चौराहों पर भिखारियों को नहीं मिल रहा भिख,भूखे मरने की नौबत 

– देश में ऑनलाइन आर्थिक व्यवस्था के कारण आवाजाही करने वालों के जेब खाली,चिल्लर बाजार से गायब 

नागपुर :- मोदी राज में नागरिकों को आर्थिक गड़बड़ियों से निजात दिलवाने के लिए ‘ऑनलाइन पेमेंट’ व्यवस्था शुरू की गई,इससे नागरिकों के जेब से पैसे गायब हो गए.वहीं दूसरी ओर सार्वजानिक जगहों जैसे चौराहों,बस-ट्रेन स्थानकों, बाज़ारों,धार्मिक स्थलों पर भीख मांगने वालों को बड़ा नुकसान हुआ है,और हो रहा हैं.वह इस तरह कि इन्हें अब चिल्लर या छोटे रुपयों आदि के रूप में भीख मिलना लगभग बंद हो गया है,बड़े चौराहों पर इनमें से कुछेक सामान लेकर चौराहों पर खड़े होकर बेच अपना पेट पालने की कोशिश कर रहे तो इनका सामान न के बराबर बिक रहा क्यूंकि आवाजाही करने वालों में से अधिकांश के जेब खाली हैं.अर्थात भिखारियों को भूखों मरने की नौबत आन पड़ी हैं.केंद्र सरकार इस उपेक्षित समुदाय के लिए भी कोई अभिनव योजना लाए.ऐसी मांग वसीम ओपाई,मृणाल कुशवाहा,भूमिका मेश्राम,सीनू वियनवार आदि ने की हैं.

याद रहे कि मोदी राज के पूर्व देश में दिल्ली से लेकर गल्ली तक चिल्लर पैसों,छोटे नोटों का राज था,चिल्लर और छोटे नोट होने से बाज़ारों में खरीदी करने वालों की भीड़ थी,बड़े से छोटे बच्चों के पास पैसे हुआ करते थे,चाहे किसी भी रूप में मिले हो.दान-दक्षिणा भी शबाब पर हुआ करता था.दूसरी ओर नगदी व्यवहार से चुनिंदा कालाबाज़ारी में लिप्त थे,सरकारी महकमों में आर्थिक लेन-देन व भ्रष्टाचार भी उफान पर था ,उस कुनबों पर पाबन्दी लाने के लिए ‘ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम’ का ईजाद कर कठोरता से अमल में लाया गया.

जिसका फायदा तो हो रहा लेकिन कुछेक क्षेत्र अर्थात खुदरा व्यापार चाहे सब्जी का हो या किराणा आदि का,फिर चाहे दान-दक्षिणा हो या भीख आदि देने का मामला,सब बुरी तरह प्रभावित हुआ.

इन सबमे सबसे ज्यादा प्रभावित भिखारी वर्ग का हुआ,इनके पास कोई ‘ऑनलाइन सिस्टम’ नहीं होने से ये वर्ग पिछले कुछ वर्षों में काफी दयनीय स्थिति में आ गए हैं.यह कुनबा नागपुर में सिमित होगा,लेकिन सम्पूर्ण देश में बड़ा वर्ग हैं,महानगरों, धार्मिक स्थलों,किसी भी स्थानकों पर इसकी संख्या उल्लेखनीय हैं.ये समुदाय न भारतीय मतदाता है,और न ही राशन कार्ड धारक गरीब हैं.सरकार तृतीय पंथियों को भी तवज्जों दे रही है लेकिन इन भिखारी समुदाय की ओर जरा भी ध्यान नहीं हैं.

सामाजिक चिंतक व कार्यकर्ता वसीम ओपाय ने मांग की है कि केंद्र सरकार इन भिखारियों के लिए भी ‘paytm आदि जैसी कोई विशेष व्यवस्था करवाए,ताकि इनका भरण पोषण हो सके.सभी भिखारियों का पंजीयन करवाकर उनका बैंक खाता खुलवाए और प्रत्येक भिखारी को अलग अलग QR CODE उपलब्ध करवाए.

पत्रकार भूमिका मेश्राम ने मांग की कि इस कुनबे का भी आधार कार्ड,मतदाता कार्ड बनाया जाए,ताकि इन्हें भी महसूस हो कि वे देश में अभागे नहीं हैं.

व्यवसायी सीनू वियनवार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस तबके के सभी सदस्यों को भी राशन कार्ड दिलवाकर,इन्हें भी निशुल्क आनाज वितरित किया जाये,ताकि इन सबको भूखों मरने की नौबत न आए.

छात्र मृणाल कुशवाहा ने देश और राज्य सरकारों के शिक्षा विभागों से गुजारिश की है कि इनके लिए भी RTE सरकारी विद्यालयों में अनिवार्य किया जाए.ताकि सरकार का शिक्षा के प्रति सकारात्मक उद्देश्य भी पूरा हो और सरकारी स्कूलों की वर्गों में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हो.

Contact us for news or articles - dineshdamahe86@gmail.com

NewsToday24x7

Next Post

'ममता'ची 'दीदी'गिरी

Fri Mar 15 , 2024
लालूप्रसाद यादव बिहारचे मुख्यमंत्री असताना तेथे जसं जंगलराज होतं, तशीच स्थिती गेल्या एक तपापासून बंगाल राज्यात निर्माण झाली आहे. दुर्दैवाची गोष्ट ही की, ममता नाव असलेल्या एका महिला मुख्यमंत्र्याच्या कारकीर्दीत हे अत्याचार सर्रास सुरू आहेत आणि त्यांनी पूर्वीच्या लालभाईंनाही मागे टाकलं आहे.‌ त्यामुळे 35 वर्षे डाव्यांच्या आगीत जळणारी बंगाली जनता गेली 13 वर्षे स्वत:ला तृणमूल काँग्रेसच्या फुफाट्यात भाजून घेत आहे. […]

You May Like

Latest News

The Latest News

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
error: Content is protected !!