बीपीसीएल का निजीकरण रद्द

– बीपीसीएल के लिए अब तक आईं सभी बोलियां अब रद्द हो जाएंगी।
नई दिल्ली – सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की निवेश प्रक्रिया फिलहाल रद्द कर दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम में दो-तीन बोलीदाताओं ने रुचि दिखाई थी मगर बाद में उनके पीछे हटने से सरकार को कंपनी की विनिवेश प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी है। बीपीसीएल के लिए अब तक आईं सभी बोलियां अब रद्द हो जाएंगी।
निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने आज एक बयान में कहा कि ‘अल्टरनैटिव मैकेनिज्म’ के निर्णय के आधार पर बीपीसीएल के रणनीतिक निवेश और बोलीदाताओं की तरफ से दिखाई गई अभिरुचि रद्द कर दी गई हैं। ‘अल्टरनैटिव मैकेनिज्म’ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और प्रशासनिक मंत्रालय के मंत्री शामिल होते हैं। इस तरह बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया फिलहाल रद्द हो गई है और सरकार आने वाले समय में इस बारे में निर्णय लेगी। सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी। इसके लिए मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किए गए थे। नवंबर, 2020 तक कम-से-कम तीन बोलियां आईं।
हालांकि, दो बोलीदाता ईंधन कीमत निर्धारण को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने जैसे कारणों से बोली से बाहर हो गए। इससे बोली में केवल एक ही कंपनी रह गई। दीपम ने कहा कि बोली आमंत्रित करने के बाद इसमें रुचि रखने वालों से कई रुचि पत्र आमंत्रित किए गए। पात्र इच्छुक पक्षों (क्यूआईपी) ने कंपनी की जांच-परख का काम शुरू किया था। विभाग के अनुसार, हालांकि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक हालात से दुनिया भर के उद्योग खासकर तेल एवं गैस क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
दीपम ने कहा, ‘वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के कारण अधिकतर पात्र इच्छुक पक्षों ने बीपीसीएल के विनिवेश की मौजूदा प्रक्रिया में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है।’
विभाग ने कहा कि इसको देखते हुए विनिवेश पर मंत्रियों के समूह ने बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश के लिए रुचि पत्र प्रक्रिया बंद करने का निर्णय किया है। इसके साथ क्यूआईपी से जो रुचि पत्र मिले हैं, वे रद्द हो जाएंगे। विभाग ने कहा, ‘बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय अब स्थिति की समीक्षा के आधार पर उपयुक्त समय पर किया जाएगा। देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग और ईंधन विपणन कंपनी के निजीकरण को लेकर शुरू में कंपनियों ने वैश्विक बाजार में तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ बहुत रुचि नहीं दिखाई थी। बाद में घरेलू बाजार में ईंधन कीमत निर्धारण में स्पष्टता की कमी से भी वे प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर ज्यादा आकर्षित नहीं हुए।’
खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांत समूह और अमेरिकी उद्यम कोष अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट तथा आई स्कवायर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी।

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