रशासन से RTI मार्फ़त कागजातों की मांग की तो न RTI और न ही पहली अपील का जवाब समाचार लिखे जाने तक दिए,अर्थात RTI और लोकायुक्त को मनपायुक्त काफी हलके में ले रहे हैं,उनकी महत्ता को कम कर अपनी मनमानी कर रहे,अर्थात राज्य सरकार पारदर्शी प्रशासन का ढिंढोरा पीठ रही और उनके नाक के निचे मनपायुक्त RTI और लोकायुक्त का मजाक उड़ा रहे.अर्थात वर्त्तमान राज्य सरकार का प्रशासन और अधिकारी पर कमजोर पकड़ होता जा रहा,इसलिए इस कमजोर पकड़ को छिपाने के लिए राज्य सरकार के मंत्री,खास कर नागपुर जिले के मंत्री रोजाना राजनैतिक बयानबाजी कर अपना बचाव कर रहे हैं.
जल्द ही उपलब्ध जानकारी के आधार पर शिकायतकर्ता सह अन्य 2 सामाजिक संगठन मनपा प्रशासन सह आयुक्त के खिलाफ यह मामला उच्च न्यायालय के दर तक ले जाकर सभी दोषियों के खिलाफ कड़क कार्रवाई हेतु गुहार लगाएगी।