नागपूर :- धर्मांतर के दूषित वातावरण में हम लोगों को सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक सिपाही के रूप में मजबूती से खड़ा होना पड़ेगा। हमें सनातन धर्म के प्रचार प्रसार, हमारी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, और संस्कार आदि बनाए रखने के लिए व्यास कथाकार तैयार करने होंगे। जिस देश की अपनी खुद का संस्कार पद्धति मजबूती से नहीं रहती उस देश का नुकसान होना स्वाभाविक है। ऐसा बी सी भरतिया ने कहा। वह श्री हरी सत्संग समिति के प्रशिक्षण केंद्र में व्यास कथाकारों को तैयार करने के लिए प्राथमिक वर्ग के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे।
एकल श्री हरि वनवासी विकास ट्रस्ट के प्रशिक्षण केंद्र, संत निवास, उज्जवल गोरक्षण ट्रस्ट, बहादुरा, उमरेड रोड स्थित केंद्र में व्यास कथाकार प्राथमिक वर्ग का उद्घाटन शंकर लाल जलान के हंसते हुआ। इस प्रशिक्षण शिविर में बिहार झारखंड और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण आदिवासी इलाके के प्रतिनिधि व्यास प्रशिक्षण लेंगे।
प्रशिक्षण सफलतापूर्वक चलाने के लिए जीतू पहन केंद्रीय हरि कथा योजना प्रमुख, देवकीनंदन केंद्रीय व्यास प्रमुख, नरेश कुमार व्यास प्रशिक्षण प्रमुख, रोहिदास कुंभार हरि कथा योजना प्रमुख तथा शिक्षक के रूप में डमरू धर और सूर्यदेव राम यहां पर आए।
महिला शक्ति ने दीया प्रज्वलित करके सत्र का पारंपरिक भारतीय संस्कृति अनुसार शुरू किया। केंद्र कार्यालय से आए श्री जीतू पहन जी ने शिक्षार्थियों को कार्यशाला की पद्धति की पूरी रूपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि 9 महीने कि यह कठिन तपस्या से ग्रामीण क्षेत्र से आए सभी विद्यार्थी एक सक्षम कथाकार बन जाते हैं। यही लोग गांव में आदिवासी इलाकों में भ्रमण करके हमारी संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं। उन्होंने सभी बच्चों से आवान किया कि उन्हें मन लगाकर यह प्रशिक्षण पूरा करना है। किशोर धाराशिवकर ने कहा कि हमें हमारे संस्कार और संस्कृति का पश्चिमीकरण होने से बचाना है। हमारी संस्कृति बहुत गहरी है और हजारों साल के अध्ययन से तैयार हुई है। इसे बचा कर रखना समय की आवश्यकता है। देवकीनंदन जी ने भी मार्गदर्शन किया।
इस मौके पर प्रमुखता से उपस्थित थे संगठन की अध्यक्षा शकुंतला अग्रवाल सुमन अग्रवाल अंजना मानसीनका, अन्नू लढ्ढड, मालचंद बिहानी, राजकुमार गुप्ता, केंद्र के संयोजक गोविंद पटेल, कार्यक्रम का संचालन सूर्यदेव राम ने किया जो बच्चों को शिक्षा देंगे।